Begger - भिखारी ( A real incident )

by deepika_divya on October 02, 2009, 05:31:41 PM
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deepika_divya
Guest
मेरा जन्मदिन था, दोस्तों के साथ खूब मस्ती करने के बाद मैं घर को रवाना हुई और बस में बेठ गई और बस के शीशे से सर टेक कर बेठ गई !

काफ़ी थक चुकी थी इसलिए मैंने थोडी देर के लिए आँखे बंद कर ली और ऐसे ही पुरे दिन की बातें सोच रही थी ! फ़िर थोडी देर में बस चलने लगी कुछ देर बाद बस एक बस स्टाप में रुखी और मेरी आँख खुली ॥ वहां से एक भिखारी बस में चडा और उसके हाथ में अक सितार था , फ़िर उसकी तरफ़ देखा मैंने और फ़िर शीशे पर टेक लगा लिया मैंने ... बस में रेडियो बज रहा था और थोडी देर बाद बस वाले ने रेडियो बंद कर दिया और एक बहूत प्यारी सी मधुर सी धुन बंजने लगी मेरी आंखे फ़िर खुली और देखा वोह भिखारी वोह धुन बजा रहा था

वोह इतना मधुर धुन बजा रहा था की बस में बेठा हर व्यक्ति उसकी धुन का आनंद ले रहा था । उसके सितार से निकली हर धुन मेरे पुरे दिन की थकन को दूर कर रही थी। और मनो ऐसा लगा की शायद वोह अपनी धुन में कह रहा हो " देखो मेरी हालत क्या है मेरी दुनिया क्या है और फ़िर भी मुझे किसी बात का दुख नही मेरे पास कला है जो मेरे जीने का जरिए है फ़िर भी लोग मुझे भखारी कहते है ''

वोह भखारी किसी की तरह नही देख रहा था वोह बस अपनी धुन बजा रहा था और मनो वोह अपनी ही धुन मा खोया हो... उसकी इस अनमोल कला को देख कर लग रहा था की उसके सामने मैं कुछ भी नही...

बस में बेठा हर व्यक्ति बिना उसके मांगे ही उसको अपनी मर्ज़ी से रुपये दे रहा था । येया भी नही की एक या दो रुपए बल्कि शायद ही किसी ने उसको पाँच रुपए से कम रुपये दिए हो॥ मनो उसने मेरे बर्थडे गिफ्ट दिया हो थो मैंने भी ख़ुद से ग्यारा रुपए निकाल कर उसको दिए !

फ़िर कुछ देर बाद लोग उससे अपने मन पसंद की धुन बजा रहे थे और वोह उस्सी बेहतरीन कला से सब की फरमाइश कर रहा हो॥ वोह थो सच में मेरी नज़र में अक रॉक स्टार था !

फ़िर मेरा बस स्टाप आया और मैं बस से उतर कर घर को जाने लगी , पर उस व्यक्ति की धुन अभी तक मेरे कानो में गूंज रही थी !

अब लग रहा था की क्यूँ इतनी कला से निपूर्ण होने के बाद भी लोग उसको भिकारी क्यूँ खेहते है क्या कोई नही जो उसको एक मुकाम दे सकता !

कुछ लाइन अर्ज़ कर रही हूँ इस घटना पर ...

जिन्दगी वक्त मांगती है ,
तरक्की को एक नई राह देने क लिए ,
इंसान उसी राह पर लगा देता है लगाम,
दुसरे को रुला, अपनी खुशी पाने के लिए !!

लेखिखा
"दिव्या "
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Vikk
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«Reply #1 on: October 02, 2009, 05:38:27 PM »
 Applause Applause Applause

thank u for this sharing sophie
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madhuwesh
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«Reply #2 on: October 03, 2009, 01:40:10 AM »
Very beautiful sharing Sophi ji. icon_thumleft Applause Applause Applause Applause
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deepika_divya
Guest
«Reply #3 on: October 03, 2009, 04:50:48 AM »
Thank you so much Vikk and Madhu Usual Smile

Its happnd in my life Usual Smile
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Rishi Agarwal
Guest
«Reply #4 on: October 03, 2009, 11:32:07 AM »
Bahut Khoob Shophi JI nice excellent Applause Applause Applause
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