भगवान के दर्शन --एक सत्य घटना पर आधारित आर के रस्तोगी

by Ram Krishan Rastogi on July 10, 2021, 02:02:06 PM
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Ram Krishan Rastogi
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देश में लॉक डाउन व कोरोना काल चल रहा था | सभी लोग अपने अपने घरो में बंद थे | सारी सडके सुनसान पड़ी थी | केवल पुलिस वाले ही दिखाई दे रहे थे या इक्का दुक्का आवश्यक चीजो को सप्लाई करने वाले वाहन दिखाई दे रहे थे | भोपाल शहर के टी टी नगर में एक छोटे से परिवार में तीन प्राणी रहते थे –पति पत्नि व एक तीन महीने की एक छोटी सी प्यारी सी बच्ची | पत्नि का नाम अनुष्का जो एक प्राइवेट हॉस्पिटल में नर्स थी और उसके पति अजीत एक मजदूर जो एक फैक्ट्री में काम करता था | फैक्ट्री लॉक डाउन के कारण बंद थी पर अनुष्का को हॉस्पिटल में अपनी छोटी बच्ची को पिता के पास छोड़कर जाना पड़ता था |

अचानक अनुष्का मरीजो को देखते देखते कोरोना पॉजिटिव हो गयी और उसको वही हॉस्पिटल में एडमिट होना पड़ा और वह घर नहीं आ सकती थी और अपनी तीन माह की बच्ची को अपना दूध भी नहीं पिला सकती थी | इस बात को देखकर पिता अजीत काफी परेशान हो गया और सोचने लगा कि वह भूखा तो रह सकता है पर वह मासूम बच्ची को कैसे भूखा रख सकता है |उसने घर के सभी डिब्बे टटोले पर वे भी खाली निकले | काफी घर को टटोलने के पश्चात उसे एक सैंपल के रूप में एक छोटा सा दूध के पाउडर का पैकेट मिला जो मुश्किल से दो या तीन बार ही घोलकर पिलाया जा सकता था ,पर थोड़ी ख़ुशी इस बात की थी उसके पास अभी 250 रूपये थे जो उसे अपनी पत्नि अनुष्का के बेग से मिले थे | उस दिन उस दूध के पाउडर को दो तीन बार घोल कर बच्ची को पिला दिया और उसकी भूख को शांत कर दिया पर उसको अगले दिन की चिंता सता रही थी |

अगले दिन अजीत 250 रूपये लेकर अपनी बच्ची के साथ घर से दूध की तालाश में निकला पर बाजार लॉक डाउन के कारण बंद था पर उसने हिम्मत नहीं हारी | लगभग तीन किलोमीटर पैदल चलकर उसे एक बड़ा सा होटल दिखा दिया | होटल के बाहर दो गार्ड खड़े थे | अजित ने उन् खड़े गार्डो से पूछा ,”क्या मुझे इस बच्ची के लिये आधा लीटर दूध मिल सकता है ? मेरी यह बच्ची बड़ी भूखी है और आज सुबह से उसने दूध नहीं पिया चूकी इसकी मम्मी कोरोना के कारण हॉस्पिटल में एडमिट है और घर भी नहीं आ सकती और न ही इसे अपना दूध भी पिला सकती | गार्डो को छोटी मासूम बच्ची को देखकर दया आ गयी | उनमे एक गार्ड होटल के अंदर गया और होटल के मालिक से उस बच्ची व अजीत की घटना सुनाई | होटल का मालिक बाहर निकला और अजित से बोला, “तुम्हे क्या चाहिये ?’” अजित बोला मुझे इस बच्ची के लिये आधा लीटर दूध चाहये | मेरे पास केवल 250 रूपये है |” होटल का मालिक बोला ,” अच्छा आधा लीटर मिल जाएगा पर 200 रूपये लगेगे “|

अजित असमंजस में पड गया और सोचा इतना महँगा दूध | पर दूसरी तरफ उसकी मासूम बच्ची भूख से बिलबिला रही थी,बेचारा मजबूर मजदूर क्या करता | बच्ची को भूख से बिलखता नहीं देख सकता था उसने 200 रुपए देकर आधा लीटर दूध लेकर घर आ गया उसने दूध को गर्म करके बच्ची को पिलाया और कुछ समय के बाद वह सो गयी | पर अजित को दूसरे दिन की चिंता सताने लगी | वह अगले दिन सुबह उठा और बचे हुये 50 रुपये लेकर बच्ची के साथ दूध की तालश में निकला पर दुबारा से उस होटल पर जाने की हिम्मत न जुटा पा सका क्योकि उसके पास तो केवल 50 रूपये ही बचे थे | फिर उसने सोचा की चलो एक बार जाकर होटल पर कोशिश करता हूँ | अत; अजित हिम्मत बांधकर उसी होटल पर दूध लेने की लिये पहुँचा और होटल मालिक से दूध देने के लिये काफी मिन्नते की और कहाँ,” हजूर मेरे पास केवल 50 रूपये ही है मै बाकी के 150 रूपये लॉक डाउन खुलने के पश्चात दे जाऊँगा |” पर होटल मालिक ने उसकी कोई बात नहीं सुनी और होटल के अंदर चला गया | बेचारा अजित बिना दूध के ही घर की तरफ रुआसा होकर चलने लगा | अजित काफी निराश हो चुका था पर उसने हिम्मत न छोड़ी | अजित जैसे ही आगे एक किलोमीटर आगे बढा तो उसे एक छोटी सी चाय की दुकान दिखाई दी | चाय की दुकान देखते ही उसके मन कुछ आशा की किरण जगी पर इस चाय की दुकान पर चार पांच पुलिस वाले चाय पी रहे थे | पुलिस वालो को देखकर अजित डरने लगा और सोचने लगा कि ये पुलिस वाले लॉक डाउन के नियम तोड़ने के आरोप में मेरे ऊपर जुर्माना न कर दे और जेल में बंद न कर दे | उसके पास तो केवल 50 रूपये ही है पर वह बड़ी हिम्मत करता हुआ पर साथ में डरता हुआ चाय वाले की दुकान पर पंहुचा | अजित पुलिस वाले से नजरे चुराते हुए चाय वाले से बोला,” भाई ,मेरी छोटी सी बच्ची भूखी है और उसकी मम्मी हॉस्पिटल में कोरोना के कारण एडमिट है जो की मेरी पत्नि है पंचशील हॉस्पिटल में नर्स है | मुझे इस बच्ची के लिये आधा लीटर दूध चाहिए | मेरे पास केवल 50 रुपये ही बचे है |” चाय वाले को उस पर कुछ दया आ गई क्योकी उस चाय वाले की भी एक छोटी सी बच्ची थी जो कि वह अपने माँ के पास ठीक प्रकार से रह रही थी | चाय वाला अपने खोखे के अंदर गया और एक प्लास्टिक की थैली में लगभग एक लीटर दूध भर कर ले आया और बड़ी सहानुभूति दिखाते हुये अजित को दे दिया | अजित ने भी अपनी जेब से 50 रुपये का नोट चाय वाले को देने लगा पर चाय वाले ने वह 50 का नोट नहीं लिया और बोला,मै जानता हूँ कि तुम्हारे पास केवल 50 रूपये ही बचे है और मुझे ऐसा महसूस और दिखाई दे रहा की तुमने भी खाना नहीं खाया है | चाय वाले फिर दुबारा से अपने खोखे के अंदर गया और अपना टिफन खोला और बोला,” इस टिफन में चार रोटी आई है ,दो रोटी तुम खाओगे और दो रोटी मै खाऊंगा “ चाय वाले ने जबरदस्ती अजित को अपने पास बैठा लिया और उसको भी रोटी खिलाई | रोटी खाने के पश्चात चाय वाला फिर अपने खोखे के अंदर गया और एक गत्ते के कार्टन में कुछ बिस्कुट और नमकीन लाया और जबरदस्ती अजित के हाथ में थमा दिया |

यह सब कुछ पुलिस वाले देख रहे थे | उनमे से एक पुलिस वाला उठा और पुलिस वैन की तरफ जाने लगा | अजित यह देखकर घबरा गया और सोचने लगा कही ये पुलिस वाला मेरा चालन न काट दे और मुझे जेल में न भिजवा दे | परन्तु जब वह पुलिस वाला अजित के पास आया तो उसके हाथ में भी एक डिब्बा था जिसमे शायद कुछ फल आटा दाल व कुछ खाने का सामान था अजित को दे दिया और उसको पुलिस वैन में बैठा कर उसके घर पर छोड़ कर आया | साथ में अपने जेब से एक पांच सौ को नोट निकाल कर अजित को दिया | अजित को अब विश्वास हो गया कि भगवान अवश्य है जो सबकी रक्षा करता है और उसके खाने पीने की भी व्यवस्था भी करता है | भले ही मैंने अभी तक भगवान नहीं देखा पर आज मैंने चाय वाले और पुलिस के रूप में भगवान् के दर्शन कर लिये है | कुछ दिनों के पश्चात उसकी पत्नि कोरोना से मुक्त आ गयी और फिर से अपने घर व हॉस्पिटल आने जाने लगी |
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«Reply #1 on: February 08, 2023, 06:33:50 PM »
Bahut hi acha likha aapne  Applause waqayi 2020 bahut hi zyada dukhdaayi daur se guzara yun toh waqt hamesha bura hi guzara meri zindagi ka lekin 2020 ne physically financially aur mentally sabko jhinjhod diya tha us saal meri Nani bhi guzar gayi thi par shukhar hai ki unhein corona ke kisi aziyat se nahi guzarna pada samanya mrityu huyi thi baaki bahut logo ko luta gaya ghar se nikaal diya gaya berozgar ho gaye khaane khaane ko tarse paidal yatra mein kuch logo ne jaan gawaah di aur madad ke naam pe sirf soshan hua aur Rajnitik chaale chali gayi....khuda na kare aise daur se koi dushman bhi guzare!
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