कब ए सनम तुम पास नही होते..??

by Minakshi vats on February 28, 2014, 01:52:30 AM
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Minakshi vats
Aghaaz ae Shayar
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कब ए सनम तुम पास नही होते, कब मुझे महकाते
तेरे अहसास नही होते, जब
कभी ना सोचा हो तुमको ए हमदम ऐसे मेरे दिन और
रात नही होते,
सुबहा की उस सुनहरी किरन मे, ढलती शामो की उस
ठहरी पहर मे, तपती दोपहर की दोपहर मे या
रात की उन मदहोशियों में, कब हम तेरे तलब दार
नही होते
कब मुझे महकाते तेरे अहसास नही होते
सावन की उन बरसती बारिशो मे,
भीगी सी सांसो की सरगोशियो में, मेरे दिल
की सुनसान महफीलो में, या धडकन
की धडकती खामोशियो में,, कब हम महोब्त मे डूबे
बेशुमार नही होते
कब मुझे महकाते तेरे अहसास नही होते

 मिनाक्षी वत्स "निशा"
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RAJAN KONDAL
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«Reply #1 on: February 28, 2014, 02:12:36 AM »
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waah waah bahoot khub
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RAJ SOLANKI
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«Reply #2 on: February 28, 2014, 02:52:59 AM »
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रूह मैं खुसबू घुल गयी तेरी
कैसे लेगा जगह कोई तेरी
कैसे लेगा जगह कोई तेरी
आज की रात कैसे गुजरेगी
मैंने तस्वीर देख ली तेरी
मैंने तस्वीर देख ली तेरी
रोकना फ़र्ज़ था मेरा, फिर भी
तुझको जाना हैं तो ख़ुशी तेरी
तुझको जाना हैं तो ख़ुशी तेरी
मेरे आँसूं कोई मजाक नहीं
जल भी सकती हैं ओढनी तेरी
जल भी सकती हैं ओढनी तेरी
तेरी दुनिया तुझे मुबारक हो
मैंने उम्मीद छोड़ दी तेरी
मैंने उम्मीद छोड़ दी तेरी
देख, बर्बाद हो गया हूँ मैं
अब जरुरत नहीं रही तेरी
अब जरुरत नहीं रही तेरी
अपने कमरे मैं रहना तू "राज "
फ़ैल जाये ना रौशनी तेरी

Nice g bhaut khub likha aap ne
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Advo.RavinderaRavi
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«Reply #3 on: February 28, 2014, 03:44:06 AM »
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कब ए सनम तुम पास नही होते, कब मुझे महकाते
तेरे अहसास नही होते, जब
कभी ना सोचा हो तुमको ए हमदम ऐसे मेरे दिन और
रात नही होते,
सुबहा की उस सुनहरी किरन मे, ढलती शामो की उस
ठहरी पहर मे, तपती दोपहर की दोपहर मे या
रात की उन मदहोशियों में, कब हम तेरे तलब दार
नही होते
कब मुझे महकाते तेरे अहसास नही होते
सावन की उन बरसती बारिशो मे,
भीगी सी सांसो की सरगोशियो में, मेरे दिल
की सुनसान महफीलो में, या धडकन
की धडकती खामोशियो में,, कब हम महोब्त मे डूबे
बेशुमार नही होते
कब मुझे महकाते तेरे अहसास नही होते

 मिनाक्षी वत्स "निशा"

बहुत ही खूबसूरत.!!
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sksaini4
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«Reply #4 on: February 28, 2014, 07:11:30 AM »
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waah waah
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aqsh
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«Reply #5 on: February 28, 2014, 12:28:08 PM »
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khoobsurat ehsaas minakshi ji...dheron daaaaad... par aapne ise galath section mein post kiya hai...
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amit_prakash_meet
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«Reply #6 on: February 28, 2014, 01:38:55 PM »
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bahut khub....
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«Reply #7 on: February 28, 2014, 07:44:04 PM »
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बहुत अछ्छा लगा दिल को

भले ही हम तुम्हारे पास नही होते
पर हमारी धडकती धड़कन तुम्हारे पास होती
हमारी राते भी इस तरह करवटे बदलती कटती
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marhoom bahayaat
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«Reply #8 on: February 28, 2014, 10:07:22 PM »
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कब ए सनम तुम पास नही होते, कब मुझे महकाते
तेरे अहसास नही होते, जब
कभी ना सोचा हो तुमको ए हमदम ऐसे मेरे दिन और
रात नही होते,
सुबहा की उस सुनहरी किरन मे, ढलती शामो की उस
ठहरी पहर मे, तपती दोपहर की दोपहर मे या
रात की उन मदहोशियों में, कब हम तेरे तलब दार
नही होते
कब मुझे महकाते तेरे अहसास नही होते
सावन की उन बरसती बारिशो मे,
भीगी सी सांसो की सरगोशियो में, मेरे दिल
की सुनसान महफीलो में, या धडकन
की धडकती खामोशियो में,, कब हम महोब्त मे डूबे
बेशुमार नही होते
कब मुझे महकाते तेरे अहसास नही होते

 मिनाक्षी वत्स "निशा"


good,ma'am
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nandbahu
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«Reply #9 on: March 04, 2014, 04:34:43 PM »
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bahut khoob
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Minakshi vats
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«Reply #10 on: June 19, 2014, 11:30:46 PM »
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Shukriya
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With a Quick-Reply you can use bulletin board code and smileys as you would in a normal post, but much more conveniently.


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