हम न बोलेंगे मगर ..................................अरुण मिश्र.

by arunmishra on April 21, 2013, 02:28:12 PM
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arunmishra
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ग़ज़ल

हम न बोलेंगे मगर .........


-अरुण मिश्र.

हम न बोलेंगे मगर,  फिर भी बुलाओ तो सही।
यूँ  कि,  हम रूठे हुये,  हमको मनाओ तो सही।।
  
नाज़ो - अंदाज़  के,  सुनते  हैं,  बड़े  रसिया हो।
मैं  भी तो  जानूँ ,  मेरे  नाज़  उठाओ तो  सही।।
  
बात  छोटी सी  भी,  तुम  दिल पे लगा लेते हो।
कुछ बड़ी बात न मैं,  दिल से लगाओ तो सही।।
  
हाँ   हमें   हीरों के  कंगन  की,  तमन्ना  तो है।
तुम हरे काँच  की कुछ चूड़ियाँ  लाओ तो सही।।
  
हम ‘अरुन’ फूलों को, समझेंगे फ़लक के तारे।
तुम मेरे जूड़े में,  इक गजरा  लगाओ तो सही।।
                           *


ग़ज़ल, (२००५), अरुण मिश्र, हम न बोलेंगे मगर...
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Satish Shukla
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«Reply #1 on: April 21, 2013, 02:51:43 PM »
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Respected Arun Mishra Ji,

                    Pranaam !

Waaah waah bahut khoob...ghazal kahee hai
har she'r achchha hai...maza aa gaya...

"नाज़ो - अंदाज़  के,  सुनते  हैं,  बड़े  रसिया हो।
 मैं  भी तो  जानूँ ,  मेरे  नाज़  उठाओ तो  सही।।"

is she'r par khusoosee daad o mubaarakbaad
kubool farmaayen....

Saadar,

Satish Shukla 'Raqeeb'
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marhoom bahayaat
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«Reply #2 on: April 21, 2013, 03:43:12 PM »
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ग़ज़ल

हम न बोलेंगे मगर .........


-अरुण मिश्र.

हम न बोलेंगे मगर,  फिर भी बुलाओ तो सही।
यूँ  कि,  हम रूठे हुये,  हमको मनाओ तो सही।।
   
नाज़ो - अंदाज़  के,  सुनते  हैं,  बड़े  रसिया हो।
मैं  भी तो  जानूँ ,  मेरे  नाज़  उठाओ तो  सही।।
 
बात  छोटी सी  भी,  तुम  दिल पे लगा लेते हो।
कुछ बड़ी बात न मैं,  दिल से लगाओ तो सही।।
 
हाँ   हमें   हीरों के  कंगन  की,  तमन्ना  तो है।
तुम हरे काँच  की कुछ चूड़ियाँ  लाओ तो सही।।
 
हम ‘अरुन’ फूलों को, समझेंगे फ़लक के तारे।
तुम मेरे जूड़े में,  इक गजरा  लगाओ तो सही।।
                           *


ग़ज़ल, (२००५), अरुण मिश्र, हम न बोलेंगे मगर...

with rau gr888888888888888888,sir
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F.H.SIDDIQUI
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«Reply #3 on: April 21, 2013, 04:49:36 PM »
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bahut khoob , Arun Misra  ji . Khubsurat
ghazal aur khubsurat  maqta  hai . Bahut
daad  aur  badhai . HASAN
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sbechain
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«Reply #4 on: April 21, 2013, 04:50:30 PM »
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ग़ज़ल

हम न बोलेंगे मगर .........


-अरुण मिश्र.

हम न बोलेंगे मगर,  फिर भी बुलाओ तो सही।
यूँ  कि,  हम रूठे हुये,  हमको मनाओ तो सही।।
  
नाज़ो - अंदाज़  के,  सुनते  हैं,  बड़े  रसिया हो।
मैं  भी तो  जानूँ ,  मेरे  नाज़  उठाओ तो  सही।।
  
बात  छोटी सी  भी,  तुम  दिल पे लगा लेते हो।
कुछ बड़ी बात न मैं,  दिल से लगाओ तो सही।।
  
हाँ   हमें   हीरों के  कंगन  की,  तमन्ना  तो है।
तुम हरे काँच  की कुछ चूड़ियाँ  लाओ तो सही।।
  
हम ‘अरुन’ फूलों को, समझेंगे फ़लक के तारे।
तुम मेरे जूड़े में,  इक गजरा  लगाओ तो सही।।
                           *


ग़ज़ल, (२००५), अरुण मिश्र, हम न बोलेंगे मगर...


wah wah bahut khoob arun ji.............!
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mkv
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«Reply #5 on: April 21, 2013, 06:15:57 PM »
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Namaste Sir
nihayat khoobsurat aur dilkash khayaalo se sajee ghazal kahee hai aapne.. bahut bahut mubarakbaad.
Par ye ashaar khoob bhaaye mujhe..
नाज़ो - अंदाज़  के,  सुनते  हैं,  बड़े  रसिया हो।
मैं  भी तो  जानूँ ,  मेरे  नाज़  उठाओ तो  सही।।
   
हाँ   हमें   हीरों के  कंगन  की,  तमन्ना  तो है।
तुम हरे काँच  की कुछ चूड़ियाँ  लाओ तो सही।।   

हम ‘अरुन’ फूलों को, समझेंगे फ़लक के तारे।
तुम मेरे जूड़े में,  इक गजरा  लगाओ तो सही।।

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«Reply #6 on: April 21, 2013, 08:18:07 PM »
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beautiful
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prashad
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«Reply #7 on: April 22, 2013, 01:21:35 PM »
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awesome
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suman59
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«Reply #8 on: April 22, 2013, 01:25:14 PM »
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ग़ज़ल

हम न बोलेंगे मगर .........


-अरुण मिश्र.

हम न बोलेंगे मगर,  फिर भी बुलाओ तो सही।
यूँ  कि,  हम रूठे हुये,  हमको मनाओ तो सही।।
   
नाज़ो - अंदाज़  के,  सुनते  हैं,  बड़े  रसिया हो।
मैं  भी तो  जानूँ ,  मेरे  नाज़  उठाओ तो  सही।।
 
बात  छोटी सी  भी,  तुम  दिल पे लगा लेते हो।
कुछ बड़ी बात न मैं,  दिल से लगाओ तो सही।।
 
हाँ   हमें   हीरों के  कंगन  की,  तमन्ना  तो है।
तुम हरे काँच  की कुछ चूड़ियाँ  लाओ तो सही।।
 
हम ‘अरुन’ फूलों को, समझेंगे फ़लक के तारे।
तुम मेरे जूड़े में,  इक गजरा  लगाओ तो सही।।
                           *


ग़ज़ल, (२००५), अरुण मिश्र, हम न बोलेंगे मगर...

Greattt ghazal. bahut si daad arun sb
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Bishwajeet Anand Bsu
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«Reply #9 on: April 22, 2013, 02:11:21 PM »
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bahut bahut khoob Arun Ji...
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Iftakhar Ahmad
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«Reply #10 on: April 22, 2013, 09:48:55 PM »
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Waah waah bahut hi khoob Arun jee, kaafi achhi lagi ye ghazal.
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ParwaaZ
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«Reply #11 on: April 22, 2013, 10:10:50 PM »
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Mishraa Jee Aadaab...!


WaaH jee waaH kya kahne bahut khoob bahut umdaa ...
badi hi khoob gazal kahi hai jee is umda aur khoobsurat gazal par humari hazaaroN dili daad O mubbarakbad kabul kijiye...

Likhate rahiye.... bazm meiN aate rahiye...
Shaad O aabaad rahiye...

Khuda Hafez.. Usual Smile
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«Reply #12 on: May 29, 2013, 06:33:56 PM »
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Congratulations,

Your beautiful creation has been featured in Yoindia Shayariadab May 2013 newsletter, hopefully you will continue to grace Yoindia Shayariadab with your creations and beautiful words. For more information you can see Yoindia Shayariadab May 2013 Newsletter.
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