तुम जो बदले तो by samir parimal

by samir parimal on April 01, 2013, 12:26:41 AM
Pages: [1]
ReplyPrint
Author  (Read 891 times)
samir parimal
Guest
Reply with quote
एक बिलकुल नयी ग़ज़ल पेशे-खिदमत है, आपकी मोहब्बत का तलबगार हूँ...

तुम जो बदले तो ज़माने को बदलते देखा,
 भींगी पलकों पे समंदर को मचलते देखा.
 
जब भी दीदार ख्यालों ने किया है तेरा,
 दौलते-हुस्न को अश'आर में ढलते देखा.
 
आसमां जैसे उतर आया शहर में तेरे,
 रात कूचे में तेरे चाँद टहलते देखा.
 
ठोकरें खा के संभलते हैं, सुना करते थे,
 ठोकरें खा के भी आशिक़ को फिसलते देखा.
 
बेवफा उसको कहें, गैर-मुनासिब होगा,
 इश्क़ की आग में पत्थर भी उबलते देखा.
 
हम तो सदियों से मोहब्बत को जिया करते हैं,
 वरना दुनिया को तिज़ारत पे ही पलते देखा.
 
गैर-मुमकिन नहीं कुछ दौरे-वफ़ा में 'परिमल',
 फूल के जिस्म में काँटों को पिघलते देखा.
 
        - समीर परिमल
Logged
marhoom bahayaat
Guest
«Reply #1 on: April 01, 2013, 01:27:10 AM »
Reply with quote
एक बिलकुल नयी ग़ज़ल पेशे-खिदमत है, आपकी मोहब्बत का तलबगार हूँ...

तुम जो बदले तो ज़माने को बदलते देखा,
 भींगी पलकों पे समंदर को मचलते देखा.
 
जब भी दीदार ख्यालों ने किया है तेरा,
 दौलते-हुस्न को अश'आर में ढलते देखा.
 
आसमां जैसे उतर आया शहर में तेरे,
 रात कूचे में तेरे चाँद टहलते देखा.
 
ठोकरें खा के संभलते हैं, सुना करते थे,
 ठोकरें खा के भी आशिक़ को फिसलते देखा.
 
बेवफा उसको कहें, गैर-मुनासिब होगा,
 इश्क़ की आग में पत्थर भी उबलते देखा.
 
हम तो सदियों से मोहब्बत को जिया करते हैं,
 वरना दुनिया को तिज़ारत पे ही पलते देखा.
 
गैर-मुमकिन नहीं कुछ दौरे-वफ़ा में 'परिमल',
 फूल के जिस्म में काँटों को पिघलते देखा.
 
        - समीर परिमल


gr8888888888888888888,sir
Logged
Advo.RavinderaRavi
Guest
«Reply #2 on: April 01, 2013, 01:38:05 AM »
Reply with quote
Nice.
Logged
sbechain
Guest
«Reply #3 on: April 01, 2013, 01:58:31 AM »
Reply with quote
एक बिलकुल नयी ग़ज़ल पेशे-खिदमत है, आपकी मोहब्बत का तलबगार हूँ...

तुम जो बदले तो ज़माने को बदलते देखा,
 भींगी पलकों पे समंदर को मचलते देखा.
wah wah .........!
जब भी दीदार ख्यालों ने किया है तेरा,
 दौलते-हुस्न को अश'आर में ढलते देखा.
bahut khoob..............!
आसमां जैसे उतर आया शहर में तेरे,
 रात कूचे में तेरे चाँद टहलते देखा.
 kya kahne ji wah wah.......!
ठोकरें खा के संभलते हैं, सुना करते थे,
 ठोकरें खा के भी आशिक़ को फिसलते देखा.
  Laughing hard Laughing hard Laughing hard Laughing hardhaan ji sahi kaha dekha hai maine.....!
बेवफा उसको कहें, गैर-मुनासिब होगा,
 इश्क़ की आग में पत्थर भी उबलते देखा.
ye sher moqammal nahin hai meri samjh se apni baat ko sahi tariqe se nahin kah paa raha hai..............! icon_flower icon_flower
हम तो सदियों से मोहब्बत को जिया करते हैं,
 वरना दुनिया को तिज़ारत पे ही पलते देखा.
 
गैर-मुमकिन नहीं कुछ दौरे-वफ़ा में 'परिमल',
 फूल के जिस्म में काँटों को पिघलते देखा.

 khoob......!
 
        - समीर परिमल

bahut khoob.......!
Logged
Intezar
Guest
«Reply #4 on: April 01, 2013, 03:41:34 AM »
Reply with quote
bahut khoob ...!
Logged
sksaini4
Ustaad ae Shayari
*****

Rau: 853
Offline Offline

Gender: Male
Waqt Bitaya:
112 days, 8 hours and 51 minutes.
Posts: 36414
Member Since: Apr 2011


View Profile
«Reply #5 on: April 01, 2013, 12:14:21 PM »
Reply with quote
nice
Logged
Sudhir Ashq
Khususi Shayar
*****

Rau: 108
Offline Offline

Gender: Male
Waqt Bitaya:
16 days, 19 hours and 27 minutes.

Posts: 1813
Member Since: Feb 2013


View Profile WWW
«Reply #6 on: April 01, 2013, 01:32:57 PM »
Reply with quote

तुम जो बदले तो ज़माने को बदलते देखा,
 भींगी पलकों पे समंदर को मचलते देखा.
 
जब भी दीदार ख्यालों ने किया है तेरा,
 दौलते-हुस्न को अश'आर में ढलते देखा.
 
आसमां जैसे उतर आया शहर में तेरे,
 रात कूचे में तेरे चाँद टहलते देखा.
 
ठोकरें खा के संभलते हैं, सुना करते थे,
 ठोकरें खा के भी आशिक़ को फिसलते देखा.
 
बेवफा उसको कहें, गैर-मुनासिब होगा,
 इश्क़ की आग में पत्थर भी उबलते देखा.
 
हम तो सदियों से मोहब्बत को जिया करते हैं,
 वरना दुनिया को तिज़ारत पे ही पलते देखा.
 
गैर-मुमकिन नहीं कुछ दौरे-वफ़ा में 'परिमल',
 फूल के जिस्म में काँटों को पिघलते देखा.
 
        - समीर परिमल

Wah,Wah Parimalji,Bahut khoob ghazal kahi hai aapne.Such me lazabab.Mubarak ho aapko.
Logged
ParwaaZ
Guest
«Reply #7 on: April 01, 2013, 02:23:07 PM »
Reply with quote
Parimal Jee Aadaab!


bahut khoob janab bahut khob badi hi khoobsurat aur umdaa kalaam kahi hai aapne... bade hi umdaa khayaal aur behad khoobsurat adaygi rahi.. Usual Smile


Sabhi ashaar behad khoob rahe janab.. is khoobsurat aur umdaa kalaam par humari hazaaroN dili daad O mubbarakbad kabul kijiye... Usual Smile


Likhate rahiye... bazm meiN aate rahiye...
Shaad O aabaad rahiye..

Khuda Hafez.. Usual Smile




जब भी दीदार ख्यालों ने किया है तेरा,
 दौलते-हुस्न को अश'आर में ढलते देखा.
 
आसमां जैसे उतर आया शहर में तेरे,
 रात कूचे में तेरे चाँद टहलते देखा.
 
ठोकरें खा के संभलते हैं, सुना करते थे,
 ठोकरें खा के भी आशिक़ को फिसलते देखा.
 
गैर-मुमकिन नहीं कुछ दौरे-वफ़ा में 'परिमल',
 फूल के जिस्म में काँटों को पिघलते देखा.
 
        - समीर परिमल


[/color][/font][/size]
[/b]
Logged
ghayal_shayar
Guest
«Reply #8 on: April 18, 2013, 09:26:33 AM »
Reply with quote
parimal saaheb, umdaa bayaangi hi aapki, umeed karta huN yuNhi aage v aapko padhte rehne ka muka milta rahegaa...
Logged
iAdmin
Administrator
Yoindian Shayar
*****

Rau: 14
Offline Offline

Waqt Bitaya:
49 days, 23 hours and 12 minutes.

Posts: 3125
Member Since: Dec 2003


View Profile
«Reply #9 on: May 29, 2013, 06:33:19 PM »
Reply with quote
Congratulations,

Your beautiful creation has been featured in Yoindia Shayariadab May 2013 newsletter, hopefully you will continue to grace Yoindia Shayariadab with your creations and beautiful words. For more information you can see Yoindia Shayariadab May 2013 Newsletter.
Logged
Pages: [1]
ReplyPrint
Jump to:  

+ Quick Reply
With a Quick-Reply you can use bulletin board code and smileys as you would in a normal post, but much more conveniently.


Get Yoindia Updates in Email.

Enter your email address:

Ask any question to expert on eTI community..
Welcome, Guest. Please login or register.
Did you miss your activation email?
December 23, 2024, 01:49:26 AM

Login with username, password and session length
Recent Replies
by mkv
[December 22, 2024, 05:36:15 PM]

[December 19, 2024, 08:27:42 AM]

[December 17, 2024, 08:39:55 AM]

[December 15, 2024, 06:04:49 AM]

[December 13, 2024, 06:54:09 AM]

[December 10, 2024, 08:23:12 AM]

[December 10, 2024, 08:22:15 AM]

by Arif Uddin
[December 03, 2024, 07:06:48 PM]

[November 26, 2024, 08:47:05 AM]

[November 21, 2024, 09:01:29 AM]
Yoindia Shayariadab Copyright © MGCyber Group All Rights Reserved
Terms of Use| Privacy Policy Powered by PHP MySQL SMF© Simple Machines LLC
Page created in 0.161 seconds with 25 queries.
[x] Join now community of 8508 Real Poets and poetry admirer