बग़ावतों का तभी तो धुआँ नहीं मिलता..."परम"

by Anaarhi on May 10, 2013, 11:52:10 AM
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Anaarhi
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बग़ावतों का तभी तो धुआँ नहीं मिलता,
कि इंकलाब को अब नौजवां नहीं मिलता.

य़ूँ क़त्ल दिन में कई बार रूह होती है,
बदन पे ज़ख़्म का लेकिन निशां नही मिलता.

न सौंपिए बिना परखे किसी को दस्तारें,
सभी के कांधे पे सर तो मियां नहीं मिलता.

हुज़ूर गीत है --" सारे जहांन से अच्छा ",
हक़ीक़तों में ये हिंदोस्तां नहीं मिलता.

नगर कहूँ या इसे कंकरीट का जंगल,
कि मक़बरे मिले लेकिन मकां नहीं मिलता.

किए जा कर्म ये गीता का ज्ञान है प्यारे,
वहाँ मिलेगा अगर फल यहाँ नहीं मिलता.

बहुत विकट हुआ करती है राह शोहरत की,
ए दोस्त पथ ये कभी ढालवां नहीं मिलता.

"निदा" ग़ज़ल से तिरीहो कोई परम जो ग़ज़ल,
हदे निगाह तलक वो ब्यां नहीं मिलता.

"परम" १०/०५/२०१३

तभी वो डूब के मरने की दे गए धमकी,
उन्हें पता है नगर में कुआं नहीं मिलता........ laughing4
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suman59
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«Reply #1 on: May 10, 2013, 11:57:23 AM »
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बग़ावतों का तभी तो धुआँ नहीं मिलता,
कि इंकलाब को अब नौजवां नहीं मिलता.

य़ूँ क़त्ल दिन में कई बार रूह होती है,
बदन पे ज़ख़्म का लेकिन निशां नही मिलता.

न सौंपिए बिना परखे किसी को दस्तारें,
सभी के कांधे पे सर तो मियां नहीं मिलता.

हुज़ूर गीत है --" सारे जहांन से अच्छा ",
हक़ीक़तों में ये हिंदोस्तां नहीं मिलता.

नगर कहूँ या इसे कंकरीट का जंगल,
कि मक़बरे मिले लेकिन मकां नहीं मिलता.

किए जा कर्म ये गीता का ज्ञान है प्यारे,
फल उस पे छोङ कि मिलता है यां नहीं मिलता.

बहुत विकट हुआ करती है राह शोहरत की,
ए दोस्त पथ ये कभी ढालवां नहीं मिलता.

"निदा" ग़ज़ल से तिरी कह सके परम जो ग़ज़ल,
हदे निगाह तलक सूरमां नहीं मिलता.

"परम" १०/०५/२०१३

तभी वो डूब के मरने की दे गए धमकी,
उन्हें पता है नगर में कुआं नहीं मिलता........ laughing4  Thumbs UP

wah excellant ghazal
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F.H.SIDDIQUI
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«Reply #2 on: May 10, 2013, 12:23:58 PM »
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 bahut  khoob
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Rana Khamose
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«Reply #3 on: May 10, 2013, 01:07:56 PM »
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kabile tareef wah
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mkv
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«Reply #4 on: May 10, 2013, 01:27:10 PM »
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बग़ावतों का तभी तो धुआँ नहीं मिलता,
कि इंकलाब को अब नौजवां नहीं मिलता.
Kya khoob matla hai. kitna kuch kah diya aapne. hats off to you Sir


हुज़ूर गीत है --" सारे जहांन से अच्छा ",
हक़ीक़तों में ये हिंदोस्तां नहीं मिलता.
ekdam durust farmaaya hai aapne. kisi ka sapna..sapna bankar hi rah gaya

बहुत विकट हुआ करती है राह शोहरत की,
ए दोस्त पथ ये कभी ढालवां नहीं मिलता. aaj ke zamaane me dost..WAH WAH WAH

तभी वो डूब के मरने की दे गए धमकी,
उन्हें पता है नगर में कुआं नहीं मिलता........ chullu bhar paani me doob jaana accha hai.. ab to dhokha aur dhokebaazo ka zamaana hai..sach kaha...jubaan chalee jaaye par..jaan bacha kar rakhna accha.. Laughing hard Laughing hard Laughing hard Laughing hard Laughing hard Laughing hard

Is umda ghazal par dili daad qubool kareN
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sksaini4
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«Reply #5 on: May 10, 2013, 02:45:43 PM »
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bahut khoob
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Bhupinder Kaur
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«Reply #6 on: May 10, 2013, 02:46:42 PM »
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Very true said, Superb hai ji..................
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Sudhir Ashq
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«Reply #7 on: May 10, 2013, 03:00:23 PM »
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Wah,Wah,Wah Superb.
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aqsh
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«Reply #8 on: May 10, 2013, 04:54:37 PM »
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waah waah waah. bahut khoob. behad umda ashaar rahe. dilse mubarakbad qubool kare.
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ParwaaZ
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«Reply #9 on: May 10, 2013, 05:15:25 PM »
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Paramjeet Jee Aadaab...!


Bahut khoob janab, kya kahne badi hi umdaa inqalaabi kalaam kahi hai aapne...
bade achche ashaar rahe... Usual Smile

Puri kalaam qabil e daad hai janab... Humari hazaaroN dili daad O mubbarakbad kabul kijiye... Usual Smile

Bazm meiN aate rahiye... Shaad O aabaad rahiye...
Khuda Hafez... Usual Smile

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marhoom bahayaat
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«Reply #10 on: May 10, 2013, 05:46:54 PM »
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बग़ावतों का तभी तो धुआँ नहीं मिलता,
कि इंकलाब को अब नौजवां नहीं मिलता.

य़ूँ क़त्ल दिन में कई बार रूह होती है,
बदन पे ज़ख़्म का लेकिन निशां नही मिलता.

न सौंपिए बिना परखे किसी को दस्तारें,
सभी के कांधे पे सर तो मियां नहीं मिलता.

हुज़ूर गीत है --" सारे जहांन से अच्छा ",
हक़ीक़तों में ये हिंदोस्तां नहीं मिलता.

नगर कहूँ या इसे कंकरीट का जंगल,
कि मक़बरे मिले लेकिन मकां नहीं मिलता.

किए जा कर्म ये गीता का ज्ञान है प्यारे,
फल उस पे छोङ कि मिलता है यां नहीं मिलता.

बहुत विकट हुआ करती है राह शोहरत की,
ए दोस्त पथ ये कभी ढालवां नहीं मिलता.

"निदा" ग़ज़ल से तिरी कह सके परम जो ग़ज़ल,
हदे निगाह तलक सूरमां नहीं मिलता.

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तभी वो डूब के मरने की दे गए धमकी,
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«Reply #11 on: May 10, 2013, 09:54:19 PM »
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य़ूँ क़त्ल दिन में कई बार रूह होती है, बदन पे ज़ख़्म का लेकिन निशां नही मिलता.

gazabbbbbb param ji gazabbbb is sher ne aurr last sher ne to bas baazi maar li sari gazal me.......
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adil bechain
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«Reply #12 on: May 10, 2013, 10:10:04 PM »
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बग़ावतों का तभी तो धुआँ नहीं मिलता,
कि इंकलाब को अब नौजवां नहीं मिलता.

य़ूँ क़त्ल दिन में कई बार रूह होती है,
बदन पे ज़ख़्म का लेकिन निशां नही मिलता.

न सौंपिए बिना परखे किसी को दस्तारें,
सभी के कांधे पे सर तो मियां नहीं मिलता.

हुज़ूर गीत है --" सारे जहांन से अच्छा ",
हक़ीक़तों में ये हिंदोस्तां नहीं मिलता.

नगर कहूँ या इसे कंकरीट का जंगल,
कि मक़बरे मिले लेकिन मकां नहीं मिलता.

किए जा कर्म ये गीता का ज्ञान है प्यारे,
फल उस पे छोङ कि मिलता है यां नहीं मिलता.

बहुत विकट हुआ करती है राह शोहरत की,
ए दोस्त पथ ये कभी ढालवां नहीं मिलता.

"निदा" ग़ज़ल से तिरी कह सके परम जो ग़ज़ल,
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waaaaaaaaaaaaaaaaah
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RAJAN KONDAL
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«Reply #13 on: May 11, 2013, 03:22:07 AM »
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Anaarhi
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«Reply #14 on: May 11, 2013, 04:55:19 PM »
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दोस्तो काफिए की दो ग़लतियां थीं इस ग़ज़ल में ....उन को सुधारते हुए दो शेरों को edit किया है...
आप सभी का ग़लतीयां नज़रअंदाज़ करने का शुक्रिया....
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