abdbundeli
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Khwaab thaa apnaa yeh safar: chalo, ganeemat hai! Dard thaa sirf lamhey bhar: chalo, ganeemat hai!!
Waaqiyah yuun hai: ham binaa marey hi, mar jaatey; Ab na tadpeyngey umra bhar: chalo, ganeemat hai!
Aik lamhey to lagaa thaa, ki, main jannat mein huun; Koyi baaqee na thee qasar: chalo, ganeemat hai!
Jigar ka baag tha gulzaar, par khizaan hai ab; Lagee hai bas usey nazar: chalo, ganeemat hai!
Khoon sey meyrey, unkey lab hain surkh moongon-sey! Huaa to unpai kuchh asar: chalo, ganeemat hai!!
Ham ney, yeh sach hai, ki, taareekiyon ko jheylaa hai! Aaj bhi hoga par sahar: chalo, ganeemat hai!!
Jins har ho rahee hai arsh ka gul, kyaa keejey? Ho rahee par guzar-basar: chalo, ganeemat hai!!
Kiyaa hai goki bahut baad-e-tund ney beyzaar; Nazar mein firbhi hai dagar: chalo, ganeemat hai!
Yeh haqeeqat hai, 'abd', ou' azal sey hai jaaree: Gul khilaa, jaayegaa wikhar: chalo, ganeemat hai!
ख्वाब था अपना यह सफ़र : चलो , गनीमत है ! दर्द था सिर्फ लम्हे भर : चलो , गनीमत है !
वाकिया यूं है : हम बिना मरे ही , मर जाते ; अब न तड़पेंगे उम्र भर : चलो , गनीमत है !
एक लमहे तो लगा था , कि , मैं जन्नत में हूँ ; कोई बाकी न थी कसर : चलो , गनीमत है !
जिगर का बाग़ था गुलज़ार , पर खिजां है अब ; लगी है बस उसे नज़र : चलो , गनीमत है !
खून से मेरे , उनके लब हैं सुर्ख मूँगों-से ! हुआ तो उनपे कुछ असर : चलो , गनीमत है !
हम ने , यह सच है , कि , तारीकियों को झेला है ! आज भी होगा पर सहर : चलो , गनीमत है !
जिंस हर हो रही है अर्श का गुल , क्या कीजे ? हो रही पर गुज़र-बसर : चलो , गनीमत है !
किया है गोकि बहुत बादे तुन्द ने बेजार ; नज़र में फिरभी है डगर : चलो , गनीमत है !
यह हकीकत है , 'अबद', औ' अज़ल से है जारी : गुल खिला , जाएगा विखर : चलो , गनीमत है !
- अबद बुन्देली / abd bundeli
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