ghazal

by ajayagyat on July 27, 2013, 09:56:50 AM
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ajayagyat
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आफतों की बारिशों से छा गईं तारीकियाँ
हर कोई हैरतज़दा है देख कर बदहालियाँ ...
इस तरह अफलाक से टूटी बलायेँ नागहां
एक पल में उड गयी इन हौसलों की धज्जियाँ ...
आरजू ,हसरत,तमन्ना,रेज़ा रेज़ा हो गईं
वक़्त के हाथों में देखीं नाचती कठपुतलियाँ ....
चाहे जब पल में बदल देता हवाओं का तू रुख
ए खुदा मुझ को नहीं भाती तेरी गुस्ताखियाँ ....
खुद मेरी तक़दीर मुझ से साजिशें करती रही
दम ब दम मिलती रहीं मुझ को यहाँ नाकामियाँ ....
दर्द के साहिल पे ला कर छोड़ दी है ज़िंदगी
ले रही है आज कुदरत किस कदर अंगड़ाइयाँ ....
कुरबतों के दरमियाँ भी फासले हैं क्यूँ भला
काटने को दौड़ती हैं मुझ को ये तन्हाईयाँ ....
अश्क के कतरे बयां करते हैं सारी दास्ताँ
उलझनें,मजबूरियाँ , बेचैनियाँ ,बरबादियाँ ....
रोज़ ए महशर के नज़ारे देखने को मिल रहे
बढ़ रही हैं रफ्ता रफ्ता चार सू दुश्वारियाँ ....
लग गया है तेरी खातिर खाक का बिस्तर कहीं
चल अजय अज्ञात कर ले चलने की तैयारियाँ ...
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«Reply #1 on: July 27, 2013, 02:56:10 PM »
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आफतों की बारिशों से छा गईं तारीकियाँ
हर कोई हैरतज़दा है देख कर बदहालियाँ ...

इस तरह अफलाक से टूटी बलायेँ नागहां
एक पल में उड गयी इन हौसलों की धज्जियाँ ...

आरजू ,हसरत,तमन्ना,रेज़ा रेज़ा हो गईं
वक़्त के हाथों में देखीं नाचती कठपुतलियाँ ....

चाहे जब पल में बदल देता हवाओं का तू रुख
ए खुदा मुझ को नहीं भाती तेरी गुस्ताखियाँ ....

खुद मेरी तक़दीर मुझ से साजिशें करती रही
दम ब दम मिलती रहीं मुझ को यहाँ नाकामियाँ ....

दर्द के साहिल पे ला कर छोड़ दी है ज़िंदगी
ले रही है आज कुदरत किस कदर अंगड़ाइयाँ ....

कुरबतों के दरमियाँ भी फासले हैं क्यूँ भला
काटने को दौड़ती हैं मुझ को ये तन्हाईयाँ ....

अश्क के कतरे बयां करते हैं सारी दास्ताँ
उलझनें,मजबूरियाँ , बेचैनियाँ ,बरबादियाँ ....

रोज़ ए महशर के नज़ारे देखने को मिल रहे
बढ़ रही हैं रफ्ता रफ्ता चार सू दुश्वारियाँ ....

लग गया है तेरी खातिर खाक का बिस्तर कहीं
चल अजय अज्ञात कर ले चलने की तैयारियाँ ...


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F.H.SIDDIQUI
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«Reply #2 on: July 27, 2013, 03:04:59 PM »
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Advo.RavinderaRavi
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«Reply #3 on: July 27, 2013, 05:23:09 PM »
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«Reply #4 on: July 27, 2013, 11:45:49 PM »
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अश्क के कतरे बयां करते हैं सारी दास्ताँ
उलझनें,मजबूरियाँ , बेचैनियाँ ,बरबादियाँ ....

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nandbahu
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«Reply #5 on: July 28, 2013, 02:16:24 PM »
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bahut khoob
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mkv
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«Reply #6 on: August 31, 2013, 03:17:48 PM »
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Har sher laajavaab
is muqammal ghazal par dil mubarakbaad

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