मैं कवी हूँ दोस्त,
न जाने कितने शब्दों के मोती पिरो कर आ रहा हूँ...
कहीं गीत,कहीं गजल; कहीं कविताये लुटाकर आ रहा हूँ
कल ही की बात हैं यारां, तुझसे क्या छिपाना दिलदारा..
इक मुशायरे में बेहिसाब जान फूंक कर आया हूँ...
"इक बार और..!!" की हर ख्वाहिश पर,
नयी नज्म तराश कर आया हूँ...
कुछ दिन पहले कवी सम्मलेन का था आयोजन...
सभी ने किया था अपने छंदों का अद्भुत प्रदर्शन...
अपनी अलंकारिक रचनाओ की धुनी बिखेर दी मैंने...
उस प्रदर्शन को चार चाँद लगा कर आ रहा हूँ...
अब तुमसे क्या हरकत हैं मित्र..
बीते हफ्ते बना रहा सत्र आलिशान...
मराठी कविताओ के नाम लिख दी मैंने वो शाम...
अपनी मिट्टी का खूब सन्मान कर आय हूँ...
दिन-ब-दिन मैं लाजवाबी को शिकस्त दे रहा हूँ..
मैं तो कवी हूँ दोस्त,
न जाने कितने शब्दों के मोती पिरो कर आ रहा हूँ...
लेकिन मेरे यार; तुझसे परदा क्या हैं ..!
तेरी नजरो से मेरा मसला छुपा क्या हैं..!!
तू ही बता,घर में बच्चा खली पेट सो जाये तो...
ऐसी उकुबत में लिखूं इसमे उरूज ही क्या हैं..?
कल भी बेगम इब्तिला छिपा कर इब्तिसाम बिखेरती रही...
सिने में सिसक छिपाए,इज्तिराब को सहती रही...
लेकिन बेचारी को गुमान न हुआ,के शोहर शायर है उसका...
पगली,बारिश को बदली ही से छिपाती रही...
बारिश देख तो ली पर वजह से बेगुमान थ..
आधी रात तक इसी लिए नींद से तार्रुफ़ न था...
जाकर देखा जब रसोई में...चूल्हा ठंडा था...बर्तन भी कोई झूठा न था..
सनक सी दौड़ गयी तब जी को काँट कर...
मतलबी हूँ,जो सिर्फ कविताओ में जी रहा हूँ...
नादारी में लिप्त आँगन,भूखा सोया हैं और मैं..
नाशिनास,शब्दों के मोती पिरो रहा हूँ..
ज्यादा कुछ कहना नहीं हैं यार,
बस कुछ पैसे चाहिए थे उधार...
क्योकि फाँके पेट ज्यादा चलता नहीं संसार...
र्बैत का टूटा दिया तेल बिना दूर करता नहीं अन्धःकार..!
ज्यादा नहीं थोड़ी मोहलत मैं ही लौटा दूंगा..
जल्द ही कोई न कोई काम तलाश लूँगा..
इन शब्दों के अमिरी की राह में अब लाखों सुइयाँ चुभती हैं...
आज एहसास हुआ दोस्त ,गजलो-नज्मो से दिल बहलता हैं..
लेकिन चूल्हे की आग नहीं धधगती हैं....!
आज मैं इक निवाले को मोहताज बैठा हूँ...
और लोग कहते हैं..मैं बड़ा आमिर इंसान हूँ,
शब्दों के मोती पिरोता हूँ...
कभी गजल,कभी गीत कभी कविताये लुटता रहता हूँ.........!!!
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------------------------------------***प्रारब्ध***(२०/०६/२०११)------
-------शब्दार्थ..-------
उक़ूबत= यातना
उरूज= महानता
इब्तिला= दुर्भाग्य, कष्ट, पीड़ा
इब्तिसाम= मुस्कुराहट, उल्लास
इज़्तिराब= चिन्ता,बेचैनी
तार्रुफ़=भेट,पहचान
नादारी=गरीबी,निर्धनता
नाशिनास= अज्ञानी
फाँके=भूखे
र्बैत= घर,