Mere Haath Khaali ye Jaan kar

by Anaarhi on October 12, 2011, 07:25:48 AM
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Anaarhi
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नहीं कुछ यहाँ ये फ़कीर सब चाहे लिख गए हैं दिवार पर,
तो भी चाहतों का ये हाल है चड़े चादरें हैं मज़ार पर.

अभी कल तलक कोहे नूर थे देखो मिट गये हैं निशान भी,
मेरे हाथ खाली ये जान कर – मिलें सब के ख़ाली क़ग़ार पर.

वो सितम ज़रीफ़ थी और मुझे लगी ज़िन्दगी भी अज़ीज़तर ,
बड़ी बदमिजाज़ ये मौत है - मैं लुटा इसी एतबार पर.
 
वे पुराने ज़ख्म तो भर गए मिटे उन के सगरे निशान भी ,
मेरे दोस्तों को ख़बर तो दो - रक्खे खंजरो को वो धार पर.

वो ख़लिश ही इतनी हसीन थी कि दिलओ जिग़र के थे होश गुम,
बे नक़ाब गुल जो न देखता तो मैं मर मिटा ही था ख़ार पर.

लगीं ज़िन्दगी को जो ठोकरें तो हकीकतें हुईं रूबरू
मेरी हसरतें हैं खमोश सब ,हैं ख़ुमार सारे उतार पर.

लगे दाग़ कितने ही रूह को - रहे साफ़ कैसे ये पैरहन ,
कि लहू ही इसका इलाज है इसे धोना तुम कई बार पर

ये ग़ज़ल नहीं कोई ज़ुल्फ़े ख़म जो के हर अनाड़ी संवार ले,
न है ज्ञान इल्मे उरूज़ का हो सुख्नवरों में शुमार पर .

मिली जिन्दगी से जो नेंमतें था अनाड़ी क्या हक़दार तू,
ये जो कम समझ के दुखी सा है पाया तूने है बेशुमार पर.

"Anaarhi"

26th August 2011
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khujli
Guest
«Reply #1 on: October 12, 2011, 07:59:22 AM »
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नहीं कुछ यहाँ ये फ़कीर सब चाहे लिख गए हैं दिवार पर,
तो भी चाहतों का ये हाल है चड़े चादरें हैं मज़ार पर.

अभी कल तलक कोहे नूर थे देखो मिट गये हैं निशान भी,
मेरे हाथ खाली ये जान कर – मिलें सब के ख़ाली क़ग़ार पर.

वो सितम ज़रीफ़ थी और मुझे लगी ज़िन्दगी भी अज़ीज़तर ,
बड़ी बदमिजाज़ ये मौत है - मैं लुटा इसी एतबार पर.
 
वे पुराने ज़ख्म तो भर गए मिटे उन के सगरे निशान भी ,
मेरे दोस्तों को ख़बर तो दो - रक्खे खंजरो को वो धार पर.

वो ख़लिश ही इतनी हसीन थी कि दिलओ जिग़र के थे होश गुम,
बे नक़ाब गुल जो न देखता तो मैं मर मिटा ही था ख़ार पर.

लगीं ज़िन्दगी को जो ठोकरें तो हकीकतें हुईं रूबरू
मेरी हसरतें हैं खमोश सब ,हैं ख़ुमार सारे उतार पर.

लगे दाग़ कितने ही रूह को - रहे साफ़ कैसे ये पैरहन ,
कि लहू ही इसका इलाज है इसे धोना तुम कई बार पर

ये ग़ज़ल नहीं कोई ज़ुल्फ़े ख़म जो के हर अनाड़ी संवार ले,
न है ज्ञान इल्मे उरूज़ का हो सुख्नवरों में शुमार पर .

मिली जिन्दगी से जो नेंमतें था अनाड़ी क्या हक़दार तू,
ये जो कम समझ के दुखी सा है पाया तूने है बेशुमार पर.

"Anaarhi"

26th August 2011


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Anaarhi
Guest
«Reply #2 on: October 14, 2011, 05:10:07 AM »
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Thanks Qalb sahab
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mkv
Guest
«Reply #3 on: October 14, 2011, 06:10:43 AM »
Reply with quote
Bahut khoob anaarhi ji
likhti rahe.
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Anaarhi
Guest
«Reply #4 on: October 27, 2011, 03:43:58 AM »
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Bahut khoob anaarhi ji
likhti rahe.
Bahut khoob anaarhi ji
likhti rahe.
Thanks MKV Sahab... khyaal pasand kerney ka shukriya
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