SURESH SANGWAN
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है दरमियाँ जो आज वो परदा हटाकर देख लेते हैं इन फूलों की तरहा हम भी मुस्कुराकर देख लेते हैं
डोर हाथ में है हवाएँ साथ में हैं तो डरना कैसा खुले इन आसमानों में पतंग उड़ाकर देख लेते हैं
रंग हैं बिखरे-बिखरे मेरे कुछ ख़्वाब हैं खोये-खोये तेरी उल्फ़त के साये में सबको बुलाकर देख लेते हैं
हमसे बयां ना हो सका शायद तुम वो पहलू देख सको कोई दिलरुबा सी आओ ग़ज़ल सुनाकर देख लेते हैं
चैन कुछ सुकून कुछ राहत की तलब है दिल-ए-बेचैन को कोई देर को जमाने से दूर जाकर देख लेते हैं
थके उठते हैं क्यूँ जो उठते हैं सारी रात के सोए तेरे नाम की जानम इक रात जगाकर देख लेते हैं
हमारी सुने और समझे भी हमें है ज़ुस्तज़ू उसकी'सरु' इन बेगानों से किसी को अपना बनाकर देख लेते हैं
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Bishwajeet Anand Bsu
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«Reply #1 on: June 21, 2014, 10:41:50 PM » |
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Waah Waah Waah....... Bahut Bahut Khoob Suresh Jee... Khoobsurat Peshkash par dheron daad...
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NakulG
Maqbool Shayar
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«Reply #2 on: June 21, 2014, 10:48:49 PM » |
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waah!! bahut khoob!!
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SURESH SANGWAN
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«Reply #3 on: June 21, 2014, 11:01:25 PM » |
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हौसला अफजाही के लिए और अपना क़ीमती वक़्त देने का बहुत बहुत शुक्रिया......Mussahib ji Waah Waah Waah....... Bahut Bahut Khoob Suresh Jee... Khoobsurat Peshkash par dheron daad...
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marhoom bahayaat
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«Reply #4 on: June 21, 2014, 11:37:05 PM » |
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है दरमियाँ जो आज वो परदा हटाकर देख लेते हैं इन फूलों की तरहा हम भी मुस्कुराकर देख लेते हैं
डोर हाथ में है हवाएँ साथ में हैं तो डरना कैसा खुले इन आसमानों में पतंग उड़ाकर देख लेते हैं
रंग हैं बिखरे-बिखरे मेरे कुछ ख़्वाब हैं खोये-खोये तेरी उल्फ़त के साये में सबको बुलाकर देख लेते हैं
हमसे बयां ना हो सका शायद तुम वो पहलू देख सको कोई दिलरुबा सी आओ ग़ज़ल सुनाकर देख लेते हैं
चैन कुछ सुकून कुछ राहत की तलब है दिल-ए-बेचैन को कोई देर को जमाने से दूर जाकर देख लेते हैं
थके उठते हैं क्यूँ जो उठते हैं सारी रात के सोए तेरे नाम की जानम इक रात जगाकर देख लेते हैं
हमारी सुने और समझे भी हमें है ज़ुस्तज़ू उसकी'सरु' इन बेगानों से किसी को अपना बनाकर देख लेते हैं
nice,ma'am
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SURESH SANGWAN
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«Reply #5 on: June 21, 2014, 11:38:51 PM » |
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thanks a lot sir ji nice,ma'am
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SURESH SANGWAN
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«Reply #6 on: June 21, 2014, 11:39:52 PM » |
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हौसला अफजाही के लिए और अपना क़ीमती वक़्त देने का बहुत बहुत शुक्रिया...... waah!! bahut khoob!!
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jeet jainam
Khaas Shayar
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my rule no type no life and ,i m happy single
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«Reply #7 on: June 22, 2014, 12:53:33 AM » |
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nandbahu
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«Reply #9 on: June 22, 2014, 03:18:53 PM » |
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mind blowing
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amit_prakash_meet
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«Reply #10 on: June 22, 2014, 04:54:20 PM » |
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SURESH SANGWAN
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«Reply #12 on: June 22, 2014, 05:01:26 PM » |
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SURESH SANGWAN
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«Reply #13 on: June 22, 2014, 05:02:09 PM » |
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SURESH SANGWAN
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«Reply #14 on: June 22, 2014, 05:07:42 PM » |
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हौसला अफजाही के लिए और अपना क़ीमती वक़्त देने का बहुत बहुत शुक्रिया...... mind blowing
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