TU Nazar aai na vaisa ghar nazar aaya...............saru

by SURESH SANGWAN on March 02, 2019, 02:40:30 PM
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SURESH SANGWAN
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तू नज़र आई न वैसा घर नज़र आया मुझे
माँ तेरे बिन और ही मंज़र नज़र आया मुझे

ख़्वाब हसरत प्यार उल्फ़त हौसला है चीज़ क्या
माँ तेरी ही  छांव में रहकर नज़र आया मुझे

जिस ख़ुदा जिस ईश्वर की बात करते लोग हैं
अक्स उसका भी तेरे अंदर नज़र आया मुझे

माँ गुरु तू रहनुमा तू और मेरी जान भी
हाथ तेरा हर समय सर पर  नज़र आया मुझे

आस्माँ सा दिल सितारे जैसे हो आँचल तेरा
और आंखों में कोई सागर नज़र आया मुझे

मैं कहाँ जाऊं कहाँ देखूं तुझे अब ये बता
ना कहीं तू ना तेरा पैकर नज़र आया मुझे

जानती हूं ये ज़माना एक मुश्त- ए- ख़ाक़ है
कीमती गौहर तू ही ज़ेवर नज़र आया मुझे

गीत तेरे गूंजते हैं कान में मेरे सदा
इल्म तेरा हर घड़ी रहबर नज़र आया मुझे

तू सदा ही साथ थी जब मैं सजाती ख़्वाब थी
हसरतों का काफ़िला बेघर नज़र आया मुझे

याद तेरी बाद में आंसू मेरे पहले गिरे
ये बहारों की फज़ां पतझर नजर आया मुझे


सुरेश सांगवान ' सरू'


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«Reply #1 on: March 02, 2019, 09:57:35 PM »
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Aapke likhe ki kitni bhi tareef karen kam hai, ab yahan par bahot hi kam log rah gaye hain jo aap ki tarha sonch samajh kar Sher ke wazan ka lehaz aur Qhafia aur Radeef ko imandari se nibhaten hain.....
Kaash ke group ke kuch members (including me) aapki poetry ko padh padh kar likhne ka dhang hasil karen i mean likhna seekhen Usual Smile

anyway hamesha ki tarha Shandar Jandar Dhamakedar so aapki khdmat me Rau hazir hai Usual Smile
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«Reply #2 on: March 02, 2019, 10:12:23 PM »
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तू नज़र आई न वैसा घर नज़र आया मुझे
माँ तेरे बिन और ही मंज़र नज़र आया मुझे

ख़्वाब हसरत प्यार उल्फ़त हौसला है चीज़ क्या
माँ तेरी ही  छांव में रहकर नज़र आया मुझे

जिस ख़ुदा जिस ईश्वर की बात करते लोग हैं
अक्स उसका भी तेरे अंदर नज़र आया मुझे

माँ गुरु तू रहनुमा तू और मेरी जान भी
हाथ तेरा हर समय सर पर  नज़र आया मुझे

आस्माँ सा दिल सितारे जैसे हो आँचल तेरा
और आंखों में कोई सागर नज़र आया मुझे

मैं कहाँ जाऊं कहाँ देखूं तुझे अब ये बता
ना कहीं तू ना तेरा पैकर नज़र आया मुझे

जानती हूं ये ज़माना एक मुश्त- ए- ख़ाक़ है
कीमती गौहर तू ही ज़ेवर नज़र आया मुझे

गीत तेरे गूंजते हैं कान में मेरे सदा
इल्म तेरा हर घड़ी रहबर नज़र आया मुझे

तू सदा ही साथ थी जब मैं सजाती ख़्वाब थी
हसरतों का काफ़िला बेघर नज़र आया मुझे

याद तेरी बाद में आंसू मेरे पहले गिरे
ये बहारों की फज़ां पतझर नजर आया मुझे


सुरेश सांगवान ' सरू'


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Bahut hee khoobsurat qalaam hai Suresh Jee Dheron daad. Aap kee yeh post main pehle bhi Februay 28th ko parhh chukaa hoon. Phir se Rau haair hai.
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