Zindagi ke aakhri lamhoN meiN manmani na kar.. Sadiq Rizvi

by Sadiq Rizvi on November 08, 2011, 04:42:29 PM
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Sadiq Rizvi
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ख़ुदकुशी कर के अमानतदार नादानी न कर
एक़तेज़ाए ज़िंदगी से फेल-ए-शैतानी न कर

है क़दम-बोसी को तेरे सामने मंजिल खड़ी
मुख़्तसर राहे-सफ़र को इतना तूलानी न कर

फ़ूंक कर क़दमों को रक्खा करते हैं अहले ख़िरद
ज़िंदगी के आख़िरी लम्हों में मनमानी न कर

जिसको सुन के जज़्बा-ए नफ़रत का तूफां हो खड़ा
अपनी तक़रीरों में पैदा ऐसी तुगयानी न कर

फक्रो-फाक़े में निहां है ज़िंदगी की हर खुशी
बात कहता हूँ पते की इस पे हैरानी न कर

जिस्म की रह से गुज़र कर नफ्स मत कर मुतमइन
ख्वाहिशों के जाल में फंसने की नादानी न कर

खैरमक़दम मेहमाँ का झुक के कर 'सादिक़' मगर
मासवा खालिक के इतनी खंदह पेशानी न कर       Sadiq Rizvi
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mkv
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«Reply #1 on: November 08, 2011, 05:09:00 PM »
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Bahut Khoob Sadiq ji
Umda peshkash.. Daad kubool kare.
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ParwaaZ
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«Reply #2 on: November 08, 2011, 06:21:35 PM »
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Rizvi Sahaab Aadaab!

Bahut khub aur umdaa khayaalat bayaaN kiye
hai janab.. Sabhi ashaaroN meiN gazab ki
gehrai hai ... Usual Smile

Aapki yeH positive soch behad khub lagi hume..
Humari dili daad O mubarakbad kabul kijiye. Usual Smile

Likhate rahiye.. Khush O aabaad rahiye.
Aate rahiye..
Khuda Hafez.. Usual Smile   

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sksaini4
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«Reply #3 on: November 09, 2011, 03:43:48 AM »
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sadiq saheb bahoot khoob kahaa aapne mubaarak ho
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sunildehgawani
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«Reply #4 on: November 09, 2011, 07:56:58 AM »
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rizvi sahab bahut hi khub assar hain ....ek taar taar jindagi ko ek baaar fir se jeene ka hausla  diya hai aapne ....
ख़ुदकुशी कर के अमानतदार नादानी न कर
एक़तेज़ाए ज़िंदगी से फेल-ए-शैतानी न कर

है क़दम-बोसी को तेरे सामने मंजिल खड़ी
मुख़्तसर राहे-सफ़र को इतना तूलानी न कर

फ़ूंक कर क़दमों को रक्खा करते हैं अहले ख़िरद
ज़िंदगी के आख़िरी लम्हों में मनमानी न कर

जिसको सुन के जज़्बा-ए नफ़रत का तूफां हो खड़ा
अपनी तक़रीरों में पैदा ऐसी तुगयानी न कर

फक्रो-फाक़े में निहां है ज़िंदगी की हर खुशी
बात कहता हूँ पते की इस पे हैरानी न कर

जिस्म की रह से गुज़र कर नफ्स मत कर मुतमइन
ख्वाहिशों के जाल में फंसने की नादानी न कर

खैरमक़दम मेहमाँ का झुक के कर 'सादिक़' मगर
मासवा खालिक के इतनी खंदह पेशानी न कर       Sadiq Rizvi
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Satish Shukla
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«Reply #5 on: November 09, 2011, 12:01:34 PM »
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Sadiq Rizvi Sahab,

Waah waah bahut khoob..

Dili mubaarakbaad qubool farmaayen.

Satish Shukla 'Raqeeb'
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Sadiq Rizvi
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«Reply #6 on: November 10, 2011, 06:41:08 AM »
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Saini Sahab,
 
Get well soon and many many thanks to praise my
poetry.

Sadiq Rizvi
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sbechain
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«Reply #7 on: November 11, 2011, 01:09:45 PM »
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ख़ुदकुशी कर के अमानतदार नादानी न कर
एक़तेज़ाए ज़िंदगी से फेल-ए-शैतानी न कर

है क़दम-बोसी को तेरे सामने मंजिल खड़ी
मुख़्तसर राहे-सफ़र को इतना तूलानी न कर

फ़ूंक कर क़दमों को रक्खा करते हैं अहले ख़िरद
ज़िंदगी के आख़िरी लम्हों में मनमानी न कर

जिसको सुन के जज़्बा-ए नफ़रत का तूफां हो खड़ा
अपनी तक़रीरों में पैदा ऐसी तुगयानी न कर

फक्रो-फाक़े में निहां है ज़िंदगी की हर खुशी
बात कहता हूँ पते की इस पे हैरानी न कर

जिस्म की रह से गुज़र कर नफ्स मत कर मुतमइन
ख्वाहिशों के जाल में फंसने की नादानी न कर

खैरमक़दम मेहमाँ का झुक के कर 'सादिक़' मगर
मासवा खालिक के इतनी खंदह पेशानी न कर       Sadiq Rizvi


zindagi ke aakhri lamho.n mein manmani na kar. khoobsurat ghazal khoobsurat khayaal. waah sadiq sahab.
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Sadiq Rizvi
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«Reply #8 on: November 11, 2011, 03:35:08 PM »
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Sheba ji  aap ko pasand aayee uska bahut bahut shukria
 Sadiq Rizvi
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marhoom bahayaat
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«Reply #9 on: December 03, 2011, 11:49:51 AM »
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ख़ुदकुशी कर के अमानतदार नादानी न कर
एक़तेज़ाए ज़िंदगी से फेल-ए-शैतानी न कर

है क़दम-बोसी को तेरे सामने मंजिल खड़ी
मुख़्तसर राहे-सफ़र को इतना तूलानी न कर

फ़ूंक कर क़दमों को रक्खा करते हैं अहले ख़िरद
ज़िंदगी के आख़िरी लम्हों में मनमानी न कर

जिसको सुन के जज़्बा-ए नफ़रत का तूफां हो खड़ा
अपनी तक़रीरों में पैदा ऐसी तुगयानी न कर

फक्रो-फाक़े में निहां है ज़िंदगी की हर खुशी
बात कहता हूँ पते की इस पे हैरानी न कर

जिस्म की रह से गुज़र कर नफ्स मत कर मुतमइन
ख्वाहिशों के जाल में फंसने की नादानी न कर

खैरमक़दम मेहमाँ का झुक के कर 'सादिक़' मगर
मासवा खालिक के इतनी खंदह पेशानी न कर       Sadiq Rizvi



sadiq sahab we must follow what you have said in your valuable ghazal.
   its a great privelege to listen from you. mindblowing sir . beautiful composition. i wish if i would have talent like you to portray my feelings in same way .
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mkv
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«Reply #10 on: September 20, 2013, 11:58:18 PM »
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फक्रो-फाक़े में निहां है ज़िंदगी की हर खुशी
बात कहता हूँ पते की इस पे हैरानी न कर

जिस्म की रह से गुज़र कर नफ्स मत कर मुतमइन
ख्वाहिशों के जाल में फंसने की नादानी न कर

Laajavaab.. behatreen..
Kahan hain aap sir..
aapki acchi sehat ke liye duaayen.
is mayaar ki ghazlen..bas gini chuni padhne ko milti hai.
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livingbytheday
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«Reply #11 on: September 21, 2013, 01:57:06 AM »
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waah bahut khoob
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With a Quick-Reply you can use bulletin board code and smileys as you would in a normal post, but much more conveniently.


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