आशिक़ी बेमिसाल लगती है

by Sadiq Rizvi on November 04, 2011, 12:41:37 PM
Pages: [1]
ReplyPrint
Author  (Read 827 times)
Sadiq Rizvi
Guest
Reply with quote
जो जवानी कमाल लगती है
ढल के जाँ का वबाल लगती है

मौत दूं या जिला दूं मैं इसको
ज़िंदगी एक सवाल लगती है

बन गयी है ख़याल का पैकर
आशिक़ी बेमिसाल लगती है

वक़्त पर काम आ गयी यारी
दोस्ती बाकमाल लगती है

एक मुफलिस ज़दा को ख़ामोशी
फक्रो-फाक़े की ढाल लगती है

हुस्ने जाँना की हर रविश अब तो
फंसने का एक जाल लगती है

बेहयाई निगाहे आक़िल में
दौर-ए-नौ का ज़वाल लगती है

दिल में बुगज़ो-हसद हो रुख पे खुशी
फितरते बद्खिसाल लगती है

दीन-ए-'सादिक़' में फितना फ़ैलाना
मुल्क दुश्मन की चाल लगती है



sadiq rizvi

   
Logged
mkv
Guest
«Reply #1 on: November 04, 2011, 01:44:06 PM »
Reply with quote
जो जवानी कमाल लगती है
ढल के जाँ का वबाल लगती है

मौत दूं या जिला दूं मैं इसको
ज़िंदगी एक सवाल लगती है

बन गयी है ख़याल का पैकर
आशिक़ी बेमिसाल लगती है

वक़्त पर काम आ गयी यारी
दोस्ती बाकमाल लगती है

एक मुफलिस ज़दा को ख़ामोशी
फक्रो-फाक़े की ढाल लगती है

हुस्ने जाँना की हर रविश अब तो
फंसने का एक जाल लगती है

बेहयाई निगाहे आक़िल में
दौर-ए-नौ का ज़वाल लगती है

दिल में बुगज़ो-हसद हो रुख पे खुशी
फितरते बद्खिसाल लगती है

दीन-ए-'सादिक़' में फितना फ़ैलाना
मुल्क दुश्मन की चाल लगती है



sadiq rizvi

   

Bahut Bahut khoob Sadiq ji
bahut behatrin likha hai apne.. DAAD haajir hai janaab.
Logged
F.H.SIDDIQUI
Guest
«Reply #2 on: November 04, 2011, 02:57:08 PM »
Reply with quote
Behayaai nigah e aaqil mein ;
Daur e nau ka zawaal lagti hai.
       bahut khoob,Sadiq saheb.
Logged
Satish Shukla
Khususi Shayar
*****

Rau: 51
Offline Offline

Gender: Male
Waqt Bitaya:
25 days, 6 hours and 16 minutes.

Posts: 1862
Member Since: Apr 2011


View Profile
«Reply #3 on: November 05, 2011, 04:51:49 AM »
Reply with quote

Janab Sadik Rizvi Sahab,

Waah waah bahut khoobsoorat
ghazal pesh kee hai aapne...

Mubaarakbaad qubool farmaayen.

Satish Shukla 'Raqeeb'
Logged
charanjit chandwal
Guest
«Reply #4 on: November 05, 2011, 01:27:10 PM »
Reply with quote
बेह्द खूबसूरत
Logged
sksaini4
Ustaad ae Shayari
*****

Rau: 853
Offline Offline

Gender: Male
Waqt Bitaya:
112 days, 8 hours and 51 minutes.
Posts: 36414
Member Since: Apr 2011


View Profile
«Reply #5 on: November 05, 2011, 01:56:03 PM »
Reply with quote
saadiq saheb badaa khoobsoorat kahaa hai mubaarak ho
Logged
mamta bajpai
Guest
«Reply #6 on: November 05, 2011, 10:32:33 PM »
Reply with quote
जो जवानी कमाल लगती है
ढल के जाँ का वबाल लगती है

मौत दूं या जिला दूं मैं इसको
ज़िंदगी एक सवाल लगती है

बन गयी है ख़याल का पैकर
आशिक़ी बेमिसाल लगती है

वक़्त पर काम आ गयी यारी
दोस्ती बाकमाल लगती है

एक मुफलिस ज़दा को ख़ामोशी
फक्रो-फाक़े की ढाल लगती है

हुस्ने जाँना की हर रविश अब तो
फंसने का एक जाल लगती है

बेहयाई निगाहे आक़िल में
दौर-ए-नौ का ज़वाल लगती है

दिल में बुगज़ो-हसद हो रुख पे खुशी
फितरते बद्खिसाल लगती है

दीन-ए-'सादिक़' में फितना फ़ैलाना
मुल्क दुश्मन की चाल लगती है



sadiq rizvi

   
Laajawaab kaavish kaa nazr-nawaaz honaa bhee taqdeer kee baat hai or aisee taqdeer humaaree hai jo aap kee ye behtareen gazal paRhane ko milii ......behad khoobsoorat andaaz me badee khoob bayaanee hai........dilii mubaarakbaad qubool farmaayeN.........
Logged
sbechain
Guest
«Reply #7 on: November 11, 2011, 01:31:59 PM »
Reply with quote
जो जवानी कमाल लगती है
ढल के जाँ का वबाल लगती है

मौत दूं या जिला दूं मैं इसको
ज़िंदगी एक सवाल लगती है

बन गयी है ख़याल का पैकर
आशिक़ी बेमिसाल लगती है

वक़्त पर काम आ गयी यारी
दोस्ती बाकमाल लगती है

एक मुफलिस ज़दा को ख़ामोशी
फक्रो-फाक़े की ढाल लगती है

हुस्ने जाँना की हर रविश अब तो
फंसने का एक जाल लगती है

बेहयाई निगाहे आक़िल में
दौर-ए-नौ का ज़वाल लगती है

दिल में बुगज़ो-हसद हो रुख पे खुशी
फितरते बद्खिसाल लगती है

दीन-ए-'सादिक़' में फितना फ़ैलाना
मुल्क दुश्मन की चाल लगती है



sadiq rizvi

   


ek muflis zadaa ko khamoshi.....wah bahut khoob sadiq sahab. behtreen ashhar se saji hui ghazal . daad,daad,daad
Logged
khujli
Guest
«Reply #8 on: November 27, 2011, 09:24:38 AM »
Reply with quote
जो जवानी कमाल लगती है
ढल के जाँ का वबाल लगती है

मौत दूं या जिला दूं मैं इसको
ज़िंदगी एक सवाल लगती है

बन गयी है ख़याल का पैकर
आशिक़ी बेमिसाल लगती है

वक़्त पर काम आ गयी यारी
दोस्ती बाकमाल लगती है

एक मुफलिस ज़दा को ख़ामोशी
फक्रो-फाक़े की ढाल लगती है

हुस्ने जाँना की हर रविश अब तो
फंसने का एक जाल लगती है

बेहयाई निगाहे आक़िल में
दौर-ए-नौ का ज़वाल लगती है

दिल में बुगज़ो-हसद हो रुख पे खुशी
फितरते बद्खिसाल लगती है

दीन-ए-'सादिक़' में फितना फ़ैलाना
मुल्क दुश्मन की चाल लगती है



sadiq rizvi

   


 Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause Usual Smile Usual Smile Usual Smile Usual Smile Usual Smile Usual Smile Usual Smile Usual Smile Usual Smile Usual Smile Usual Smile Usual Smile Usual Smile Usual Smile Usual Smile Usual Smile Usual Smile Usual Smile Usual Smile Usual Smile Usual Smile Usual Smile Usual Smile Usual Smile Usual Smile Usual Smile
Logged
mkv
Guest
«Reply #9 on: November 30, 2011, 12:51:31 PM »
Reply with quote
Sadiq ji
DAAD kubool kare
 Applause Applause Applause
Logged
Pages: [1]
ReplyPrint
Jump to:  

+ Quick Reply
With a Quick-Reply you can use bulletin board code and smileys as you would in a normal post, but much more conveniently.


Get Yoindia Updates in Email.

Enter your email address:

Ask any question to expert on eTI community..
Welcome, Guest. Please login or register.
Did you miss your activation email?
December 25, 2024, 08:22:49 AM

Login with username, password and session length
Recent Replies
by mkv
[December 22, 2024, 05:36:15 PM]

[December 19, 2024, 08:27:42 AM]

[December 17, 2024, 08:39:55 AM]

[December 15, 2024, 06:04:49 AM]

[December 13, 2024, 06:54:09 AM]

[December 10, 2024, 08:23:12 AM]

[December 10, 2024, 08:22:15 AM]

by Arif Uddin
[December 03, 2024, 07:06:48 PM]

[November 26, 2024, 08:47:05 AM]

[November 21, 2024, 09:01:29 AM]
Yoindia Shayariadab Copyright © MGCyber Group All Rights Reserved
Terms of Use| Privacy Policy Powered by PHP MySQL SMF© Simple Machines LLC
Page created in 0.123 seconds with 24 queries.
[x] Join now community of 8509 Real Poets and poetry admirer