कभी अपना बना कर

by sksaini4 on September 30, 2011, 02:26:26 PM
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sksaini4
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कभी अपना  बना कर  देख लेते |
हमें  भी आज़मा कर  देख लेते ||

हमारे पास आ  कर कर देख लेते |
ग़रूर अपना  भुला कर देख लेते ||

तड़प आँखों में  है होठों  पे नाले |
ज़रा लोगों में जा कर देख  लेते ||

नहीं आती ये नौबत ख़ुदकुशी  की |
अगर ख़ुद को मना कर देख लेते ||

ख़बर  आने  की  पहले भेज देते |
डगर हम भी  सजा कर देख लेते ||

हमें  तस्कीन  थोड़ी मिल ही जाती |
फ़क़त  नज़रें  उठा  कर देख लेते ||

अगर  अच्छा  कोई सामा मिले तो |
ग़ज़ल हम भी सुना कर  देख लेते ||

तुम्हे  तो नाज़ था अपनी  वफ़ा पर |
तो फिर तुम ही निभा कर देख लेते ||

हज़ारों   हमने   भेजे   हैं  तराने |
कभी  तो  गुनगुना  कर देख लेते ||

ग़मों ने  दी नहीं फ़ुरसत अभी तक |
ज़रा  हम  मुस्कुरा कर देख लेते ||

हदों  को  पार  क्यूँ करता समंदर ?
किनारों  को  बचा कर देख लेते ||
 
             डा० सुरेन्द्र सैनी
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sbechain
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«Reply #1 on: October 01, 2011, 08:21:03 AM »
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कभी अपना  बना कर  देख लेते |
हमें  भी आज़मा कर  देख लेते ||

हमारे पास आ  कर कर देख लेते |
ग़रूर अपना  भुला कर देख लेते ||

तड़प आँखों में  है होठों  पे नाले |
ज़रा लोगों में जा कर देख  लेते ||

नहीं आती ये नौबत ख़ुदकुशी  की |
अगर ख़ुद को मना कर देख लेते ||

ख़बर  आने  की  पहले भेज देते |
डगर हम भी  सजा कर देख लेते ||

हमें  तस्कीन  थोड़ी मिल ही जाती |
फ़क़त  नज़रें  उठा  कर देख लेते ||

अगर  अच्छा  कोई सामा मिले तो |
ग़ज़ल हम भी सुना कर  देख लेते ||

तुम्हे  तो नाज़ था अपनी  वफ़ा पर |
तो फिर तुम ही निभा कर देख लेते ||

हज़ारों   हमने   भेजे   हैं  तराने |
कभी  तो  गुनगुना  कर देख लेते ||

ग़मों ने  दी नहीं फ़ुरसत अभी तक |
ज़रा  हम  मुस्कुरा कर देख लेते ||

हदों  को  पार  क्यूँ करता समंदर ?
किनारों  को  बचा कर देख लेते ||
 
             डा० सुरेन्द्र सैनी

tumhein to naaz tha apni wafaa per,
phir tum hi nibha kar dekh lete



saare ash'aar ek se badh kar ek . wah bhai saini ji
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ParwaaZ
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«Reply #2 on: October 01, 2011, 11:49:21 AM »
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Saini Sahaab Aadaab!

Waah waah janab kia gazab ki kalaam pesh ki hai aapne..
Masha Allah bahut umdaa aur khub khayaloN ko itne choti
bher meiN ada kiya aapne .. bahut umdaa..

Sabhi Ashaar behad gehre aur khobb rahe janab...

Tah e dil se daad O mubarakbad kabul kijiye..
Likhate rahiye... Aate rahiye..

Khush O aabaad rahiye.. Khuda Hafez..
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usha rajesh
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«Reply #3 on: October 01, 2011, 03:56:10 PM »
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कभी अपना  बना कर  देख लेते |
हमें  भी आज़मा कर  देख लेते ||

हमारे पास आ  कर कर देख लेते |
ग़रूर अपना  भुला कर देख लेते ||

तड़प आँखों में  है होठों  पे नाले |
ज़रा लोगों में जा कर देख  लेते ||

नहीं आती ये नौबत ख़ुदकुशी  की |
अगर ख़ुद को मना कर देख लेते ||

ख़बर  आने  की  पहले भेज देते |
डगर हम भी  सजा कर देख लेते ||

हमें  तस्कीन  थोड़ी मिल ही जाती |
फ़क़त  नज़रें  उठा  कर देख लेते ||

अगर  अच्छा  कोई सामा मिले तो |
ग़ज़ल हम भी सुना कर  देख लेते ||

तुम्हे  तो नाज़ था अपनी  वफ़ा पर |
तो फिर तुम ही निभा कर देख लेते ||

हज़ारों   हमने   भेजे   हैं  तराने |
कभी  तो  गुनगुना  कर देख लेते ||

ग़मों ने  दी नहीं फ़ुरसत अभी तक |
ज़रा  हम  मुस्कुरा कर देख लेते ||

हदों  को  पार  क्यूँ करता समंदर ?
किनारों  को  बचा कर देख लेते ||
 
             डा० सुरेन्द्र सैनी
Saini ji,
Waaah! Kya khoob gazal kahi hai.
Har ek sher ek se badh kar ek hai.
Daad kubul farmaein.
Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause
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neeraj kirar
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«Reply #4 on: October 01, 2011, 04:41:34 PM »
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tumhein to naaz tha apni wafaa per,
phir tum hi nibha kar dekh lete



saare ash'aar ek se badh kar ek . wah bhai saini ji

kya bat hai janab
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F.H.SIDDIQUI
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«Reply #5 on: October 06, 2011, 07:24:05 AM »
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ख़बर  आने  की  पहले भेज देते |
डगर हम भी  सजा कर देख लेते ||

Bahut khoob, Dr. saheb




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