करी तूने कैसी तिजारत 'परम'

by Anaarhi on August 18, 2012, 04:47:08 AM
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Anaarhi
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मैं क़ातिल से रस्तों में डरता ही निकला,
था जिस में छुरा हाथ मेरा ही निकला.

मुसलमां ओ हिन्दू थे दंगाइयों में,
ज़नाज़ा हर इक घर से मेरा ही निकला.

रहा उम्र भर सर्द मेरा क़रीबी,
उसे छू के देखा तो साया ही निकला.

सभी की नज़र है कमाई पे मेरी,
हरम दैर का सच ये झगङा ही निकला.

तराज़ू पे रक्खा था सौ सेर का जो,
वो तौला गया जब तो मासा ही निकला.

यूँ आँखों में तो हसरतें भी हैं मेरी,
मग़र वक़्त आया तो दरिया ही निकला.

बनाया था तूने जो सोने का पिंजरा,
ए नांदां वो घर देख तेरा ही निकला.

मिलाउंगा नज़रें मैं क्या आइनों से,
अग़र झूठा किरदार मेरा ही निकला.

करी तूने कैसी तिजारत 'परम'
न कुछ भी कमाया न खर्चा ही निकला....

"परम" १५/०८/२०१२
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gaytri gupta
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«Reply #1 on: August 18, 2012, 05:24:30 AM »
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bahut badhiya ...
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sksaini4
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«Reply #2 on: August 18, 2012, 06:04:21 AM »
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speechless execellent marvellous bahut bahut badhaai
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khwahish
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«Reply #3 on: August 18, 2012, 08:32:02 AM »
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मैं क़ातिल से रस्तों में डरता ही निकला,
था जिस में छुरा हाथ मेरा ही निकला.

मुसलमां ओ हिन्दू थे दंगाइयों में,
ज़नाज़ा हर इक घर से मेरा ही निकला.

रहा उम्र भर सर्द मेरा क़रीबी,
उसे छू के देखा तो साया ही निकला.

सभी की नज़र है कमाई पे मेरी,
हरम दैर का सच ये झगङा ही निकला.

तराज़ू पे रक्खा था सौ सेर का जो,
वो तौला गया जब तो मासा ही निकला.

यूँ आँखों में तो हसरतें भी हैं मेरी,
मग़र वक़्त आया तो दरिया ही निकला.

बनाया था तूने जो सोने का पिंजरा,
ए नांदां वो घर देख तेरा ही निकला.

मिलाउंगा नज़रें मैं क्या आइनों से,
अग़र झूठा किरदार मेरा ही निकला.

करी तूने कैसी तिजारत 'परम'
न कुछ भी कमाया न खर्चा ही निकला....

"परम" १५/०८/२०१२


Excellent..Bahut Bahut Khooooob!!!!!

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Sps
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«Reply #4 on: August 18, 2012, 01:12:59 PM »
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bahot umda bahot khoob Pawan ji
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soudagar
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«Reply #5 on: August 18, 2012, 05:00:26 PM »
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bahut khub baht badhiya. Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley
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~Hriday~
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«Reply #6 on: August 20, 2012, 09:57:19 AM »
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Applause Applause Applause Applause Applause  bahut sundar, bahut khoob likha hai aapne Param ji... bahut khoob...!!!
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suman59
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«Reply #7 on: August 22, 2012, 04:40:40 PM »
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bahut khoob anaarhi jee
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Anaarhi
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«Reply #8 on: August 25, 2012, 12:11:42 PM »
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bahut badhiya ...
Thanks Gaytri Gupta Ji....
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Anaarhi
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«Reply #9 on: August 29, 2012, 04:53:30 AM »
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typing error correction....

करी तूने कैसी तिजारत 'परम' ये
न कुछ भी कमाया न खर्चा ही निकला....
thanks

"परम"
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adil bechain
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«Reply #10 on: August 29, 2012, 01:01:17 PM »
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मैं क़ातिल से रस्तों में डरता ही निकला,
था जिस में छुरा हाथ मेरा ही निकला.

मुसलमां ओ हिन्दू थे दंगाइयों में,
ज़नाज़ा हर इक घर से मेरा ही निकला.

रहा उम्र भर सर्द मेरा क़रीबी,
उसे छू के देखा तो साया ही निकला.

सभी की नज़र है कमाई पे मेरी,
हरम दैर का सच ये झगङा ही निकला.

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"परम" १५/०८/२०१२


waaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaah
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