ख़ुद से मुख़ातब- इक ग़ज़ल

by Anaarhi on May 30, 2014, 02:50:14 PM
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Anaarhi
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हर चीज़ में कमी ही परम ढूँढते हो क्यूँ,
मोरों के सिर्फ पैर ही तुम देखते हो क्यूँ.   

जब सोच का है फर्क तेरे मेरे दर्मियाँ,
अपने तराज़ुओं से मुझे तौलते हो क्यूँ.

देखे हैं सिर्फ ख़्वाब ही मैने उडान के,
पर काटते हो पैर मेरे बांधते हो क्यूँ.

बदहाल शक्ल ने मेरी सब तो बता दिया,
मिलते ही हाले दिल मिरा फिर पूछते हो क्यूँ

माना बदल गये यहाँ रस्मों रिवाज सब,
पूछा है सिर्फ़ हाल “परम" चीख़ते हो क्यूँ .

“परम” ३०/०५/२०१४

बनती है प्यार के पलों से ही जो ज़िंदगी
नफरत पिला पिला के उसे पालते हो क्य़ूँ.
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khamosh_aawaaz
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«Reply #1 on: May 30, 2014, 05:54:11 PM »
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हर चीज़ में कमी ही परम ढूँढते हो क्यूँ,
मोरों के सिर्फ पैर ही तुम देखते हो क्यूँ.   

जब सोच का है फर्क तेरे मेरे दर्मियाँ,
अपने तराज़ुओं से मुझे तौलते हो क्यूँ.

देखे हैं सिर्फ ख़्वाब ही मैने उडान के,
पर काटते हो पैर मेरे बांधते हो क्यूँ.

बदहाल शक्ल ने मेरी सब तो बता दिया,
मिलते ही हाले दिल मिरा फिर पूछते हो क्यूँ

माना बदल गये यहाँ रस्मों रिवाज सब,
पूछा है सिर्फ़ हाल “परम" चीख़ते हो क्यूँ .

“परम” ३०/०५/२०१४

बनती है प्यार के पलों से ही जो ज़िंदगी
नफरत पिला पिला के उसे पालते हो क्य़ूँ.


verii gud
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Advo.RavinderaRavi
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«Reply #2 on: May 31, 2014, 05:48:25 PM »
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Waah waah kya bat hai.................
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SURESH SANGWAN
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«Reply #3 on: June 01, 2014, 04:41:06 PM »
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हर चीज़ में कमी ही परम ढूँढते हो क्यूँ,
मोरों के सिर्फ पैर ही तुम देखते हो क्यूँ.   

जब सोच का है फर्क तेरे मेरे दर्मियाँ,
अपने तराज़ुओं से मुझे तौलते हो क्यूँ.

देखे हैं सिर्फ ख़्वाब ही मैने उडान के,
पर काटते हो पैर मेरे बांधते हो क्यूँ.

बदहाल शक्ल ने मेरी सब तो बता दिया,
मिलते ही हाले दिल मिरा फिर पूछते हो क्यूँ

माना बदल गये यहाँ रस्मों रिवाज सब,
पूछा है सिर्फ़ हाल “परम" चीख़ते हो क्यूँ .
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