ग़ज़ल

by Krishna Sukumar on March 19, 2013, 10:39:07 PM
Pages: [1]
ReplyPrint
Author  (Read 587 times)
Krishna Sukumar
Guest
Reply with quote
ग़ज़ल

कभी  हम  भीड़  में  कुछ यूँ  अकेले टूट जाते हैं
पता यह तक  नहीं  चलता  कहाँ से  टूट जाते हैं

कभी  कुछ  यूँ  चटकता है  हमारे अपने ही भीतर
कि  जैसे  पैरहन  के  चंद  धागे  टूट  जाते  हैं               पैरहन -वस्त्र या लिबास  

मेरी मासूमियत पर कुछ तरस खा कर ही रह जाते
ज़ियादा  दिन  नहीं  चलते  खिलौने  टूट जाते हैं    

कभी  शक  की नमी  बुनियाद में यूँ बैठ जाती है
रहे  मज़बूत  जो  कल  तक  घरौंदे  टूट जाते हैं    

बिछड़ना  फिर से मिलने की नयी उम्मीद लाता है
मगर ख़ुद से ख़फ़ा हो कर  जो बिछड़े टूट जाते हैं    


कृष्ण सुकुमार

Logged
Advo.RavinderaRavi
Guest
«Reply #1 on: March 19, 2013, 10:56:48 PM »
Reply with quote
Sundar
Logged
F.H.SIDDIQUI
Guest
«Reply #2 on: March 19, 2013, 11:13:33 PM »
Reply with quote
nice.
Logged
marhoom bahayaat
Guest
«Reply #3 on: March 19, 2013, 11:35:18 PM »
Reply with quote
ग़ज़ल

कभी  हम  भीड़  में  कुछ यूँ  अकेले टूट जाते हैं
पता यह तक  नहीं  चलता  कहाँ से  टूट जाते हैं

कभी  कुछ  यूँ  चटकता है  हमारे अपने ही भीतर
कि  जैसे  पैरहन  के  चंद  धागे  टूट  जाते  हैं              पैरहन -वस्त्र या लिबास 

मेरी मासूमियत पर कुछ तरस खा कर ही रह जाते
ज़ियादा  दिन  नहीं  चलते  खिलौने  टूट जाते हैं     

कभी  शक  की नमी  बुनियाद में यूँ बैठ जाती है
रहे  मज़बूत  जो  कल  तक  घरौंदे  टूट जाते हैं     

बिछड़ना  फिर से मिलने की नयी उम्मीद लाता है
मगर ख़ुद से ख़फ़ा हो कर  जो बिछड़े टूट जाते हैं   


कृष्ण सुकुमार



gr88,sir
Logged
ParwaaZ
Guest
«Reply #4 on: March 20, 2013, 01:22:11 AM »
Reply with quote
Krishnaa Jee Aadaab!


Badi khoob Gazal kahi hai jee, achche ahsaas O khayaaloN ko khoob
lafzoN meiN dhalaa hai aapne...

Waise toH sabhi ashaar behad khoob rahe par hume yeH quoted ashaar
waqai behad umdaa lage... Usual Smile

Humari dheroN dili daad O mubbarakbad kabul kijiye...
Bazm meiN aate rahiye...

Shaad O aabaad rhaiye..
Khuda Hafez... Usual Smile



ग़ज़ल


कभी  शक  की नमी  बुनियाद में यूँ बैठ जाती है
रहे  मज़बूत  जो  कल  तक  घरौंदे  टूट जाते हैं     

बिछड़ना  फिर से मिलने की नयी उम्मीद लाता है
मगर ख़ुद से ख़फ़ा हो कर  जो बिछड़े टूट जाते हैं   


कृष्ण सुकुमार


Logged
aqsh
Guest
«Reply #5 on: March 20, 2013, 02:09:38 PM »
Reply with quote
 Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley
kya baat hai krishna ji. behad umda kalaam rahi. dheron daad.
Logged
Pages: [1]
ReplyPrint
Jump to:  

+ Quick Reply
With a Quick-Reply you can use bulletin board code and smileys as you would in a normal post, but much more conveniently.


Get Yoindia Updates in Email.

Enter your email address:

Ask any question to expert on eTI community..
Welcome, Guest. Please login or register.
Did you miss your activation email?
December 25, 2024, 08:19:08 AM

Login with username, password and session length
Recent Replies
by mkv
[December 22, 2024, 05:36:15 PM]

[December 19, 2024, 08:27:42 AM]

[December 17, 2024, 08:39:55 AM]

[December 15, 2024, 06:04:49 AM]

[December 13, 2024, 06:54:09 AM]

[December 10, 2024, 08:23:12 AM]

[December 10, 2024, 08:22:15 AM]

by Arif Uddin
[December 03, 2024, 07:06:48 PM]

[November 26, 2024, 08:47:05 AM]

[November 21, 2024, 09:01:29 AM]
Yoindia Shayariadab Copyright © MGCyber Group All Rights Reserved
Terms of Use| Privacy Policy Powered by PHP MySQL SMF© Simple Machines LLC
Page created in 0.101 seconds with 22 queries.
[x] Join now community of 8509 Real Poets and poetry admirer