ग़ज़ल (कृष्ण सुकुमार)

by Krishna Sukumar on March 27, 2013, 08:28:56 PM
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Krishna Sukumar
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निरर्थक  ज़िन्दगी  का  सार्थक  उन्वान  कुछ  तो हो                          
मेरे  जीने  का  मक़्सद  है  मेरी पहचान कुछ तो हो

मेरी  ख़्वाहिश है  अपनी शर्त पर  जीना या मर जाना
तू इस कोशिश में है मुझ पर तेरा एहसान कुछ तो हो

वो  मेरी  दोस्ती  का  लुत्फ़  कुछ  ऐसे  उठाता  है
उसे  कुछ हो न हो हासिल  मुझे नुक़्सान कुछ तो हो

इजाज़त  दे  कि  मैं  अपने सफ़र में बस तुझे सोचूं
ख़यालों  के  सहारे  यह  सफ़र  आसान कुछ तो हो

ये  ख़स्लत  ही  नहीं  लौटा दे ख़ाली हाथ वो मुझको                        
हमेशा  चाहता  है   दर्द  का  सामान  कुछ  तो हो

मुझे  एहसास  तो  तब  हो  मेरे  होने न होने का
घृणा हो  या  तेरी नज़रों में  हो सम्मान कुछ तो हो

कृष्ण सुकुमार


 निरर्थक- बेकार की/ बेमत्लब
 उन्वान- शीर्षक
 ख़स्लत- स्वभाव/ आदत


चेतावनी: मेरे द्वारा योइंडिया पर जो भी ग़ज़ल या अन्य रचना  पूर्व में पोस्ट की जा चुकी है या भविष्य में पोस्ट की जाएगी, किसी न किसी पत्र-पत्रिका या पुस्तक संकलन  में  पूर्व-प्रकाशित  होती है तथा उन सभी के कॉपीराइट्स (सर्वाधिकार) मेरे पास सुरक्षित हैं। अत: बिना मेरी पूर्व-स्वीकृति के मेरी किसी भी ग़ज़ल या अन्य रचना के किसी भी अंश का  किसी भी रूप में पुनर्प्रकाशन या नक़ल की अनुमति नहीं है। अत: कृपया  कॉपीराइट्स (सर्वाधिकार) का उल्लंघन न करें।
कृष्ण सुकुमार

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sksaini4
Ustaad ae Shayari
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«Reply #1 on: March 27, 2013, 08:57:46 PM »
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beautiful
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anmolarora
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«Reply #2 on: March 27, 2013, 09:04:17 PM »
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very nice
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soudagar
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«Reply #3 on: March 27, 2013, 09:06:57 PM »
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BAHUT UMDA BAHUT BADHIYA LAJAWAB BEHAD  Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley
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aqsh
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«Reply #4 on: March 27, 2013, 10:08:04 PM »
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 Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause
bahut sundar rachna. dheron daad..
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Advo.RavinderaRavi
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«Reply #5 on: March 27, 2013, 11:18:25 PM »
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Khoob Surat............
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Saavan
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«Reply #6 on: March 28, 2013, 02:02:08 AM »
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alfaj nahi mil pa rahe ji
umda peshkash
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sbechain
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«Reply #7 on: March 28, 2013, 02:08:17 AM »
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निरर्थक  ज़िन्दगी  का  सार्थक  उन्वान  कुछ  तो हो                          
मेरे  जीने  का  मक़्सद  है  मेरी पहचान कुछ तो हो

मेरी  ख़्वाहिश है  अपनी शर्त पर  जीना या मर जाना
तू इस कोशिश में है मुझ पर तेरा एहसान कुछ तो हो

वो  मेरी  दोस्ती  का  लुत्फ़  कुछ  ऐसे  उठाता  है
उसे  कुछ हो न हो हासिल  मुझे नुक़्सान कुछ तो हो

इजाज़त  दे  कि  मैं  अपने सफ़र में बस तुझे सोचूं
ख़यालों  के  सहारे  यह  सफ़र  आसान कुछ तो हो

ये  ख़स्लत  ही  नहीं  लौटा दे ख़ाली हाथ वो मुझको                        
हमेशा  चाहता  है   दर्द  का  सामान  कुछ  तो हो

मुझे  एहसास  तो  तब  हो  मेरे  होने न होने का
घृणा हो  या  तेरी नज़रों में  हो सम्मान कुछ तो हो

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कृष्ण सुकुमार



wah wah wah bahut hi khoob.............!
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dksaxenabsnl
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«Reply #8 on: March 28, 2013, 03:32:01 PM »
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Wah.
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samir parimal
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«Reply #9 on: March 29, 2013, 01:39:57 AM »
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वाह... बहुत खूब... शानदार ग़ज़ल...
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suman59
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«Reply #10 on: March 31, 2013, 10:42:44 AM »
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bahut bahut khoob
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Iftakhar Ahmad
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«Reply #11 on: April 10, 2013, 06:59:02 AM »
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Sukumaar Jee, just awesome hamesha ki tarah. YoIndia pe aate rahiye.
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livingbytheday
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«Reply #12 on: April 10, 2013, 07:16:20 PM »
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waah bahut khoob
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With a Quick-Reply you can use bulletin board code and smileys as you would in a normal post, but much more conveniently.


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