ग़ज़ल (कृष्ण सुकुमार)

by Krishna Sukumar on April 14, 2013, 04:00:15 PM
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Krishna Sukumar
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हमें  अपना  जो लगता है तो अपना मान लेते हैं
हमारे  देश में  चन्दा  को  मामा  मान लेते हैं

घरों में आ  घुसी हैं  शान से  बाज़ार  की चीज़ें
जिन्हें हम अपनी तहज़ीबों का हिस्सा मान लेते हैं

कभी चीज़ों के साये इस तरह हम तक पहुँचते हैं
परायी चीज़  पर हम  अपना  दावा मान लेते हैं

समुन्दर में कोई  अब डूब कर मोती  नहीं चुनता
चमकता हो तो नक़्ली को भी सच्चा मान लेते हैं

ज़माने से जुदा  मालूम  है  हम रह नहीं सकते
मगर हम भीड़ में  ख़ुद को  अकेला मान लेते है

कृष्ण सुकुमार

चेतावनी:
     मेरे द्वारा योइंडिया पर जो भी ग़ज़ल या अन्य रचना पूर्व में पोस्ट की जा चुकी है या भविष्य में पोस्ट की जाएगी, किसी न किसी पत्र-पत्रिका  या पुस्तक संकलन  में पूर्व-प्रकाशित होती है तथा उन सभी के कॉपीराइट्स (सर्वाधिकार) मेरे पास सुरक्षित हैं। अत: बिना मेरी पूर्व-स्वीकृति के मेरी किसी भी ग़ज़ल या अन्य रचना के किसी भी अंश का किसी भी रूप में पुनर्प्रकाशन या नक़ल की अनुमति नहीं है। कृपया कॉपीराइट्स (सर्वाधिकार) का उल्लंघन न करें।
 कृष्ण सुकुमार
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suman59
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«Reply #1 on: April 14, 2013, 04:02:42 PM »
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हमें  अपना  जो लगता है तो अपना मान लेते हैं
हमारे  देश में  चन्दा  को  मामा  मान लेते हैं

घरों में आ  घुसी हैं  शान से  बाज़ार  की चीज़ें
जिन्हें हम अपनी तहज़ीबों का हिस्सा मान लेते हैं

कभी चीज़ों के साये इस तरह हम तक पहुँचते हैं
परायी चीज़  पर हम  अपना  दावा मान लेते हैं

समुन्दर में कोई  अब डूब कर मोती  नहीं चुनता
चमकता  हो तो  नक़्ली को भी अस्ली मान लेते

ज़माने से जुदा  मालूम  है  हम रह नहीं सकते
मगर हम भीड़ में  ख़ुद को  अकेला मान लेते है

कृष्ण सुकुमार

चेतावनी:
     मेरे द्वारा योइंडिया पर जो भी ग़ज़ल या अन्य रचना पूर्व में पोस्ट की जा चुकी है या भविष्य में पोस्ट की जाएगी, किसी न किसी पत्र-पत्रिका  या पुस्तक संकलन  में पूर्व-प्रकाशित होती है तथा उन सभी के कॉपीराइट्स (सर्वाधिकार) मेरे पास सुरक्षित हैं। अत: बिना मेरी पूर्व-स्वीकृति के मेरी किसी भी ग़ज़ल या अन्य रचना के किसी भी अंश का किसी भी रूप में पुनर्प्रकाशन या नक़ल की अनुमति नहीं है। कृपया कॉपीराइट्स (सर्वाधिकार) का उल्लंघन न करें।
 कृष्ण सुकुमार


beautiful  Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley
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ParwaaZ
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«Reply #2 on: April 14, 2013, 05:06:14 PM »
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Krishnaa Jee Aadaab!


WaaH waaH janab waaH kia kahne behad khoobsurat aur umdaa ashaar kahe haiN aapne.. aik khoobsurat kavish rahi janab... Usual Smile

Gazba ke khayaaloN ko achche ashaaroN meiN piroya hai aapne..
Is khoobsurat aur umdaa gazal par humari hazaaroN dili daad O mubbarakbad kabu;l kijiye.. Usual Smile

Likhate rahiye... bazm meiN aate rahiye..
Shaad O aabaad rahiye..

Khuda Hafez... Usual Smile


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mkv
Guest
«Reply #3 on: April 14, 2013, 08:01:11 PM »
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bahut hi khoobsurat khayaalo se labrej ghazal.
bahut bahut mubarakbaad.
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champak
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«Reply #4 on: April 14, 2013, 10:10:58 PM »
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umda......
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sbechain
Guest
«Reply #5 on: April 15, 2013, 03:11:51 AM »
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हमें  अपना  जो लगता है तो अपना मान लेते हैं
हमारे  देश में  चन्दा  को  मामा  मान लेते हैं

घरों में आ  घुसी हैं  शान से  बाज़ार  की चीज़ें
जिन्हें हम अपनी तहज़ीबों का हिस्सा मान लेते हैं

कभी चीज़ों के साये इस तरह हम तक पहुँचते हैं
परायी चीज़  पर हम  अपना  दावा मान लेते हैं

समुन्दर में कोई  अब डूब कर मोती  नहीं चुनता
चमकता हो तो नक़्ली को भी सच्चा मान लेते हैं

ज़माने से जुदा  मालूम  है  हम रह नहीं सकते
मगर हम भीड़ में  ख़ुद को  अकेला मान लेते है

कृष्ण सुकुमार

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     मेरे द्वारा योइंडिया पर जो भी ग़ज़ल या अन्य रचना पूर्व में पोस्ट की जा चुकी है या भविष्य में पोस्ट की जाएगी, किसी न किसी पत्र-पत्रिका  या पुस्तक संकलन  में पूर्व-प्रकाशित होती है तथा उन सभी के कॉपीराइट्स (सर्वाधिकार) मेरे पास सुरक्षित हैं। अत: बिना मेरी पूर्व-स्वीकृति के मेरी किसी भी ग़ज़ल या अन्य रचना के किसी भी अंश का किसी भी रूप में पुनर्प्रकाशन या नक़ल की अनुमति नहीं है। कृपया कॉपीराइट्स (सर्वाधिकार) का उल्लंघन न करें।
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wah wah wah khoob kalaam kahaa hai..........!
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CIC
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«Reply #6 on: April 15, 2013, 03:26:53 AM »
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Kya baat hai..

Wallah... chune hue aur jaise ki mala main piroye hue moti..

Daad Kubul kijiye janaab.. aur Rau bhi .

Kya baat hai, sirf 30 post aur 8 Rau.. . chhaa gaye aap.
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Iftakhar Ahmad
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«Reply #7 on: April 15, 2013, 03:56:26 AM »
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Bilkul sahi kaha aapne "CIC", I wish Sukumar jee aur chaaeN, bahut achha likhte haiN, mujhe kaafi pasand haiN inki ghazleiN. Ek Rau iss ghazal pe bhi meri taraf se.
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shubham goyal
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«Reply #8 on: April 15, 2013, 01:12:08 PM »
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 Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley
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sksaini4
Ustaad ae Shayari
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«Reply #9 on: April 15, 2013, 06:12:24 PM »
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Just superb
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krishna sukumaar
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«Reply #10 on: April 15, 2013, 10:59:20 PM »
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aap sabhi ka hardik dhanyvad
krishn sukumar
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