Bishwajeet 'Musaahib'
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प्यार का भी हिसाब रखिये ज़रा ... अपने चेहरे पे हिजाब रखिये ज़रा ...
माना समंदर है आपके पास साहब... पर पीने को पायाब रखिये ज़रा ...
हाथ मिलने से दिल मिलता है कहाँ... दिलों में भी आदाब रखिये ज़रा ...
अक्सर परखते हैं शोलों पे चलाकर ... पावं अपना भी जनाब रखिये ज़रा ...
सुकूं न पाएंगे दिल लगा कर आप .. दिल में इज़तिराब रखिये ज़रा ...
यूँ सवालों में क्यूँ उलझे उलझे हो .. आप अपना भी जवाब रखिये ज़रा ...
मिलते हैं राहों में हमकदम कितने .. अपना कहने में इंतिखाब रखिये ज़रा ...
वो सुनें तो कुछ कर गुज़र जाएं ... "मुसाहिब" ग़ज़ल में आब रखिये ज़रा ...
Pyaar Ka Bhi Hisaab Rakhiye Zara... Apne Chehre Pe Hizaab Rakhiye Zara...
Mana Samandar Hai Aapke Paas Sahab... Par Pine Ko Payaab Rakhiye Zara...
Hath Milne Se Dil Miltaa Hai KahaN... DiloN MeiN Bhi Adaab Rakhiye Zara...
Aksar Parakhte HaiN SholoN Pe Chalakar... Pawn Apnaa Bhi Janab Rakhiye Zara...
SukuN Na Payenge Dil Laga Kar Aap... Dil MeiN Iztiraab Rakhiye Zara...
YuN SawaloN MeiN KyuN Uljhe Uljhe Ho... Aap Apna Bhi Jawaab Rakhiye Zara...
Milte HaiN RahoN MeiN Hamkadam Kitne... Apnaa Kahne Mein Intikhaab Rakhiye Zara...
Wo SuneiN To Kuch Kar Guzar JayeiN... "Musaahib" Ghazal MeiN Aab Rakhiye Zara...
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sksaini4
Ustaad ae Shayari
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«Reply #1 on: November 15, 2013, 03:03:11 PM » |
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हाथ मिलने से दिल मिलता है कहाँ... दिलों में भी आदाब रखिये ज़रा ... यूँ सवालों में क्यूँ उलझे उलझे हो .. आप अपना भी जवाब रखिये ज़रा ... waah waah bahut khoob
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zarraa
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«Reply #2 on: November 15, 2013, 03:41:56 PM » |
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प्यार का भी हिसाब रखिये ज़रा ... अपने चेहरे पे हिजाब रखिये ज़रा ...
हाथ मिलने से दिल मिलता है कहाँ... दिलों में भी आदाब रखिये ज़रा ...
सुकूं न पाएंगे दिल लगा कर आप .. दिल में इज़तिराब रखिये ज़रा ...
मिलते हैं राहों में हमकदम कितने .. अपना कहने में इंतिखाब रखिये ज़रा ...
waah waah .... aashaar mein waqayee aab hai Musaahib ji .... Dheron daad !!!
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amit_prakash_meet
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«Reply #3 on: November 15, 2013, 03:47:59 PM » |
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khujli
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«Reply #4 on: November 15, 2013, 03:48:10 PM » |
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Bishwajeet Anand Bsu
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«Reply #5 on: November 15, 2013, 04:21:41 PM » |
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हाथ मिलने से दिल मिलता है कहाँ... दिलों में भी आदाब रखिये ज़रा ... यूँ सवालों में क्यूँ उलझे उलझे हो .. आप अपना भी जवाब रखिये ज़रा ... waah waah bahut khoob
Shukriyaa Sir..
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Bishwajeet Anand Bsu
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«Reply #6 on: November 15, 2013, 04:22:57 PM » |
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प्यार का भी हिसाब रखिये ज़रा ... अपने चेहरे पे हिजाब रखिये ज़रा ...
हाथ मिलने से दिल मिलता है कहाँ... दिलों में भी आदाब रखिये ज़रा ...
सुकूं न पाएंगे दिल लगा कर आप .. दिल में इज़तिराब रखिये ज़रा ...
मिलते हैं राहों में हमकदम कितने .. अपना कहने में इंतिखाब रखिये ज़रा ...
waah waah .... aashaar mein waqayee aab hai Musaahib ji .... Dheron daad !!!
Shukriyaa Zarra Ji...
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Bishwajeet Anand Bsu
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«Reply #7 on: November 15, 2013, 04:24:09 PM » |
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Bishwajeet Anand Bsu
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«Reply #8 on: November 15, 2013, 04:27:10 PM » |
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premdeep
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«Reply #9 on: November 15, 2013, 06:18:26 PM » |
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Yaash
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«Reply #10 on: November 15, 2013, 06:28:11 PM » |
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हाथ मिलने से दिल मिलता है कहाँ... दिलों में भी आदाब रखिये ज़रा ...
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Bishwajeet Anand Bsu
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«Reply #11 on: November 15, 2013, 11:05:27 PM » |
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Bishwajeet Anand Bsu
Guest
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«Reply #12 on: November 15, 2013, 11:06:22 PM » |
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हाथ मिलने से दिल मिलता है कहाँ... दिलों में भी आदाब रखिये ज़रा ... Shukriyaa Yash Ji..
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adil bechain
Umda Shayar
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«Reply #13 on: November 16, 2013, 12:05:33 AM » |
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प्यार का भी हिसाब रखिये ज़रा ... अपने चेहरे पे हिजाब रखिये ज़रा ... माना समंदर है आपके पास साहब... पर पीने को पायाब रखिये ज़रा ... हाथ मिलने से दिल मिलता है कहाँ... दिलों में भी आदाब रखिये ज़रा ... अक्सर परखते हैं शोलों पे चलाकर ... पावं अपना भी जनाब रखिये ज़रा ... सुकूं न पाएंगे दिल लगा कर आप .. दिल में इज़तिराब रखिये ज़रा ... यूँ सवालों में क्यूँ उलझे उलझे हो .. आप अपना भी जवाब रखिये ज़रा ... मिलते हैं राहों में हमकदम कितने .. अपना कहने में इंतिखाब रखिये ज़रा ... वो सुनें तो कुछ कर गुज़र जाएं ... "मुसाहिब" ग़ज़ल में आब रखिये ज़रा ... Pyaar Ka Bhi Hisaab Rakhiye Zara... Apne Chehre Pe Hizaab Rakhiye Zara...
Mana Samandar Hai Aapke Paas Sahab... Par Pine Ko Payaab Rakhiye Zara...
Hath Milne Se Dil Miltaa Hai KahaN... DiloN MeiN Bhi Adaab Rakhiye Zara...
Aksar Parakhte HaiN SholoN Pe Chalakar... Pawn Apnaa Bhi Janab Rakhiye Zara...
SukuN Na Payenge Dil Laga Kar Aap... Dil MeiN Iztiraab Rakhiye Zara...
YuN SawaloN MeiN KyuN Uljhe Uljhe Ho... Aap Apna Bhi Jawaab Rakhiye Zara...
Milte HaiN RahoN MeiN Hamkadam Kitne... Apnaa Kahne Mein Intikhaab Rakhiye Zara...
Wo SuneiN To Kuch Kar Guzar JayeiN... "Musaahib" Ghazal MeiN Aab Rakhiye Zara...
bahot khoob janab
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