दोस्त बन कर मुझे यारों ने ही मारे पत्थर.

by Anaarhi on December 22, 2012, 07:12:02 AM
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Anaarhi
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फ़लसफ़ः तू ये न समझेगा रे……जा रे पत्थर,
पेङ क्यों फल ही दे……. चाहे कोइ मारे पत्थर.

और इनको न तराशूंगा….. हटा रे पत्थर,
सब ख़ुदा हो गए…. मैंने जो सवारे पत्थर.

थरथराने ही लगें देख के मुझको शीशे,
तेरी सुहबत में ए बुत मैं भी हुआ रे पत्थर.

तेज़ तब तक ही था जब तक तू रहा अपनो में,
गोल पानी ने किए…. तेरे किनारे….. पत्थर.

गोल होकर भी न तासीर गई है इनकी,
चोट खाएगा रे नादाँ….न उठा रे पत्थर.

इन नक़ाबों को न पलटो न खुले राज़ "परम",
दोस्त बन कर मुझे यारों ने ही मारे पत्थर.

…"परम" ….. 22/12/2012
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F.H.SIDDIQUI
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«Reply #1 on: December 22, 2012, 07:27:26 AM »
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 Applause
  good
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ParwaaZ
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«Reply #2 on: December 22, 2012, 07:33:59 AM »
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Param Jee Aadaab!


WaH janab waaH kia kahne aapke bade hi khoob khayaal aur waqai
dilfareb ahsaasoN ki umdaa adaaygi ki hai aapne... Usual Smile

IS umdaa aur asardaar kalaam par humari dheroN daad O mubbarakbad
kabul kijiye... Usual Smile


Likhate rahiye... aate rahiye...
Shaad O aabaad rahiye...

Khuda Hafez...Usual Smile




फ़लसफ़ः तू ये न समझेगा रे……जा रे पत्थर,
पेङ क्यों फल ही दे……. चाहे कोइ मारे पत्थर.

और इनको न तराशूंगा….. हटा रे पत्थर,
सब ख़ुदा हो गए…. मैंने जो सवारे पत्थर.

थरथराने ही लगें देख के मुझको शीशे,
तेरी सुहबत में ए बुत मैं भी हुआ रे पत्थर.

तेज़ तब तक ही था जब तक तू रहा अपनो में,
गोल पानी ने किए…. तेरे किनारे….. पत्थर.

गोल होकर भी न तासीर गई है इनकी,
चोट खाएगा रे नादाँ….न उठा रे पत्थर.

इन नक़ाबों को न पलटो न खुले राज़ "परम",
दोस्त बन कर मुझे यारों ने ही मारे पत्थर.

…"परम" ….. 22/12/2012
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sksaini4
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«Reply #3 on: December 22, 2012, 07:46:21 AM »
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beautiful
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khujli
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«Reply #4 on: December 22, 2012, 08:14:08 AM »
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फ़लसफ़ः तू ये न समझेगा रे……जा रे पत्थर,
पेङ क्यों फल ही दे……. चाहे कोइ मारे पत्थर.

और इनको न तराशूंगा….. हटा रे पत्थर,
सब ख़ुदा हो गए…. मैंने जो सवारे पत्थर.

थरथराने ही लगें देख के मुझको शीशे,
तेरी सुहबत में ए बुत मैं भी हुआ रे पत्थर.

तेज़ तब तक ही था जब तक तू रहा अपनो में,
गोल पानी ने किए…. तेरे किनारे….. पत्थर.

गोल होकर भी न तासीर गई है इनकी,
चोट खाएगा रे नादाँ….न उठा रे पत्थर.

इन नक़ाबों को न पलटो न खुले राज़ "परम",
दोस्त बन कर मुझे यारों ने ही मारे पत्थर.

…"परम" ….. 22/12/2012



 Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP
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livingbytheday
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«Reply #5 on: December 22, 2012, 09:59:37 AM »
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brilliant, bahut khoobsurat
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sbechain
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«Reply #6 on: December 22, 2012, 10:54:05 AM »
Reply with quote
फ़लसफ़ः तू ये न समझेगा रे……जा रे पत्थर,
पेङ क्यों फल ही दे……. चाहे कोइ मारे पत्थर.

और इनको न तराशूंगा….. हटा रे पत्थर,
सब ख़ुदा हो गए…. मैंने जो सवारे पत्थर.

थरथराने ही लगें देख के मुझको शीशे,
तेरी सुहबत में ए बुत मैं भी हुआ रे पत्थर.

तेज़ तब तक ही था जब तक तू रहा अपनो में,
गोल पानी ने किए…. तेरे किनारे….. पत्थर.

गोल होकर भी न तासीर गई है इनकी,
चोट खाएगा रे नादाँ….न उठा रे पत्थर.

इन नक़ाबों को न पलटो न खुले राज़ "परम",
दोस्त बन कर मुझे यारों ने ही मारे पत्थर.

…"परम" ….. 22/12/2012


bahut khoob ..................!
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mkv
Guest
«Reply #7 on: December 22, 2012, 03:15:19 PM »
Reply with quote
फ़लसफ़ः तू ये न समझेगा रे……जा रे पत्थर,
पेङ क्यों फल ही दे……. चाहे कोइ मारे पत्थर. Bahut gahraai hai isme..wah wah

और इनको न तराशूंगा….. हटा रे पत्थर,
सब ख़ुदा हो गए…. मैंने जो सवारे पत्थर.  Applause Applause

थरथराने ही लगें देख के मुझको शीशे,
तेरी सुहबत में ए बुत मैं भी हुआ रे पत्थर. Kya baat hai.. kya khayaal hai..wah wah wah

तेज़ तब तक ही था जब तक तू रहा अपनो में,
गोल पानी ने किए…. तेरे किनारे….. पत्थर.  Thumbs UP Thumbs UP

गोल होकर भी न तासीर गई है इनकी,
चोट खाएगा रे नादाँ….न उठा रे पत्थर.  Applause Applause

इन नक़ाबों को न पलटो न खुले राज़ "परम",
दोस्त बन कर मुझे यारों ने ही मारे पत्थर. waaaaaaaaaaaaah

…"परम" ….. 22/12/2012
Bahut badhiya...Param jee
kya kahne ..bahut umda
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Anaarhi
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«Reply #8 on: December 24, 2012, 05:45:58 AM »
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Applause
  good
Thanks F H siddiqui Sahab.....
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Anaarhi
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«Reply #9 on: December 29, 2012, 04:38:44 AM »
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Param Jee Aadaab!


WaH janab waaH kia kahne aapke bade hi khoob khayaal aur waqai
dilfareb ahsaasoN ki umdaa adaaygi ki hai aapne... Usual Smile

IS umdaa aur asardaar kalaam par humari dheroN daad O mubbarakbad
kabul kijiye... Usual Smile


Likhate rahiye... aate rahiye...
Shaad O aabaad rahiye...

Khuda Hafez...Usual Smile




Parwaz sahab aapka dil ki gehraaeeyon se shukrguzaar hoon k aap ko ghazal aur khyalaat pasand aaye......
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AnjAAn!!!
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«Reply #10 on: December 29, 2012, 01:35:49 PM »
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फ़लसफ़ः तू ये न समझेगा रे……जा रे पत्थर,
पेङ क्यों फल ही दे……. चाहे कोइ मारे पत्थर.

और इनको न तराशूंगा….. हटा रे पत्थर,
सब ख़ुदा हो गए…. मैंने जो सवारे पत्थर.

थरथराने ही लगें देख के मुझको शीशे,
तेरी सुहबत में ए बुत मैं भी हुआ रे पत्थर.

तेज़ तब तक ही था जब तक तू रहा अपनो में,
गोल पानी ने किए…. तेरे किनारे….. पत्थर.

गोल होकर भी न तासीर गई है इनकी,
चोट खाएगा रे नादाँ….न उठा रे पत्थर.

इन नक़ाबों को न पलटो न खुले राज़ "परम",
दोस्त बन कर मुझे यारों ने ही मारे पत्थर.

…"परम" ….. 22/12/2012

Superb...just mind blowing.....Mujhe lagta hai aapko aise comments ki aadat ho gayi hogi. Usual Smile

Yakeen jaaniye behad khushi hui aapka kalaam padh kar. Ye kisi anaarhi ka kaam nahi'n.

Aapke agle kalaam ka besabri se intezaar rahega.
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