प्यार के ग़फ़लत में जिसके.........................अरुण मिश्र

by arunmishra on May 20, 2013, 12:09:35 AM
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arunmishra
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प्यार के ग़फ़लत में जिसके....

-अरुण मिश्र

प्यार के ग़फ़लत में  जिसके,  है गुज़ारी  ज़िन्दगी।        
रंज  उसको, मैंने  ही,  उसकी  बिगाड़ी  ज़िन्दगी।।
 
चहचहों से जिसके, मुझको घर सदा गुलशन लगा।
उसको ये ग़म, पिंजरे में, उसने गुज़ारी  ज़िन्दगी।।
 
प्यार में क्या खोया-पाया, इसका भी होगा हिसाब।
यूँ  कभी  सोचा न था , ऐ  प्यारी-प्यारी  ज़िन्दगी।।
 
हँसने-रोने  के   हुनर  ने,   है  इसे,  आसां  किया।
रोये जो अक्सर, तो हॅस कर भी गुज़ारी  ज़िन्दगी।।
 
तल्खि़यां ,  मज्बूरियां ,  नाकामियां ,  लाचारियां।
जाने कितने वज़्न हैं , जिनसे  है  भारी  ज़िन्दगी।।
 
जान भी प्यारी है औ’,  जीना भी है मुश्किल मियाँ।        
ख़ूब,   ये   मीठी   कटारी   है    दुधारी,   ज़िन्दगी।।
 
जो  बचे  इस साल,  सूखा - जलजला - सैलाब  से।
वहशतो- दहशत  ने  ग़ारत  की,  हमारी  ज़िन्दगी।।
 
आस्ताने - कैफ़ो - मस्ती,  यूँ  तो आलम में  हज़ार।
पर फिराती दर-बदर, क़िस्मत  की मारी  ज़िन्दगी।।
 
बीतते सावन के  बादल भी,  न  कुछ  लाये  ख़बर।
आस  कोई तो   मिरे मन में,   जगा  री ! ज़िन्दगी।।
 
आओ साथी  बाँट लें,  आपस में  हर ग़म-ओ-ख़ुशी।
थोड़ा हँस  लें साथ कि,  ख़ुश  हो  बिचारी ज़िन्दगी।।
 
जानो-तन जब तक फँसे हैं,  दामे-दुनिया में ‘अरुन’।
क्या गिला, किस जाल में फँस कर गुज़ारी ज़िन्दगी।।
                                    *


ग़ज़ल, २००२, अरुण मिश्र, प्यार के ग़फ़लत में जिसके....


                   
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mkv
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«Reply #1 on: May 20, 2013, 12:17:59 AM »
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हँसने-रोने  के   हुनर  ने,   है  इसे,  आसां  किया।
रोये जो अक्सर, तो हॅस कर भी गुज़ारी  ज़िन्दगी।।   

तल्खि़यां ,  मज्बूरियां ,  नाकामियां ,  लाचारियां।
जाने कितने वज़्न हैं , जिनसे  है  भारी  ज़िन्दगी।। is sher ki adaaygi ke kya kahne 

जान भी प्यारी है औ’,  जीना भी है मुश्किल मियाँ।         
ख़ूब,   ये   मीठी   कटारी   है    दुधारी,   ज़िन्दगी।।   

जो  बचे  इस साल,  सूखा - जलजला - सैलाब  से।
वहशतो- दहशत  ने  ग़ारत  की,  हमारी  ज़िन्दगी।।   

आस्ताने - कैफ़ो - मस्ती,  यूँ  तो आलम में  हज़ार।
पर फिराती दर-बदर, क़िस्मत  की मारी  ज़िन्दगी।।

Bahut khoobsurat ghazal Sir.
behatreen..
saadar

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F.H.SIDDIQUI
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«Reply #2 on: May 20, 2013, 12:22:33 AM »
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bahut bahuit khoob , arunji.bahut badhai.
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Arghya De
Guest
«Reply #3 on: May 20, 2013, 12:37:52 AM »
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Bahaut Achhi Ghazal hain ,
Zindegi ki haqeeqat samil hain isme.
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sbechain
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«Reply #4 on: May 20, 2013, 02:53:56 AM »
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प्यार के ग़फ़लत में जिसके....

-अरुण मिश्र

प्यार के ग़फ़लत में  जिसके,  है गुज़ारी  ज़िन्दगी।        
रंज  उसको, मैंने  ही,  उसकी  बिगाड़ी  ज़िन्दगी।।
  
चहचहों से जिसके, मुझको घर सदा गुलशन लगा।
उसको ये ग़म, पिंजरे में, उसने गुज़ारी  ज़िन्दगी।।
  
प्यार में क्या खोया-पाया, इसका भी होगा हिसाब।
यूँ  कभी  सोचा न था , ऐ  प्यारी-प्यारी  ज़िन्दगी।।
  
हँसने-रोने  के   हुनर  ने,   है  इसे,  आसां  किया।
रोये जो अक्सर, तो हॅस कर भी गुज़ारी  ज़िन्दगी।।
  
तल्खि़यां ,  मज्बूरियां ,  नाकामियां ,  लाचारियां।
जाने कितने वज़्न हैं , जिनसे  है  भारी  ज़िन्दगी।।
  
जान भी प्यारी है औ’,  जीना भी है मुश्किल मियाँ।        
ख़ूब,   ये   मीठी   कटारी   है    दुधारी,   ज़िन्दगी।।
  
जो  बचे  इस साल,  सूखा - जलजला - सैलाब  से।
वहशतो- दहशत  ने  ग़ारत  की,  हमारी  ज़िन्दगी।।
  
आस्ताने - कैफ़ो - मस्ती,  यूँ  तो आलम में  हज़ार।
पर फिराती दर-बदर, क़िस्मत  की मारी  ज़िन्दगी।।
  
बीतते सावन के  बादल भी,  न  कुछ  लाये  ख़बर।
आस  कोई तो   मिरे मन में,   जगा  री ! ज़िन्दगी।।
  
आओ साथी  बाँट लें,  आपस में  हर ग़म-ओ-ख़ुशी।
थोड़ा हँस  लें साथ कि,  ख़ुश  हो  बिचारी ज़िन्दगी।।
  
जानो-तन जब तक फँसे हैं,  दामे-दुनिया में ‘अरुन’।
क्या गिला, किस जाल में फँस कर गुज़ारी ज़िन्दगी।।
                                    *


ग़ज़ल, २००२, अरुण मिश्र, प्यार के ग़फ़लत में जिसके....


                  

wah wah wah.......!
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ghayal_shayar
Guest
«Reply #5 on: May 20, 2013, 02:57:32 AM »
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doosra sher mujhe haasil-e-ghazal laga.... ahcha jazbaatoN ko zaahir kiya hai aapne saaheb, umeed karta huN yuNhi aapse aur umda kalamkaari dekhne ko milegi...
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Iftakhar Ahmad
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«Reply #6 on: May 20, 2013, 03:07:23 AM »
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waah waah waah, laajawaab ghazal Arun jee, maza aa gaya padh ke.
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aqsh
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«Reply #7 on: May 20, 2013, 07:35:22 PM »
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 Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP
bahut hi umda ghazal kahi hai arun ji aapne. sabhi ashaar bahut bahut khoob rahe. padhkar maza aaya. dil se mubarakbad qubool kare...
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ParwaaZ
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«Reply #8 on: May 22, 2013, 08:29:04 PM »
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Mishraa Jee Aadaab....!


Kya baat hai jee waaH kia kahne behad gazab ki gazal kahi hai aapne... behad umdaa aur tajurbekaar khayaaloN ko ashaaroN meiN dhalaa hai har ashaar qabil e daad O sataish hai... Usual Smile


Bade hi umdaa ashaar rahe.... aik dilfareb aur umdaa gazal par humari hazaaroN dili daad O mubbarakbad kabul kijiye... Usual Smile

Bazm meiN aate rahiye.... Aur apni kalaamoN se roshan karte rahiye...
Shaad O aabaad rahiye...

Khuda Hafez... Usual Smile






प्यार के ग़फ़लत में जिसके....

-अरुण मिश्र


प्यार में क्या खोया-पाया, इसका भी होगा हिसाब।
यूँ  कभी  सोचा न था , ऐ  प्यारी-प्यारी  ज़िन्दगी।।
   
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जाने कितने वज़्न हैं , जिनसे  है  भारी  ज़िन्दगी।।
 
जान भी प्यारी है औ’,  जीना भी है मुश्किल मियाँ।         
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