मुझको हाँ सुनने की

by sksaini4 on July 06, 2011, 05:15:26 AM
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sksaini4
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मुझको हाँ सुनने की आदत तुझको ना कहने की आदत |
मेरी  अपनी  तेरी  अपनी  है कहने सुनने की आदत ||

सर्दी  का  मौसम  आते ही मुझको  दुखदाई  लगती है |
मुझको अनदेखा करके उनकी स्वेटर  बुनने  की  आदत ||

झूठी  झूठी  क़समें  खाओ  या  फिर धोखा  देना सीखो |
सच  कहना  चाहो  तो  डालो सूली पे चढ़ने  क आदत ||

जो कुछ   भी  करना  है अपने बलबूते पर  करते जाओ |
यूँ भी लोगों  की  होती  है  कामों से बचने  की आदत ||

पहले गर्मी में  तपने  का  जज़्बा  तो  कुछ पैदा  करले |
धीरे- धीरे  पड़  जाएगी   शोलों  में रहने   की आदत ||

सब की अपनी - अपनी मर्ज़ी  अपने ढंग से अपना जीना |
फिर क्यूँ है  लोगों को  आपस में पर्दा रखने की  आदत ?

एसे  बन्दे  तो  अक्सर  ही मुश्किल में  पड़ते रहते  हैं |
जिनको  होती है  दुनिया  के झंझट में पड़ने की आदत ||

अब  तो  बस  मोबाईल  पर ही सारी बातें हो जाती  हैं |
अब तो सब की छूटी है चिठ्ठी - पत्री लिखने की आदत ||

                                                  डा० सुरेन्द्र सैनी


                                                                                                                           
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khujli
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«Reply #1 on: July 06, 2011, 05:47:07 AM »
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मुझको हाँ सुनने की आदत तुझको ना कहने की आदत |
मेरी  अपनी  तेरी  अपनी  है कहने सुनने की आदत ||

सर्दी  का  मौसम  आते ही मुझको  दुखदाई  लगती है |
मुझको अनदेखा करके उनकी स्वेटर  बुनने  की  आदत ||

झूठी  झूठी  क़समें  खाओ  या  फिर धोखा  देना सीखो |
सच  कहना  चाहो  तो  डालो सूली पे चढ़ने  क आदत ||

जो कुछ   भी  करना  है अपने बलबूते पर  करते जाओ |
यूँ भी लोगों  की  होती  है  कामों से बचने  की आदत ||

पहले गर्मी में  तपने  का  जज़्बा  तो  कुछ पैदा  करले |
धीरे- धीरे  पड़  जाएगी   शोलों  में रहने   की आदत ||

सब की अपनी - अपनी मर्ज़ी  अपने ढंग से अपना जीना |
फिर क्यूँ है  लोगों को  आपस में पर्दा रखने की  आदत ?

एसे  बन्दे  तो  अक्सर  ही मुश्किल में  पड़ते रहते  हैं |
जिनको  होती है  दुनिया  के झंझट में पड़ने की आदत ||

अब  तो  बस  मोबाईल  पर ही सारी बातें हो जाती  हैं |
अब तो सब की छूटी है चिठ्ठी - पत्री लिखने की आदत ||

                                                  डा० सुरेन्द्र सैनी


                                                                                                                           




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«Reply #2 on: July 25, 2011, 08:26:35 AM »
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मुझको हाँ सुनने की आदत तुझको ना कहने की आदत |
मेरी  अपनी  तेरी  अपनी  है कहने सुनने की आदत ||

सर्दी  का  मौसम  आते ही मुझको  दुखदाई  लगती है |
मुझको अनदेखा करके उनकी स्वेटर  बुनने  की  आदत ||

झूठी  झूठी  क़समें  खाओ  या  फिर धोखा  देना सीखो |
सच  कहना  चाहो  तो  डालो सूली पे चढ़ने  क आदत ||

जो कुछ   भी  करना  है अपने बलबूते पर  करते जाओ |
यूँ भी लोगों  की  होती  है  कामों से बचने  की आदत ||

पहले गर्मी में  तपने  का  जज़्बा  तो  कुछ पैदा  करले |
धीरे- धीरे  पड़  जाएगी   शोलों  में रहने   की आदत ||

सब की अपनी - अपनी मर्ज़ी  अपने ढंग से अपना जीना |
फिर क्यूँ है  लोगों को  आपस में पर्दा रखने की  आदत ?

एसे  बन्दे  तो  अक्सर  ही मुश्किल में  पड़ते रहते  हैं |
जिनको  होती है  दुनिया  के झंझट में पड़ने की आदत ||

अब  तो  बस  मोबाईल  पर ही सारी बातें हो जाती  हैं |
अब तो सब की छूटी है चिठ्ठी - पत्री लिखने की आदत ||

                                                  डा० सुरेन्द्र सैनी


                                                                                                                           


good one ji Applause Applause Applause Applause
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sbechain
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«Reply #3 on: October 04, 2011, 11:47:21 AM »
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मुझको हाँ सुनने की आदत तुझको ना कहने की आदत |
मेरी  अपनी  तेरी  अपनी  है कहने सुनने की आदत ||

सर्दी  का  मौसम  आते ही मुझको  दुखदाई  लगती है |
मुझको अनदेखा करके उनकी स्वेटर  बुनने  की  आदत ||

झूठी  झूठी  क़समें  खाओ  या  फिर धोखा  देना सीखो |
सच  कहना  चाहो  तो  डालो सूली पे चढ़ने  क आदत ||

जो कुछ   भी  करना  है अपने बलबूते पर  करते जाओ |
यूँ भी लोगों  की  होती  है  कामों से बचने  की आदत ||

पहले गर्मी में  तपने  का  जज़्बा  तो  कुछ पैदा  करले |
धीरे- धीरे  पड़  जाएगी   शोलों  में रहने   की आदत ||

सब की अपनी - अपनी मर्ज़ी  अपने ढंग से अपना जीना |
फिर क्यूँ है  लोगों को  आपस में पर्दा रखने की  आदत ?

एसे  बन्दे  तो  अक्सर  ही मुश्किल में  पड़ते रहते  हैं |
जिनको  होती है  दुनिया  के झंझट में पड़ने की आदत ||

अब  तो  बस  मोबाईल  पर ही सारी बातें हो जाती  हैं |
अब तो सब की छूटी है चिठ्ठी - पत्री लिखने की आदत ||

                                                  डा० सुरेन्द्र सैनी


                                                                                                                           


bahut khoob saini ji
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HIMANSHUPSIITR
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«Reply #4 on: April 19, 2012, 09:09:20 AM »
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muskil mei parte hai wo, jinhe duniya ke jhanjhth mei parne ki aadat hai - par hum is addat se majboor hai,
is aadat ko chhor ke hum har buri aadat badalne ko taiyaar hoon,

..........wonderful poetry : Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley
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sksaini4
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«Reply #5 on: April 19, 2012, 09:44:49 AM »
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Qalb ji shukriya
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«Reply #6 on: April 19, 2012, 09:45:25 AM »
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«Reply #7 on: April 19, 2012, 09:45:47 AM »
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Sheba ji shukriya
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«Reply #8 on: April 19, 2012, 09:46:08 AM »
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Himanshu ji shukriya
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