मैंने हर रोज जमाने को रंग बदलते देखा है --आर के रस्तोगी

by Ram Krishan Rastogi on September 04, 2018, 04:33:55 AM
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मैंने हर रोज जमाने को रंग बदलते देखा है
उम्र के साथ जिन्दगी के ढंग बदलते देखा है

वो जो चलते थे तो शेर के चलने का होता था गुमान
उनको भी पाँव उठाने के लिये सहारे के लिये तरसते देखा है

जिनकी नजरों की चमक देख सहम जाते थे लोग
उन्ही नजरों को बरसात की तरह रोते हमने देखा है

जिनके हाथो के जरा से इशारे से टूट जाते थे पत्थर
उन्ही हाथो को पत्तो की तरह थर थर कापते देखा है

जिनकी आवाज में कभी बिजली कडकने का होता था भरम
उनके होठो पर भी आज जबरन चुप्पी का ताला लगा देखा है

ये जवानी,ये ताकत ये सब तो  कुदरत की इनायत है
इनके रहते हुये भी,इंसान को बेजान हुआ देखा है

अपने आप पर इतना ना कभी  इतराना यारो !
वक्त की मार से अच्छे अच्छे को मजबूर देखा है

  
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surindarn
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«Reply #1 on: September 04, 2018, 09:16:50 PM »
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मैंने हर रोज जमाने को रंग बदलते देखा है
उम्र के साथ जिन्दगी के ढंग बदलते देखा है

वो जो चलते थे तो शेर के चलने का होता था गुमान
उनको भी पाँव उठाने के लिये सहारे के लिये तरसते देखा है

जिनकी नजरों की चमक देख सहम जाते थे लोग
उन्ही नजरों को बरसात की तरह रोते हमने देखा है

जिनके हाथो के जरा से इशारे से टूट जाते थे पत्थर
उन्ही हाथो को पत्तो की तरह थर थर कापते देखा है

जिनकी आवाज में कभी बिजली कडकने का होता था भरम
उनके होठो पर भी आज जबरन चुप्पी का ताला लगा देखा है

ये जवानी,ये ताकत ये सब तो  कुदरत की इनायत है
इनके रहते हुये भी,इंसान को बेजान हुआ देखा है

अपने आप पर इतना ना कभी  इतराना यारो !
वक्त की मार से अच्छे अच्छे को मजबूर देखा है

 

waah waah bahut sunder, dheron daad.
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«Reply #2 on: September 05, 2018, 07:53:40 AM »
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shri Surindran ji shukriya
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