amit_prakash_meet
Guest
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तुम हो हसीन कितनी ये जानता हूँ मैं
इन हसीनों के नखरों को पहचानता हूँ मैं
रूठने की ये आदतें तो है बहुत पुरानी
पड़ेगा मुझे ही मनाना ये मानता हूँ मैं
गर हो गयी मसरूफ़ जो सहेलियों के संग
तो चाय भी कपों में अब छानता हूँ मैं
लगी है भूख मुझको पर तबियत नासाज़
रोटी के लिये आटा ख़ुद ही सानता हूँ मैं
नखरे तुम्हारे पूरे ये “मीत” कैसे कर सके
करूँगा इन सबको पूरा अब ये ठानता हूँ मैं
Tum Ho Haseen Kitni Ye Jaanta HuN MaiN
In Haseno Ke NakhroN Ko Pehchanta HuN MaiN
Ruthne Ki Ye AadateiN To HaiN Bahut Purani
Padega Mujhe Hi Manana Ye Maanta HuN MaiN
Gar Ho Gayi Masruf Jo SahiliyoN Ke Sang
To Chaay Bhi KapoN MaiN Ab Chanta HuN MaiN
Lagi Hai Bhukh Mujhko Par Tabiyat Nasaaz
Roti Ke Liye Aata Khud Hi Saanta HuN MaiN
Nakhre Tumhare Poore Ye “Meet” Kaise Kar Sake
Katunga In Sab Ko Poora Ab Yeh Thaanta HuN MaiN
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khujli
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«Reply #1 on: February 10, 2014, 04:51:00 PM » |
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Advo.RavinderaRavi
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«Reply #2 on: February 10, 2014, 04:56:35 PM » |
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तुम हो हसीन कितनी ये जानता हूँ मैं
इन हसीनों के नखरों को पहचानता हूँ मैं
रूठने की ये आदतें तो है बहुत पुरानी
पड़ेगा मुझे ही मनाना ये मानता हूँ मैं
गर हो गयी मसरूफ़ जो सहेलियों के संग
तो चाय भी कपों में अब छानता हूँ मैं
लगी है भूख मुझको पर तबियत नासाज़
रोटी के लिये आटा ख़ुद ही सानता हूँ मैं
नखरे तुम्हारे पूरे ये “मीत” कैसे कर सके
करूँगा इन सबको पूरा अब ये ठानता हूँ मैं
Tum Ho Haseen Kitni Ye Jaanta HuN MaiN
In Haseno Ke NakhroN Ko Pehchanta HuN MaiN
Ruthne Ki Ye AadateiN To HaiN Bahut Purani
Padega Mujhe Hi Manana Ye Maanta HuN MaiN
Gar Ho Gayi Masruf Jo SahiliyoN Ke Sang
To Chaay Bhi KapoN MaiN Ab Chanta HuN MaiN
Lagi Hai Bhukh Mujhko Par Tabiyat Nasaaz
Roti Ke Liye Aata Khud Hi Saanta HuN MaiN
Nakhre Tumhare Poore Ye “Meet” Kaise Kar Sake
Katunga In Sab Ko Poora Ab Yeh Thaanta HuN MaiN
Bahut Umdaa.!!
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amit_prakash_meet
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«Reply #3 on: February 10, 2014, 06:03:46 PM » |
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बहुत बहुत शुक्रिया क़ल्ब जी....
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aqsh
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«Reply #5 on: February 10, 2014, 07:28:09 PM » |
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sksaini4
Ustaad ae Shayari
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«Reply #7 on: February 10, 2014, 08:27:01 PM » |
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waah waah waah waah waah waah
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Miru;;;;
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«Reply #8 on: February 10, 2014, 09:09:01 PM » |
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F.H.SIDDIQUI
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«Reply #9 on: February 10, 2014, 09:48:41 PM » |
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Bahut khoob . Abb Pratigya kar li hai to Khuda kare sab kushal mangal rahe.
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mkv
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«Reply #10 on: February 10, 2014, 10:14:14 PM » |
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तुम हो हसीन कितनी ये जानता हूँ मैं
इन हसीनों के नखरों को पहचानता हूँ मैं
रूठने की ये आदतें तो है बहुत पुरानी
पड़ेगा मुझे ही मनाना ये मानता हूँ मैं
गर हो गयी मसरूफ़ जो सहेलियों के संग
तो चाय भी कपों में अब छानता हूँ मैं
लगी है भूख मुझको पर तबियत नासाज़
रोटी के लिये आटा ख़ुद ही सानता हूँ मैं
Bahut badhiya Amit jee
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sarfira
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«Reply #11 on: February 11, 2014, 12:22:25 AM » |
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very nice ji very nice.. esi baaton se hi haseenayen khush hoti hain daad daaf
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amit_prakash_meet
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«Reply #12 on: February 11, 2014, 01:05:47 AM » |
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बहुत बहुत शुक्रिया क़ल्ब जी.....
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surindarn
Ustaad ae Shayari
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Waqt Bitaya:134 days, 2 hours and 27 minutes.
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«Reply #13 on: February 11, 2014, 01:24:28 AM » |
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लगी है भूख मुझको पर तबियत नासाज़ रोटी के लिये आटा ख़ुद ही सानता हूँ मैं नखरे तुम्हारे पूरे ये “मीत” कैसे कर सके करूँगा इन सबको पूरा अब ये ठानता हूँ मैं Bahut Khoob. SurindarN.
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Iftakhar Ahmad
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«Reply #14 on: February 11, 2014, 01:43:09 AM » |
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waah waah bahut khoob Amit jee.
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