लाख पहियों वाले रथ में.....'परम'

by Anaarhi on March 26, 2013, 11:39:11 AM
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Anaarhi
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लाख पहियों वाले रथ में एक अर* मेरा भी है, (* अर= spoke)
मैं भी हिस्सा हूँ ग़ज़ल का ये हुनर मेरा भी है.

कुद्रतन ही जोङ मेरी रीढ में कोई नहीं,
इस जहाँ में पर्बतों सा ही बसर मेरा भी है.

हाथ पसरे हैं तो क्या पल में बनेंगे मुट्ठियाँ,
रख यकीं मुझ पर अना कुछ दिल जिगर मेरा भी है.

कोइ हुश्यारी न लेकर आए दर पर रोटियाँ,
इल्म तेरा ज़ाहिदा भटके हुनर मेरा भी है.

मैं भी व्यवस्था का ही पोषक हूँ चाहे जो कहूँ,
हाथ इस कुनबा परस्ती में अगर मेरा भी है.

यूँ भी क्या रिश्ता निभाना वो भी सारी ज़िंदगी,
आफ़्ते जाँ तुझको जाना -- दर्दे सर मेरा भी है.

आबला ए पा नज़रअंदाज़ ही जो कर गए,
वो भला मानेगे क्या दर्दे सफ़र मेरा भी है.

पाँव तो जम ही चुके हैं इस ज़मीं पर अब 'परम',
'आसमां इक चाहिए मुझको कि सर मेरा भी है'…..

"परम" १५/०३/२०१३
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sksaini4
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«Reply #1 on: March 26, 2013, 12:34:25 PM »
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bahut bahut hee sunder  rk rau bhee
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Bishwajeet Anand Bsu
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«Reply #2 on: March 26, 2013, 01:11:50 PM »
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wah wah wah ....bahut bahut khoob....
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aqsh
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«Reply #3 on: March 26, 2013, 01:12:32 PM »
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 Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP
Bahut achchi ghazal kahi hai aapne. bahut achche sabhi ashaar rahe. dheron daad.
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Miru;;;;
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«Reply #4 on: March 26, 2013, 02:09:25 PM »
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«Reply #5 on: March 26, 2013, 06:08:26 PM »
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पाँव तो जम ही चुके हैं इस ज़मीं पर अब 'परम',
'आसमां इक चाहिए मुझको कि सर मेरा भी है'…..

waahhhhhhhhhhhhhh param ji.... maza aagaya padhkar ...kya badhiyaa gazal kahi hai aapne .... superbbbbbbb jiii
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champak
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«Reply #6 on: March 27, 2013, 12:21:58 AM »
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param ji,kya mast likha hai aapne,sundar.. hello2
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ParwaaZ
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«Reply #7 on: March 27, 2013, 01:00:01 AM »
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Param Jee Aadaab!


WaaH janab waaH behad khoob kalaam kahi hai .. waise hum aapke khayaaloN ke kayal hai..
behad khoob aur gehre khayaal bayaaN kiye hai janab.. Usual Smile

Is khoobsurat aur umdaa kalaam par humari hazaaroN dili daad O mubbarakbad kabul kijiye..

Likhate rahiye... aate rahiye.. Bazm meiN shirkar karte rahiye...
Shaad O aabaad rahiye...

Khuda Hafez... Usual Smile


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sbechain
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«Reply #8 on: March 27, 2013, 01:59:40 AM »
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लाख पहियों वाले रथ में एक अर* मेरा भी है, (* अर= spoke)
मैं भी हिस्सा हूँ ग़ज़ल का ये हुनर मेरा भी है.

कुद्रतन ही जोङ मेरी रीढ में कोई नहीं,
इस जहाँ में पर्बतों सा ही बसर मेरा भी है.

हाथ पसरे हैं तो क्या पल में बनेंगे मुट्ठियाँ,
रख यकीं मुझ पर अना कुछ दिल जिगर मेरा भी है.

कोइ हुश्यारी न लेकर आए दर पर रोटियाँ,
इल्म तेरा ज़ाहिदा भटके हुनर मेरा भी है.

मैं भी व्यवस्था का ही पोषक हूँ चाहे जो कहूँ,
हाथ इस कुनबा परस्ती में अगर मेरा भी है.

यूँ भी क्या रिश्ता निभाना वो भी सारी ज़िंदगी,
आफ़्ते जाँ तुझको जाना -- दर्दे सर मेरा भी है.

आबला ए पा नज़रअंदाज़ ही जो कर गए,
वो भला मानेगे क्या दर्दे सफ़र मेरा भी है.

पाँव तो जम ही चुके हैं इस ज़मीं पर अब 'परम',
'आसमां इक चाहिए मुझको कि सर मेरा भी है'…..

"परम" १५/०३/२०१३

bahut hi khoob janaab..........!
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Advo.RavinderaRavi
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«Reply #9 on: March 27, 2013, 05:28:44 AM »
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So Cute
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Anaarhi
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«Reply #10 on: March 29, 2013, 03:08:33 PM »
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Ghazal pasand karney ka sabhi Kadrdaano ka shukriya......
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suman59
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«Reply #11 on: March 31, 2013, 10:45:14 AM »
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लाख पहियों वाले रथ में एक अर* मेरा भी है, (* अर= spoke)
मैं भी हिस्सा हूँ ग़ज़ल का ये हुनर मेरा भी है.

कुद्रतन ही जोङ मेरी रीढ में कोई नहीं,
इस जहाँ में पर्बतों सा ही बसर मेरा भी है.

हाथ पसरे हैं तो क्या पल में बनेंगे मुट्ठियाँ,
रख यकीं मुझ पर अना कुछ दिल जिगर मेरा भी है.

कोइ हुश्यारी न लेकर आए दर पर रोटियाँ,
इल्म तेरा ज़ाहिदा भटके हुनर मेरा भी है.

मैं भी व्यवस्था का ही पोषक हूँ चाहे जो कहूँ,
हाथ इस कुनबा परस्ती में अगर मेरा भी है.

यूँ भी क्या रिश्ता निभाना वो भी सारी ज़िंदगी,
आफ़्ते जाँ तुझको जाना -- दर्दे सर मेरा भी है.

आबला ए पा नज़रअंदाज़ ही जो कर गए,
वो भला मानेगे क्या दर्दे सफ़र मेरा भी है.

पाँव तो जम ही चुके हैं इस ज़मीं पर अब 'परम',
'आसमां इक चाहिए मुझको कि सर मेरा भी है'…..

"परम" १५/०३/२०१३

Wah waaaaah shandhar peshkash.  Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Thumbs UP
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