वो मेरा महबूब है बेशक वो धोखेबाज़ है।

by charanjit chandwal on June 19, 2011, 02:40:01 PM
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charanjit chandwal
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रोज़ होता है भरम कि उसने दी आवाज़ है
मैं हूँ जिस पत्थर का आशिक मुझसे कुछ नाराज़ है
किस तरह सब को सुनाऊं दर्दे दिल किसने दिया,
मेरी उसकी वो मुहब्बत आज भी इक राज़ है।
मुझ से ही खेले सियासत साज़िशें मुझ से करे
सर पे मैंने यार के जिस दिन से रखा  ताज है
फ़ेर लूं उससे  निगाहें बात नामुमकिन है ये
वो मेरा महबूब है बेशक वो धोखेबाज़ है।
हो गया मुझसे जुदा वो फिर तड़पता छोड़कर
कह गया ‘चंदन’ कि अपनी मौसमी परवाज़ है
      -चरणजीत चन्दवाल ‘चंदन"
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ParwaaZ
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«Reply #1 on: June 19, 2011, 05:05:33 PM »
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Chandan Jee Aadaab!

Wel come to YOINDIA ... Usual Smile

Waah janab waah kia kahne aapke...
Bahut achchi peshkash rahi aapki... Usual Smile

Ahsaas O khayaal behad khoob rahe aur andaaz e
bayaaN bhi bahut khoob raha janab ... Usual Smile

Dil se daad O mubarakbad kabul kijiye..

Likhate rahiye..
Aate rahiye... Khush O aabaad rahiye,
Khuda Hafez .... Usual Smile

         

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adil bechain
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«Reply #2 on: June 20, 2011, 06:38:11 AM »
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रोज़ होता है भरम कि उसने दी आवाज़ है
मैं हूँ जिस पत्थर का आशिक मुझसे कुछ नाराज़ है
किस तरह सब को सुनाऊं दर्दे दिल किसने दिया,
मेरी उसकी वो मुहब्बत आज भी इक राज़ है।
मुझ से ही खेले सियासत साज़िशें मुझ से करे
सर पे मैंने यार के जिस दिन से रखा  ताज है
फ़ेर लूं उससे  निगाहें बात नामुमकिन है ये
वो मेरा महबूब है बेशक वो धोखेबाज़ है।
हो गया मुझसे जुदा वो फिर तड़पता छोड़कर
कह गया ‘चंदन’ कि अपनी मौसमी परवाज़ है
      -चरणजीत चन्दवाल ‘चंदन"



waaah waah waah chandwal
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malli
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«Reply #3 on: June 25, 2011, 07:20:21 AM »
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रोज़ होता है भरम कि उसने दी आवाज़ है
मैं हूँ जिस पत्थर का आशिक मुझसे कुछ नाराज़ है
किस तरह सब को सुनाऊं दर्दे दिल किसने दिया,
मेरी उसकी वो मुहब्बत आज भी इक राज़ है।
मुझ से ही खेले सियासत साज़िशें मुझ से करे
सर पे मैंने यार के जिस दिन से रखा  ताज है
फ़ेर लूं उससे  निगाहें बात नामुमकिन है ये
वो मेरा महबूब है बेशक वो धोखेबाज़ है।
हो गया मुझसे जुदा वो फिर तड़पता छोड़कर
कह गया ‘चंदन’ कि अपनी मौसमी परवाज़ है
      -चरणजीत चन्दवाल ‘चंदन"


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Bahut umda chandan ji
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khujli
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«Reply #4 on: June 29, 2011, 08:05:14 AM »
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रोज़ होता है भरम कि उसने दी आवाज़ है
मैं हूँ जिस पत्थर का आशिक मुझसे कुछ नाराज़ है
किस तरह सब को सुनाऊं दर्दे दिल किसने दिया,
मेरी उसकी वो मुहब्बत आज भी इक राज़ है।
मुझ से ही खेले सियासत साज़िशें मुझ से करे
सर पे मैंने यार के जिस दिन से रखा  ताज है
फ़ेर लूं उससे  निगाहें बात नामुमकिन है ये
वो मेरा महबूब है बेशक वो धोखेबाज़ है।
हो गया मुझसे जुदा वो फिर तड़पता छोड़कर
कह गया ‘चंदन’ कि अपनी मौसमी परवाज़ है
      -चरणजीत चन्दवाल ‘चंदन"



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mkv
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«Reply #5 on: November 06, 2011, 01:55:01 PM »
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Bahut Umda khayal pesh kiye hai janaab Chandan ji
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With a Quick-Reply you can use bulletin board code and smileys as you would in a normal post, but much more conveniently.


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