हमारे रास्ते रौशन बनाने आ गया कोई

by yati_om on June 05, 2010, 01:45:36 AM
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yati_om
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हमारे  रास्ते    रौशन  बनाने    आ  गया कोई
अंधेरों    से  हमें  आखिर बचाने  आ गया कोई

लगा कुछ दिन कठिन इस ज़िन्दगी की राह पर चलना
मगर  फिर नेह  के  लेकर  खज़ाने  आ  गया  कोई

नदी   सोई   थी   ओढ़कर    चादर  अंधेरों  की
सुनहरी   रश्मियाँ  लेकर  जगाने  आ  गया  कोई

भुला  बैठे  थे जिनको  हम समय के अन्तरालों में
दिलाने  याद  फिर  वो  दिन  पुराने आ गया कोई

कभी  मन  में  कोई दुविधा हुई तो मैंने ये देखा
सही  मंज़िल, सही राहें  दिखाने   आ गया कोई

                      -ओमप्रकाश यती
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yati_om
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«Reply #1 on: June 05, 2010, 01:50:49 AM »
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हमारे  रास्ते    रौशन  बनाने    आ  गया कोई
अंधेरों    से  हमें  आखिर बचाने  आ गया कोई

लगा कुछ दिन कठिन इस ज़िन्दगी की राह पर चलना
मगर  फिर नेह  के  लेकर  खज़ाने  आ  गया  कोई

नदी   सोई   थी   ओढ़कर    चादर  अंधेरों  की
सुनहरी   रश्मियाँ  लेकर  जगाने  आ  गया  कोई

भुला  बैठे  थे जिनको  हम समय के अन्तरालों में
दिलाने  याद  फिर  वो  दिन  पुराने आ गया कोई

कभी  मन  में  कोई दुविधा हुई तो मैंने ये देखा
सही  मंज़िल, सही राहें  दिखाने   आ गया कोई

                      -ओमप्रकाश यती
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anil kumar aksh
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«Reply #2 on: June 05, 2010, 02:45:41 AM »
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bahut achhi rachna hai kya baat hai
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yati_om
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«Reply #3 on: June 05, 2010, 06:27:48 PM »
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हमारे  रास्ते    रौशन  बनाने    आ  गया कोई
अंधेरों    से  हमें  आखिर बचाने  आ गया कोई

लगा कुछ दिन कठिन इस ज़िन्दगी की राह पर चलना
मगर  फिर नेह  के  लेकर  खज़ाने  आ  गया  कोई

नदी   सोई   थी   ओढ़कर    चादर  अंधेरों  की
सुनहरी   रश्मियाँ  लेकर  जगाने  आ  गया  कोई

भुला  बैठे  थे जिनको  हम समय के अन्तरालों में
दिलाने  याद  फिर  वो  दिन  पुराने आ गया कोई

कभी  मन  में  कोई दुविधा हुई तो मैंने ये देखा
सही  मंज़िल, सही राहें  दिखाने   आ गया कोई

                      -ओमप्रकाश यती
अनिल जी,

     गज़ल पढ़ने और उत्साहवर्धन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.......'यती'
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