हवा को मुटि्ठयों में बऩ्द करना चाहता हूँ.-सुधीर अश्क

by Sudhir Ashq on July 01, 2013, 06:58:53 PM
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Sudhir Ashq
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हवा  को  मुटि्ठयों में बऩ्द करना चाहता हूँ.
मैं  इसलिये  तुम्हें पाबन्द करना चाहता हूँ.

जो बात तेरी ख्वाईशों के मन मुताबिक हो,
उसी को मैं फ़कत पसन्द करना चाहता हूँ.

एक  उन्मुक्त  कविता  की  तरह  रूप  तेरा,
ग़ज़ल में ढाल के, मैं छन्द करना चाहता हूँ.

बसा के तुमको अपने दिल में,दिल के दरवाजे,
मैं हमेशा के लिये बन्द करना चाहता हूँ.

बहुत  है  तेज  ज़माने  में  हवा  बहशत  की,
किसी  तरह  मैं इसे मन्द करना चाहता हूँ.

अब कोई  कंस  न हो, है यही हसरत मेरी,
ज़माने में सभी को नन्द करना चाहता हूँ.

सिर्फ इतनी सी चाह अश्क मेरे दिल की है,
तुम्हारे पहलू में आनन्द करना चाहता हूँ.

-सुधीर अश्क


(कंस-हिन्दू ग्रन्थों के अनुसार प्रचीन काल में मथुरा का राजा, नन्द- बृज क्षेत्र के ग्राम गोकुल का निवासी)

ग़ज़ल के 6 वें शेर का संन्दर्भ हिन्दू धर्म ग्रन्थों में वणिर्तकथाओं से है. कहा जाता है कि मथुरा मे कंस नाम का एक अत्यन्त शक्तिशाली और दुष्ट प्रवृति का राजा था.एक दिन आकाशवाणी के माध्यम से उसे ज्ञात हुआ कि उसकी बहन देवकी का 8 वां पुत्र उसका विनाश करेगा.उसने अपने को बचाने के लिये,तत्काल अपनी बहन एवं बहनोई को कारावास में कैद कर दिया और उसकी बहन के जब-जब बच्चा हुआ,उसने उसे तुरन्त मौत के घाट उतार दिया.इसी तरह देवकी के 7 बच्चे मारे गये.8 वां पुत्र अथार्त भगवान कृष्ण का जन्म होते ही,कारागार के ताले अपने आप टूट गये और बच्चे के पिता उसे रात में ही लेकर ग्राम गोकुल में अपने रिश्तेदार नन्द के घर ले गये और वहाँ भगवान कृष्ण को छोड़कर,उनके स्थान पर नऩ्द के घर जन्में नवजात शिशू को मथूरा कारागार में ले आये.इस तरह कन्स को अत्याचार और अनाचार का प्रतीक माना गया है,जबकि नऩ्द को त्याग और सहिष्णता की प्रतिमूर्ति माना गया है. कृपया इस शेर को इस सन्दर्भ में पढा जाये.



***********************************************

HAWA KO MUTHTHION ME BAND KARNA CHAHTA HUN.
MAIN ISLIYEE TUMHE PABAND KARNA CHAHTA HUN.

JO BAAT TERI KHWAAISHON KE MAN MUTABIK HO,
USI KO MAIN FAQAT PASAND KARNA CHAHTA HUN.

AIK UNMUKT KAVITA KE TARAH ROOP TERA,
GHAZAL ME DHHALKE,MAIN CHHAND KARNA CHAHTA HUN.

BASA KE TUMKO APNE DIL ME,DIL KE DARWAAJE,
MAIN HAMESH KE LIYE BAND KARNA CHAHTA HUN.

BAHUT HAI TEZ JAMAANE ME HAWA BAHSHAT KI,
KISI TARAH MAIN ISE MAND KARNA CHAHTA HUN.

AB KOI KANS NA HO,HAI YE HI HASRAT MERI,
JAMAANE ME SABHI KO,NAND KARNA CHAHTA HUN.

SIRF ITNEE SI CHAH,ASHQ MERE DIL KI HAIN,
TUMHAARE PAHLU ME AANAND KARNA CHAHTA HUN.

-SUDHIR ASHQ.
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«Reply #1 on: July 01, 2013, 07:10:20 PM »
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waah waah bahut khoob
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NeelamJ
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«Reply #2 on: July 01, 2013, 07:14:09 PM »
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Bahut khoob Sudhirji  Applause
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nashwani
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«Reply #3 on: July 01, 2013, 07:29:04 PM »
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 Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley  Clapping Smiley

Waah waah waah sirjee kya khoob likha hai..dhero daad rau ke saath qubool kare..happy9
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Advo.RavinderaRavi
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«Reply #4 on: July 01, 2013, 07:50:29 PM »
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हवा  को  मुटि्ठयों में बऩ्द करना चाहता हूँ.
मैं  इसलिये  तुम्हें पाबन्द करना चाहता हूँ.

जो बात तेरी ख्वाईशों के मन मुताबिक हो,
उसी को मैं फ़कत पसन्द करना चाहता हूँ.

एक  उन्मुक्त  कविता  की  तरह  रूप  तेरा,
ग़ज़ल में ढाल के, मैं छन्द करना चाहता हूँ.

बसा के तुमको अपने दिल में,दिल के दरवाजे,
मैं हमेशा के लिये बन्द करना चाहता हूँ.

बहुत  है  तेज  ज़माने  में  हवा  बहशत  की,
किसी  तरह  मैं इसे मन्द करना चाहता हूँ.

अब कोई  कंस  न हो, है यही हसरत मेरी,
ज़माने में सभी को नन्द करना चाहता हूँ.

सिर्फ इतनी सी चाह अश्क मेरे दिल की है,
तुम्हारे पहलू में आनन्द करना चाहता हूँ.

-सुधीर अश्क


(कंस-हिन्दू ग्रन्थों के अनुसार प्रचीन काल में मथुरा का राजा, नन्द- बृज क्षेत्र के ग्राम गोकुल का निवासी)

ग़ज़ल के 6 वें शेर का संन्दर्भ हिन्दू धर्म ग्रन्थों में वणिर्तकथाओं से है. कहा जाता है कि मथुरा मे कंस नाम का एक अत्यन्त शक्तिशाली और दुष्ट प्रवृति का राजा था.एक दिन आकाशवाणी के माध्यम से उसे ज्ञात हुआ कि उसकी बहन देवकी का 8 वां पुत्र उसका विनाश करेगा.उसने अपने को बचाने के लिये,तत्काल अपनी बहन एवं बहनोई को कारावास में कैद कर दिया और उसकी बहन के जब-जब बच्चा हुआ,उसने उसे तुरन्त मौत के घाट उतार दिया.इसी तरह देवकी के 7 बच्चे मारे गये.8 वां पुत्र अथार्त भगवान कृष्ण का जन्म होते ही,कारागार के ताले अपने आप टूट गये और बच्चे के पिता उसे रात में ही लेकर ग्राम गोकुल में अपने रिश्तेदार नन्द के घर ले गये और वहाँ भगवान कृष्ण को छोड़कर,उनके स्थान पर नऩ्द के घर जन्में नवजात शिशू को मथूरा कारागार में ले आये.इस तरह कन्स को अत्याचार और अनाचार का प्रतीक माना गया है,जबकि नऩ्द को त्याग और सहिष्णता की प्रतिमूर्ति माना गया है. कृपया इस शेर को इस सन्दर्भ में पढा जाये.



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HAWA KO MUTHTHION ME BAND KARNA CHAHTA HUN.
MAIN ISLIYEE TUMHE PABAND KARNA CHAHTA HUN.

JO BAAT TERI KHWAAISHON KE MAN MUTABIK HO,
USI KO MAIN FAQAT PASAND KARNA CHAHTA HUN.

AIK UNMUKT KAVITA KE TARAH ROOP TERA,
GHAZAL ME DHHALKE,MAIN CHHAND KARNA CHAHTA HUN.

BASA KE TUMKO APNE DIL ME,DIL KE DARWAAJE,
MAIN HAMESH KE LIYE BAND KARNA CHAHTA HUN.

BAHUT HAI TEZ JAMAANE ME HAWA BAHSHAT KI,
KISI TARAH MAIN ISE MAND KARNA CHAHTA HUN.

AB KOI KANS NA HO,HAI YE HI HASRAT MERI,
JAMAANE ME SABHI KO,NAND KARNA CHAHTA HUN.

SIRF ITNEE SI CHAH,ASHQ MERE DIL KI HAIN,
TUMHAARE PAHLU ME AANAND KARNA CHAHTA HUN.

-SUDHIR ASHQ.

अती सुंदर
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«Reply #5 on: July 01, 2013, 08:22:48 PM »
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Nice - waah wah...
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Arghya
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«Reply #6 on: July 02, 2013, 01:00:19 AM »
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... Ek nayee shayri aur ek naya andaz !!! Applause Applause Applause
बहुत  है  तेज  ज़माने  में  हवा  बहशत  की,
किसी  तरह  मैं इसे मन्द करना चाहता हूँ.

what's the meaning of word 'बहशत' ?
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Ram Saraswat
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«Reply #7 on: July 02, 2013, 01:22:13 AM »
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हवा  को  मुटि्ठयों में बऩ्द करना चाहता हूँ.
मैं  इसलिये  तुम्हें पाबन्द करना चाहता हूँ.

जो बात तेरी ख्वाईशों के मन मुताबिक हो,
उसी को मैं फ़कत पसन्द करना चाहता हूँ.

एक  उन्मुक्त  कविता  की  तरह  रूप  तेरा,
ग़ज़ल में ढाल के, मैं छन्द करना चाहता हूँ.

बसा के तुमको अपने दिल में,दिल के दरवाजे,
मैं हमेशा के लिये बन्द करना चाहता हूँ.

बहुत  है  तेज  ज़माने  में  हवा  बहशत  की,
किसी  तरह  मैं इसे मन्द करना चाहता हूँ.

अब कोई  कंस  न हो, है यही हसरत मेरी,
ज़माने में सभी को नन्द करना चाहता हूँ.

सिर्फ इतनी सी चाह अश्क मेरे दिल की है,
तुम्हारे पहलू में आनन्द करना चाहता हूँ.

-सुधीर अश्क


(कंस-हिन्दू ग्रन्थों के अनुसार प्रचीन काल में मथुरा का राजा, नन्द- बृज क्षेत्र के ग्राम गोकुल का निवासी)

ग़ज़ल के 6 वें शेर का संन्दर्भ हिन्दू धर्म ग्रन्थों में वणिर्तकथाओं से है. कहा जाता है कि मथुरा मे कंस नाम का एक अत्यन्त शक्तिशाली और दुष्ट प्रवृति का राजा था.एक दिन आकाशवाणी के माध्यम से उसे ज्ञात हुआ कि उसकी बहन देवकी का 8 वां पुत्र उसका विनाश करेगा.उसने अपने को बचाने के लिये,तत्काल अपनी बहन एवं बहनोई को कारावास में कैद कर दिया और उसकी बहन के जब-जब बच्चा हुआ,उसने उसे तुरन्त मौत के घाट उतार दिया.इसी तरह देवकी के 7 बच्चे मारे गये.8 वां पुत्र अथार्त भगवान कृष्ण का जन्म होते ही,कारागार के ताले अपने आप टूट गये और बच्चे के पिता उसे रात में ही लेकर ग्राम गोकुल में अपने रिश्तेदार नन्द के घर ले गये और वहाँ भगवान कृष्ण को छोड़कर,उनके स्थान पर नऩ्द के घर जन्में नवजात शिशू को मथूरा कारागार में ले आये.इस तरह कन्स को अत्याचार और अनाचार का प्रतीक माना गया है,जबकि नऩ्द को त्याग और सहिष्णता की प्रतिमूर्ति माना गया है. कृपया इस शेर को इस सन्दर्भ में पढा जाये.



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BASA KE TUMKO APNE DIL ME,DIL KE DARWAAJE,
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BAHUT HAI TEZ JAMAANE ME HAWA BAHSHAT KI,
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-SUDHIR ASHQ.

Bahut Khoob
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Miru;;;;
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«Reply #8 on: July 02, 2013, 02:25:07 PM »
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aqsh
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«Reply #9 on: July 03, 2013, 01:21:59 PM »
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bahut achchi peshkash sudhir ji. sabhi ashaar khoob hai. mujhe bahut pasand aayi aapki yeh ghazal. aur yeh sher bahut khoob raha

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~Hriday~
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Mashhur Shayar
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kalam k chalne ko zamaana paagalpan samajhta hai.

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«Reply #10 on: July 03, 2013, 06:52:34 PM »
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bahut bahut khoob likha hai aapne Sudhir ji......!!!
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