हिंदी ग़ज़ल

by yati_om on January 24, 2010, 03:27:15 PM
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yati_om
Guest
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स्वार्थ की अंधी गुफाओं तक रहे .
लोग बस अपनी व्यथाओं तक रहे

काम संकट में नहीं आया कोई,
मित्र भी शुभकामनाओं तक रहे.

क्षुब्ध था मन देवताओं से मगर
स्वर हमारे प्रार्थनाओं तक रहे.

लोक को उन साधुओं से क्या मिला,
जो   हमेशा कंदराओं   तक    रहे.

सामने ज्वालामुखी थे किन्तु हम
इन्द्रधनुषी कल्पनाओं तक रहे.

       -ओमप्रकाश यती
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riyaz106
Guest
«Reply #1 on: January 24, 2010, 04:22:14 PM »
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वाह यित जी कमाल की .गज़ल है आपकी । बहुत शानदार लगी । एक शेर मै भी जोडता हू

चन्द्र्मा तक घूम आये वो मगर
हम तो अपनी ही प्रथाओ तक रहे
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drpandey
Guest
«Reply #2 on: January 24, 2010, 04:30:19 PM »
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Aap ki hindi ghazal aik sundar kriti hai...kotisah badhaiyan avam sadhuvad....
 Hats off to you! Thankyou ! 
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madhuwesh
Guest
«Reply #3 on: January 25, 2010, 12:01:51 AM »
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Very beautiful gazal OM ji.great lines by Riyaz ji. icon_thumleft Applause Applause Applause Applause
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deepika_divya
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«Reply #4 on: January 25, 2010, 04:09:24 AM »
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Ati Sunder Yati Om ji.. Bahoot bahoot Khoob !
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yati_om
Guest
«Reply #5 on: January 25, 2010, 02:41:27 PM »
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स्वार्थ की अंधी गुफाओं तक रहे .
लोग बस अपनी व्यथाओं तक रहे

काम संकट में नहीं आया कोई,
मित्र भी शुभकामनाओं तक रहे.

क्षुब्ध था मन देवताओं से मगर
स्वर हमारे प्रार्थनाओं तक रहे.

लोक को उन साधुओं से क्या मिला,
जो   हमेशा कंदराओं   तक    रहे.

सामने ज्वालामुखी थे किन्तु हम
इन्द्रधनुषी कल्पनाओं तक रहे.

       -ओमप्रकाश यती
Ati Sunder Yati Om ji.. Bahoot bahoot Khoob !
sophi ji!rachna par pratikriya ke liye dhanyavad.
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yati_om
Guest
«Reply #6 on: January 25, 2010, 02:44:57 PM »
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स्वार्थ की अंधी गुफाओं तक रहे .
लोग बस अपनी व्यथाओं तक रहे

काम संकट में नहीं आया कोई,
मित्र भी शुभकामनाओं तक रहे.

क्षुब्ध था मन देवताओं से मगर
स्वर हमारे प्रार्थनाओं तक रहे.

लोक को उन साधुओं से क्या मिला,
जो   हमेशा कंदराओं   तक    रहे.

सामने ज्वालामुखी थे किन्तु हम
इन्द्रधनुषी कल्पनाओं तक रहे.

       -ओमप्रकाश यती
Very beautiful gazal OM ji.great lines by Riyaz ji. icon_thumleft Applause Applause Applause Applause
Madhuvesh ji !rachna aapko achchhee lagi, shubhkamnaon ke liye dhanyavad.
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yati_om
Guest
«Reply #7 on: January 25, 2010, 02:47:18 PM »
Reply with quote
स्वार्थ की अंधी गुफाओं तक रहे .
लोग बस अपनी व्यथाओं तक रहे

काम संकट में नहीं आया कोई,
मित्र भी शुभकामनाओं तक रहे.

क्षुब्ध था मन देवताओं से मगर
स्वर हमारे प्रार्थनाओं तक रहे.

लोक को उन साधुओं से क्या मिला,
जो   हमेशा कंदराओं   तक    रहे.

सामने ज्वालामुखी थे किन्तु हम
इन्द्रधनुषी कल्पनाओं तक रहे.

       -ओमप्रकाश यती
Aap ki hindi ghazal aik sundar kriti hai...kotisah badhaiyan avam sadhuvad....
 Hats off to you! Thankyou ! 
Pandey ji,sadhuvad ke liye bahut-bahut dhanyavad.
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yati_om
Guest
«Reply #8 on: April 15, 2010, 05:36:23 PM »
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Aap ki hindi ghazal aik sundar kriti hai...kotisah badhaiyan avam sadhuvad....
 Hats off to you! Thankyou ! 
bahut -bahut dhanyavad........."yati"
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sbechain
Guest
«Reply #9 on: October 05, 2011, 12:59:29 PM »
Reply with quote
स्वार्थ की अंधी गुफाओं तक रहे .
लोग बस अपनी व्यथाओं तक रहे

काम संकट में नहीं आया कोई,
मित्र भी शुभकामनाओं तक रहे.

क्षुब्ध था मन देवताओं से मगर
स्वर हमारे प्रार्थनाओं तक रहे.

लोक को उन साधुओं से क्या मिला,
जो   हमेशा कंदराओं   तक    रहे.

सामने ज्वालामुखी थे किन्तु हम
इन्द्रधनुषी कल्पनाओं तक रहे.

       -ओमप्रकाश यती


BAHUT KHOOB............!
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F.H.SIDDIQUI
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«Reply #10 on: October 05, 2011, 01:06:45 PM »
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Beautiful.Congrats! Sorry 4 not noticing it earlier.
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khujli
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«Reply #11 on: October 10, 2011, 11:35:02 AM »
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स्वार्थ की अंधी गुफाओं तक रहे .
लोग बस अपनी व्यथाओं तक रहे

काम संकट में नहीं आया कोई,
मित्र भी शुभकामनाओं तक रहे.

क्षुब्ध था मन देवताओं से मगर
स्वर हमारे प्रार्थनाओं तक रहे.

लोक को उन साधुओं से क्या मिला,
जो   हमेशा कंदराओं   तक    रहे.

सामने ज्वालामुखी थे किन्तु हम
इन्द्रधनुषी कल्पनाओं तक रहे.

       -ओमप्रकाश यती


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anand shukla
Guest
«Reply #12 on: July 19, 2013, 06:42:33 PM »
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vaah yati ji lo ek sear mai bhi jodata hu

    sawani bauchhar  unko  bha  gayi
    ham to aansu ke ghataon tak rahe
                       anand shukla
                       07877275133
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anandshukla
Guest
«Reply #13 on: August 09, 2013, 03:44:03 PM »
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samane  tha stya  ka  etihaas par
ham sabhi jhuthi kathaon tak rahe

    anand shukla
    mob 07877275133  
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livingbytheday
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«Reply #14 on: August 11, 2013, 05:16:35 PM »
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bahut khoob
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With a Quick-Reply you can use bulletin board code and smileys as you would in a normal post, but much more conveniently.


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