RAJ SOLANKI
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कलियुग (राजकवि दादा लखमी चन्द जी)
(कुछ * वाले शब्दों के अर्थ अंत में दिए गए हैं) समद ऋषि जी ज्ञानी हो-गे जिसनै वेद विचारा । वेदव्यास जी कळूकाल* का हाल लिखण लागे सारा ॥ टेक ॥
एक बाप के नौ-नौ बेटे, ना पेट भरण पावैगा - बीर-मरद हों न्यारे-न्यारे, इसा बखत आवैगा । घर-घर में होंगे पंचायती, कौन किसनै समझावैगा - मनुष्य-मात्र का धर्म छोड़-कै, धन जोड़ा चाहवैगा ।
कड़ कै न्यौळी बांध मरैंगे, मांग्या मिलै ना उधारा* ॥1॥ वेदव्यास जी कळूकाल का हाल लिखण लागे सारा ।
लोभ के कारण बल घट ज्यांगे*, पाप की जीत रहैगी - भाई-भाण का चलै मुकदमा, बिगड़ी नीत रहैगी । कोए मिलै ना यार जगत मैं, ना सच्ची प्रीत रहैगी - भाई नै भाई मारैगा, ना कुल की रीत रहैगी ।
बीर नौकरी करया करैंगी, फिर भी नहीं गुजारा ॥2॥ वेदव्यास जी कळूकाल का हाल लिखण लागे सारा ।
सारे कै प्रकाश कळू का, ना कच्चा घर पावैगा* - वेद शास्त्र उपनिषदां नै ना जाणनियां पावैगा । गऊ लोप हो ज्यांगी दुनियां में, ना पाळनियां पावैगा - मदिरा-मास नशे का सेवन, इसा बखत आवैगा ।
संध्या-तर्पण हवन छूट ज्यां, और वस्तु* जांगी बाराह ॥3॥ वेदव्यास जी कळूकाल का हाल लिखण लागे सारा ।
कहै लखमीचंद छत्रापण* जा-गा, नीच का राज रहैगा - हीजड़े मिनिस्टर बण्या करैंगे, बीर कै ताज रहैगा । दखलंदाजी और रिश्वतखोरी सब बे-अंदाज रहैगा - भाई नै तै भाई मारैगा, ना न्याय-इलाज रहैगा ।
बीर उघाड़ै सिर हांडैंगी, जिन-पै दल खप-गे थे अठाराह* ॥4॥ वेदव्यास जी कळूकाल का हाल लिखण लागे सारा ।
कळूकाल = कलियुग कड़ कै न्यौळी बांध मरैंगे, मांग्या मिलै ना उधारा= लोग कमर में या जेब में पैसा बांधे रखेंगे, फिर भी मांगने पर या उधार में पैसा नहीं मिलेगा । लोभ के कारण बल घट ज्यांगे= घी-दूध आदि महंगा हो जायेगा, लोग लोभ में आकर इसे खरीद नहीं पायेंगे और उनका शारीरिक बल घटता जायेगा । सारे कै प्रकाश कळू का, ना कच्चा घर पावैगा= कलियुग में सब जगह (बिजली का) उजाला रहेगा और सब मकान पक्के होंगे । वस्तु जांगी बाराह= सोना, चांदी, तांबा आदि बारह धातु (वस्तु) गायब हो जायेंगी । छत्रापण जा-गा= क्षत्रियपन मिट जायेगा जिन-पै दल खप-गे थे अठाराह= द्रोपदी के चीरहरण के कारण महाभारत हुआ था जिसमें कुल 18 सेनाऐं खत्म हो गईं थीं (कौरवों के पास 11 अक्षौहिणी सेना थी और पांडवों के पास 7)
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