मोहब्बत के शहर में..

by subh alone on May 20, 2016, 01:02:15 PM
Pages: [1]
ReplyPrint
Author  (Read 1229 times)
subh alone
Guest
Reply with quote
दोस्तों आप सब के स्नेह से जो कुछ भी मैं टूटा -फूटा लिख पाया ,उसपर आप सब का जो प्यार मिला उसके लिए मैं आप सभी का आभारी हूँ.. इसी क्रम में 2 साल से अधूरी कविता को पूरी करने का साहस कर पाया , आशा है इस कविता को वैसा ही प्यार मिलेगा जैसे अब तक मिलता आया है ।

    "मोहब्बत के शहर में हूँ अंजाना भला, जाना चाहे कोई न इसे छोड़कर ,
     बांधे डोरी दिलों की दिलों से पिया , हुस्न की है ये कैसी 'जादूगरी '
     मोहब्बत के शहर में हूँ अंजाना भला...
     जब से देखा उसे उस हंसी मोड पर , लट  काली घटाएँ समेटे हुए ..
     उन अदाओं में ऐसा दिखा क्या मुझे , दिन उतरता तो है , साँझ ढलती नहीं ..
     दिन उतरता तो है , साँझ ढलती नहीं ....
     तेरे यौवन का ऐसा सबब मिल गया , प्यास लग आती है, प्यास बुझती नहीं .
     मोहब्बत के शहर में हूँ अंजाना भला...
     आज मौसम भी मुझसे खफा हो गया , हवा भी जो ऐसे मचलती नहीं ,
     तेरे होठों से निकले हंसी लब कभी वो भी जलते रहे मैं तड़पता रहा ....
     ऐसा कैसा मुझे ये शहर मिल गया , हुस्न की ये रियासत है सबसे बड़ी ..
     मोहब्बत के शहर में हूँ अंजाना भला...
        - शुभेन्द्र त्रिपाठी "उन्नाव उ .प्र "
Logged
adil bechain
Umda Shayar
*

Rau: 161
Offline Offline

Gender: Male
Waqt Bitaya:
31 days, 18 hours and 24 minutes.

Posts: 6552
Member Since: Mar 2009


View Profile
«Reply #1 on: May 20, 2016, 01:10:34 PM »
Reply with quote
दोस्तों आप सब के स्नेह से जो कुछ भी मैं टूटा -फूटा लिख पाया ,उसपर आप सब का जो प्यार मिला उसके लिए मैं आप सभी का आभारी हूँ.. इसी क्रम में 2 साल से अधूरी कविता को पूरी करने का साहस कर पाया , आशा है इस कविता को वैसा ही प्यार मिलेगा जैसे अब तक मिलता आया है ।

    "मोहब्बत के शहर में हूँ अंजाना भला, जाना चाहे कोई न इसे छोड़कर ,
     बांधे डोरी दिलों की दिलों से पिया , हुस्न की है ये कैसी 'जादूगरी '
     मोहब्बत के शहर में हूँ अंजाना भला...
     जब से देखा उसे उस हंसी मोड पर , लट  काली घटाएँ समेटे हुए ..
     उन अदाओं में ऐसा दिखा क्या मुझे , दिन उतरता तो है , साँझ ढलती नहीं ..
     दिन उतरता तो है , साँझ ढलती नहीं ....
     तेरे यौवन का ऐसा सबब मिल गया , प्यास लग आती है, प्यास बुझती नहीं .
     मोहब्बत के शहर में हूँ अंजाना भला...
     आज मौसम भी मुझसे खफा हो गया , हवा भी जो ऐसे मचलती नहीं ,
     तेरे होठों से निकले हंसी लब कभी वो भी जलते रहे मैं तड़पता रहा ....
     ऐसा कैसा मुझे ये शहर मिल गया , हुस्न की ये रियासत है सबसे बड़ी ..
     मोहब्बत के शहर में हूँ अंजाना भला...
        - शुभेन्द्र त्रिपाठी "उन्नाव उ .प्र "



achchcha likhaa hai janaab  Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause
Logged
subh alone
Guest
«Reply #2 on: May 20, 2016, 01:15:36 PM »
Reply with quote
आभार ।
ये कविता मैंने संगीतबद्ध की है अगर यहाँ अपनी आवाज को आप सबतक पहुंचाने में मे मदद मिल जाती तो इस कविता का मजा ही कुछ और था , फिर भी बहुत बहुत धन्यवाद
Logged
surindarn
Ustaad ae Shayari
*****

Rau: 273
Offline Offline

Waqt Bitaya:
134 days, 2 hours and 27 minutes.
Posts: 31520
Member Since: Mar 2012


View Profile
«Reply #3 on: May 20, 2016, 06:34:46 PM »
Reply with quote
bahut khoob dheron daad.
 Applause Applause Applause Applause Applause Applause
Logged
Pages: [1]
ReplyPrint
Jump to:  

+ Quick Reply
With a Quick-Reply you can use bulletin board code and smileys as you would in a normal post, but much more conveniently.


Get Yoindia Updates in Email.

Enter your email address:

Ask any question to expert on eTI community..
Welcome, Guest. Please login or register.
Did you miss your activation email?
November 21, 2024, 05:11:29 PM

Login with username, password and session length
Recent Replies
[November 21, 2024, 09:01:29 AM]

[November 16, 2024, 11:44:41 AM]

by Michaelraw
[November 13, 2024, 12:59:11 PM]

[November 08, 2024, 09:59:54 AM]

[November 07, 2024, 01:56:50 PM]

[November 07, 2024, 01:55:03 PM]

[November 07, 2024, 01:52:40 PM]

[November 07, 2024, 01:51:59 PM]

[October 30, 2024, 05:13:27 AM]

by ASIF
[October 29, 2024, 07:57:46 AM]
Yoindia Shayariadab Copyright © MGCyber Group All Rights Reserved
Terms of Use| Privacy Policy Powered by PHP MySQL SMF© Simple Machines LLC
Page created in 0.11 seconds with 24 queries.
[x] Join now community of 8506 Real Poets and poetry admirer