वो- मन्दिर मस्जिद को रोते हैं

by prateekagarwal on September 19, 2013, 05:22:14 PM
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prateekagarwal
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वो- मन्दिर मस्जिद को रोते हैं

ना रोजी है ना रोटी है, ना तन पे एक लंगोटी है,
पर वो- मन्दिर मस्जिद को रोते हैं, नफरत के बीज बोते हैं

छुये आसमान महंगाई, पीठ पेट से लग आई है,
घनघोर उदासी छाई है,
पर वो- मन्दिर मस्जिद को रोते हैं, और अपना देश डुबोते हैं

बच्चे मजदूरी पर जीते हैं,वो इल्म से रहते रीते हैं,
हम खून के आंसू पीते हैं
पर वो- मन्दिर मस्जिद को रोते हैं, ऐसे भी नेता होते हैं

ना नारी का यहां मान हैं,ना दलितों की पहचान हैं
ना विकलांगों को स्थान हैं
पर वो- मन्दिर मस्जिद को रोते हैं, जो है उस को भी खोते हैं

है जहर हवा में पानी में, और नेताओं की बानी में,
नहीं जोश बचा जवानी में, सब लगे हुये मनमानी में
पर वो- मन्दिर मस्जिद को रोते हैं, बरबादी पे खुश होते हैं

असली बातों से सरोकार नहीं,है देश से इनको प्यार नहीं
ये मजहब के भी यार नहीं,
इसीलिये - मन्दिर मस्जिद को रोते हैं, सब नारे इनके थोथे हैं

अब हमने तो ये माना हैं, बस सच्चा एक तराना है
मन्दिर मस्जिद तो काफी हैं, इक देश है उसे बचाना हैं!..........
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sksaini4
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«Reply #1 on: September 19, 2013, 05:24:10 PM »
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wonderful creation
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Advo.RavinderaRavi
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«Reply #2 on: September 19, 2013, 05:41:49 PM »
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क्या बात है बहुत खूब भाई वाह वाह!!
वो- मन्दिर मस्जिद को रोते हैं

ना रोजी है ना रोटी है, ना तन पे एक लंगोटी है,
पर वो- मन्दिर मस्जिद को रोते हैं, नफरत के बीज बोते हैं

छुये आसमान महंगाई, पीठ पेट से लग आई है,
घनघोर उदासी छाई है,
पर वो- मन्दिर मस्जिद को रोते हैं, और अपना देश डुबोते हैं

बच्चे मजदूरी पर जीते हैं,वो इल्म से रहते रीते हैं,
हम खून के आंसू पीते हैं
पर वो- मन्दिर मस्जिद को रोते हैं, ऐसे भी नेता होते हैं

ना नारी का यहां मान हैं,ना दलितों की पहचान हैं
ना विकलांगों को स्थान हैं
पर वो- मन्दिर मस्जिद को रोते हैं, जो है उस को भी खोते हैं

है जहर हवा में पानी में, और नेताओं की बानी में,
नहीं जोश बचा जवानी में, सब लगे हुये मनमानी में
पर वो- मन्दिर मस्जिद को रोते हैं, बरबादी पे खुश होते हैं

असली बातों से सरोकार नहीं,है देश से इनको प्यार नहीं
ये मजहब के भी यार नहीं,
इसीलिये - मन्दिर मस्जिद को रोते हैं, सब नारे इनके थोथे हैं

अब हमने तो ये माना हैं, बस सच्चा एक तराना है
मन्दिर मस्जिद तो काफी हैं, इक देश है उसे बचाना हैं!..........
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kalam k chalne ko zamaana paagalpan samajhta hai.

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«Reply #3 on: September 19, 2013, 10:36:00 PM »
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pragati (ek vikas)
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«Reply #4 on: September 20, 2013, 01:19:29 AM »
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gr8t happy9
yun hi likhte rahiye dost
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nandbahu
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«Reply #5 on: September 20, 2013, 09:44:23 AM »
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wow, dhero daad
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prateekagarwal
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«Reply #6 on: September 23, 2013, 05:17:28 PM »
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thank you friends
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Saara S
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«Reply #7 on: October 10, 2013, 11:46:15 PM »
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Realy nice..
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nishtha11
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«Reply #8 on: October 15, 2013, 08:12:33 PM »
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Very nice. When every one can understand this then this earth becomes like "SWARG"
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