Cricket mania........ आफत और गफ़लत के बीच भारतीय महिलाएं......!

by KOYAL46 on March 30, 2011, 07:59:20 AM
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KOYAL46
Guest
Yoindia k Cricket premiyon....ye article meine aaj he padha aur laga k aap log bhi padho so share kar rahi hu....aashaa hai aapko pasand aayega aur aap Dr. Monica Sharmaji ka shukriyaa adaa karenge.....Specially mahilaa warg tou jaroor kare......koyal

30...mar
क्रिकेट..... आफत और गफ़लत के बीच भारतीय महिलाएं......!
Posted by डॉ॰ मोनिका शर्मा in क्रिकेट......

इस देश में क्रिकेट को मजहब कहा जाता है। यह एक दीवानगी है........ एक पागलपन है........... कुछ खास मैच तो ऐसे होते हैं कि सङकें सूनी हो जाती हैं और बॉस के सामने उस दिन की छुट्टी चाहने वालों की कतार लग जाती है। यहां बच्चा-बच्चा इस खेल के पीछे पागल है बङों की तो पूछिये ही मत और बुजुर्गों की क्या बतायें............ ?

खैर इन सबके बीच एक ऐसा वर्ग भी है जिनके जीवन में यह क्रिकेटिया दीवानगी काफी हलचल मचा देती है......... वो हैं महिलाएं। हालांकि ऐसी महिलाओं का प्रतिशत काफी कम है जो खुद टीवी से चिपक कर मैच देखती हैं पर यकीन मानिए हुआ कप जैसे टूर्नामेंट उनकी पल दो पल की फुरसत भी छीन लेते हैं Usual Smile

क्रिकेट का मौसम आते ही उनकी दिनचर्या बदल जाती है। नई जिम्मेदारियां सिर आ जाती हैं, हजारों काम बढ जाते हैं। इन दिनों कितना भी व्यवस्थित किया जाए घर अस्त-व्यस्त ही रहता है ......... जिस दिन कोई खास मैच हो जैसा कि आज है चाय की चुस्कियों के दौर खत्म ही नहीं होते..................... बच्चों को स्कूल नहीं जाना होता और पतिदेव को ऑफिस.............. और तो और उनके पसंदीदा टेलीविजन धरावाहिकों पर भी इस क्रिकेट की गाज गिरे बिना नहीं रहती।

इन सबके बीच हार जीत के हालातों को भी महिलाओं को ही संभालना पङता है। हार गये तो कोई नहीं जी...... और जीत गये तो मैं ना कहती थी.................कभी कभी तो पकौङियां तलते हुए करची हाथ में लिये लिये ही पति और बच्चों को तस्सल्ली देनी पङती है अगर कोई खिलाङी अचानक बोल्ड हो जाये। कोई नहीं....... हम लोग जीत जायेंगें .......!

उधर मैदान में खिलाङी जितना जी जान से खेल रहे होते हैं इधर अपने ही घर में अपने ही लोगों की आवभगत उतनी ही जोरदार ढंग से चल रही होती है। एक भी बॉल मिस ना हो जाये इसलिए पानी से लेकर खाना तक बच्चों और बङों को और टीवी के सामने ही चाहिए और मिलता भी है.......

क्रिकेट की इस दीवानगी के चलते हालात बङे अलग से हो जाते हैं । आम दिनों में बात-बात में समझाइशें देने वाली मम्मियां बच्चों से बङे प्यार से कभी किसी खिलाङी का नाम पूछती हैं तो कभी उसका देश। कभी-कभी रसोई से ही आवाज लगातीं हैं............... कौन आउट हुआ रे अबके ........!

कुछ पल सुकून के मिलें तो आसपङौस के हाल पूछ लेती हैं क्योंकि बगल वाले घर में भी तो यही हाल है। वहां भी अपनी पसंद के धारावाहिकों के किरदारों की कई दिनों से कोई खैर खबर जो नहीं है ..........मन को तस्स्ल्ली देती है तो बस एक बात कि कुछ दिन और सही....... बस वर्ल्ड कप का फाइनल मैच अब होने को है।

बावजूद इन सब बातों के, क्रिकेटिया फीवर को झेलती ये भारतीय महिलाएं ही हैं जो खुश रह सकती हैं। बस..................अपनों की खुशी के लिए।

This entry was posted on बुधवार, ३० मार्च २०११ at Wednesday, March 30, 2011 and is filed under क्रिकेट mania........
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manjum
Guest
«Reply #1 on: March 30, 2011, 08:02:40 AM »
kya baat ai.. koyalji...

aapki is baat se har mahila aur purush bhi sahmat honge.... bahut sach kaha ai aapne...... aur ise yahaan post kiya... ki sab pad sake....
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pandit
Guest
«Reply #2 on: March 31, 2011, 04:40:56 AM »
Koyal ji...
lagta hai bahut kareeb se dekha hai aapne har pahloo koo...

well written
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manzil-e-ishq
Guest
«Reply #3 on: March 31, 2011, 05:54:05 AM »
nice sharing koyal....
Very true......
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Matrix Guy
Guest
«Reply #4 on: March 31, 2011, 06:04:52 AM »
koyal ji apne डॉ॰ मोनिका शर्मा ji ki baat yaha sahre ki he wo acchi lagi.kafi practicale he ........but ek jagah me agree nahi hu ...

बावजूद इन सब बातों के, क्रिकेटिया फीवर को झेलती ये भारतीय महिलाएं ही हैं जो खुश रह सकती हैं। बस..................अपनों की खुशी के लिए।

dr. sahab ye jelna nahi he .this is game fever and more than it is love to nation........jo aap sabhi ne kal India Vs Pakistan me dekh liya hoga......bas ise झेलती ka naam na de to hi sahi he kyu ese game me aur ese competetion me esa koun he jiski hearbeat high nahi hui hogi.baccha buda mahilaye purush sabhi sans rok ke bethe they....so dnt say it jelna....aur second thing ek baat hamesha yaad rakhe ki .....desh he to hum he aur hum se hi desh he...

thats all for dr. monika shamra ji not for u koyal ji.....apne ye share kiya uske kiye thx a lot
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AbhiTamrakar
Guest
«Reply #5 on: March 31, 2011, 06:45:30 AM »
hmm good article with no meanings and produces nothing sensible...

galat na samajhiyega eisa isiliye ...


kyuki ham sabhi jante he jis desh me har dusra bachcha cricket ke prati deewangi rakhta ho wahan itne bade or aham match me is tarah ka manjar hona aam baat he..
rahi baat "jhelne" ki to rozmarra ke ubaaau saas bahu ki aansuu upjaauu factory wali kahaniyon se kuchh achha or knowledegable he..

or baat jahan tak kam ki he to maine aaj ke zamane me kisi ghar me eisa to anhi dekha ki akeli mahila kaam kar rahi he or baki log baithe rahe bas match dekh rahe he...

ab to har varg samajhdaar he, jante he ki ghar ke kaam me hath bataya jana chahiye  or bataya bhi jata he. har over ke baaad Ad hoti he taki aap jaroori kam poore kar sake....

or cricket fever me mahilaye hi kahan peechhe he, kaam karna he to sare kaam kitchen se uthkar TV set ke samne aa jate he ...jaise keh rahae hoo "LO bhai yahi poora kar lo hamko".

aise me ye soch thodi si yahi kuchh 10 -20 saal purani lagti heee..

at last ...thnx Dr monika ji to share this one ...really a good article to debate .. icon_tongue

and to you too koyaliya for sharing it...

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Matrix Guy
Guest
«Reply #6 on: March 31, 2011, 06:48:16 AM »
hmm good article with no meanings and produces nothing sensible...

galat na samajhiyega eisa isiliye ...


kyuki ham sabhi jante he jis desh me har dusra bachcha cricket ke prati deewangi rakhta ho wahan itne bade or aham match me is tarah ka manjar hona aam baat he..
rahi baat "jhelne" ki to rozmarra ke ubaaau saas bahu ki aansuu upjaauu factory wali kahaniyon se kuchh achha or knowledegable he..

or baat jahan tak kam ki he to maine aaj ke zamane me kisi ghar me eisa to anhi dekha ki akeli mahila kaam kar rahi he or baki log baithe rahe bas match dekh rahe he...

ab to har varg samajhdaar he, jante he ki ghar ke kaam me hath bataya jana chahiye  or bataya bhi jata he. har over ke baaad Ad hoti he taki aap jaroori kam poore kar sake....

or cricket fever me mahilaye hi kahan peechhe he, kaam karna he to sare kaam kitchen se uthkar TV set ke samne aa jate he ...jaise keh rahae hoo "LO bhai yahi poora kar lo hamko".

aise me ye soch thodi si yahi kuchh 10 -20 saal purani lagti heee..

at last ...thnx Dr monika ji to share this one ...really a good article to debate .. icon_tongue

and to you too koyaliya for sharing it...



100% agreed with abhi.........
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sbechain
Guest
«Reply #7 on: December 14, 2011, 10:01:00 AM »
Yoindia k Cricket premiyon....ye article meine aaj he padha aur laga k aap log bhi padho so share kar rahi hu....aashaa hai aapko pasand aayega aur aap Dr. Monica Sharmaji ka shukriyaa adaa karenge.....Specially mahilaa warg tou jaroor kare......koyal

30...mar
क्रिकेट..... आफत और गफ़लत के बीच भारतीय महिलाएं......!
Posted by डॉ॰ मोनिका शर्मा in क्रिकेट......

इस देश में क्रिकेट को मजहब कहा जाता है। यह एक दीवानगी है........ एक पागलपन है........... कुछ खास मैच तो ऐसे होते हैं कि सङकें सूनी हो जाती हैं और बॉस के सामने उस दिन की छुट्टी चाहने वालों की कतार लग जाती है। यहां बच्चा-बच्चा इस खेल के पीछे पागल है बङों की तो पूछिये ही मत और बुजुर्गों की क्या बतायें............ ?

खैर इन सबके बीच एक ऐसा वर्ग भी है जिनके जीवन में यह क्रिकेटिया दीवानगी काफी हलचल मचा देती है......... वो हैं महिलाएं। हालांकि ऐसी महिलाओं का प्रतिशत काफी कम है जो खुद टीवी से चिपक कर मैच देखती हैं पर यकीन मानिए हुआ कप जैसे टूर्नामेंट उनकी पल दो पल की फुरसत भी छीन लेते हैं Usual Smile

क्रिकेट का मौसम आते ही उनकी दिनचर्या बदल जाती है। नई जिम्मेदारियां सिर आ जाती हैं, हजारों काम बढ जाते हैं। इन दिनों कितना भी व्यवस्थित किया जाए घर अस्त-व्यस्त ही रहता है ......... जिस दिन कोई खास मैच हो जैसा कि आज है चाय की चुस्कियों के दौर खत्म ही नहीं होते..................... बच्चों को स्कूल नहीं जाना होता और पतिदेव को ऑफिस.............. और तो और उनके पसंदीदा टेलीविजन धरावाहिकों पर भी इस क्रिकेट की गाज गिरे बिना नहीं रहती।

इन सबके बीच हार जीत के हालातों को भी महिलाओं को ही संभालना पङता है। हार गये तो कोई नहीं जी...... और जीत गये तो मैं ना कहती थी.................कभी कभी तो पकौङियां तलते हुए करची हाथ में लिये लिये ही पति और बच्चों को तस्सल्ली देनी पङती है अगर कोई खिलाङी अचानक बोल्ड हो जाये। कोई नहीं....... हम लोग जीत जायेंगें .......!

उधर मैदान में खिलाङी जितना जी जान से खेल रहे होते हैं इधर अपने ही घर में अपने ही लोगों की आवभगत उतनी ही जोरदार ढंग से चल रही होती है। एक भी बॉल मिस ना हो जाये इसलिए पानी से लेकर खाना तक बच्चों और बङों को और टीवी के सामने ही चाहिए और मिलता भी है.......

क्रिकेट की इस दीवानगी के चलते हालात बङे अलग से हो जाते हैं । आम दिनों में बात-बात में समझाइशें देने वाली मम्मियां बच्चों से बङे प्यार से कभी किसी खिलाङी का नाम पूछती हैं तो कभी उसका देश। कभी-कभी रसोई से ही आवाज लगातीं हैं............... कौन आउट हुआ रे अबके ........!

कुछ पल सुकून के मिलें तो आसपङौस के हाल पूछ लेती हैं क्योंकि बगल वाले घर में भी तो यही हाल है। वहां भी अपनी पसंद के धारावाहिकों के किरदारों की कई दिनों से कोई खैर खबर जो नहीं है ..........मन को तस्स्ल्ली देती है तो बस एक बात कि कुछ दिन और सही....... बस वर्ल्ड कप का फाइनल मैच अब होने को है।

बावजूद इन सब बातों के, क्रिकेटिया फीवर को झेलती ये भारतीय महिलाएं ही हैं जो खुश रह सकती हैं। बस..................अपनों की खुशी के लिए।

This entry was posted on बुधवार, ३० मार्च २०११ at Wednesday, March 30, 2011 and is filed under क्रिकेट mania........


bahut acha topic hai mahilao.n ka cricket prem aur aisa hi hai. nice sharing kouyal ji
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