आज कल मोहब्बत फेक हैं.. "ऋषि"

by Rishi Agarwal on July 08, 2014, 07:25:04 PM
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Rishi Agarwal
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आज कल मोहब्बत फेक हैं, क्यूंकि आज की मोहब्बत फेसबुक और व्हाट्सअप हो गई हैं l यहाँ रोज नित नए चेहरों से मुलाक़ात हो जाती हैं धीरे - धीरे दोस्ती और फिर मोहब्बत की शुरुवात हो जाती हैं l फिर नम्बरों का आदान प्रदान होता हैं और पूरी रात जाग कर मोहब्बत के पाठ पढ़े जाते हैं l वादों का सिलसिला चलने लगता हैं, साथ निभाने के की कसमें खाई जाती हैं l

फिर धीरे धीरे रिश्तो में शक और जरूरत का नाम आ जाता हैं, और रिश्ते टूट कर चकनाचूर हो जाते हैं l फिर दोनों एक दुसरे से बात करना बंद कर देते हैं लड़का या लड़की एक दुसरे को ब्लोक कर देते हैं और फिर एक दुसरे को भूल कर और नयें के साथ शुरू हो जाते हैं l वो ही कर्म चलता हैं और मोहब्बत तमाशा बन जाती हैं l

कुछ सच्ची मोहब्बत करने वाले भी होते हैं उनमें कुछ शराबी तो कुछ देवदास तो कुछ शायर बन जाते हैं और कुछ इतने निराश हो जाते हैं खुद को खत्म कर लेते हैं पर ये वो होते हैं जो सच्चे दिल से प्यार करते हैं पर आज के युग में सच्ची मोहब्बत कभी किसी को रास नहीं आती हैं और यही आज का सच्च हैं किसी को हद से ज्यादा चाहना खुद को बर्बाद करने के सिवा कुछ नहीं हैं l

मोहब्बत पहले के जमाने में होती थी l क्यूंकि उस वक्त फेसबुक, व्हाट्सअप नहीं थे l उस वक्त चिठ्ठिया लिख कर मोहब्बत का इकरार होता था और वो प्यार दिल से निभाया जाता था पर आज कल प्यार दिल से नहीं दिमाग से चलाया जाता हैं l किसी को खोने का किसी को गम नही होता क्यूंकि सबके पास न्यू ओपोर्चुनिटी जो तैयार रहती हैं l

ये कैसी मोहब्बत हैं इस युग में कुछ दिन अपने दिल में उसे शहंशाह या रानी बनाके रखते हैं और जब वो दिल से उतर जाता हैं तो उसे गाली गलोच, उसकी बुराईयाँ और उसको बर्बाद करने की वजह ढूंडते रहते हैं l जिसके लिए कभी दुआ में हाथ उठते हैं उसी के लिए बर्बादी के सपने देखने लगते हैं l यही हैं आज की मोहब्बत और आज का दर्द - ए - इश्क l

आजकल मोहब्बत मजाक हैं कर तो सभी लेते हैं निभाने के लिए वक्त किसी के पास नही हैं कोई दो पल साथ नहीं चल पाता क्यूंकि सबको मोहब्बत नहीं टाइमपास चाहिए l कोई अगर किसी से सच्चा प्यार करने तो उसकी मोहब्बत का मजाक बना दिया जाता हैं l अरे किसी से रिश्ता नहीं निभाओ तो कोई बात नहीं पर उसे घुटन भरी जिन्दगी देने की इजाजत किसने दी हैं अरे कभी उसी की ख़ुशी के लिए आप सब कुछ करने को तैयार होते हो और आज वो रोता हैं तो कोई फर्क नही पड़ता l क्या यही हैं मोहब्बत ?

पर सही मायनें में तो मोह्ब्ब्त वो शब्द हैं जिसको आज तक परिभाषित नहीं कर पाया l जिसमें किसी को नजरों में बसाते हैं सीधा दिल में उतारने के लिए l जिसमे जरूरत शब्द नहीं आता l जिसमें पैसा और हवस जैसे शब्द दूर दूर तक नजर नहीं आते हैं और शक जैसा शब्द मन में भी नहीं आता और आ भी जाएँ तो उसे दूर करने के लिए खुद को समझाया जाता हैं l मोहब्बत खुदा हैं कोई क्रिकेट या कैंडी क्रश का गेम नहीं हैं की जब तक मन किया खेला और जब उभ गए तो बंद कर दिया l

पहले दो अजनबी मिलते हैं फिर बातें होती हैं अजनबी से दोस्ती का रिश्ता शुरू होता हैं फिर एक दुसरे की पसंद ना पसंद को जाना जाता हैं फिर धीरे - धीरे मोहब्बत हो जाती हैं पर फिर क्या ? मोहब्बत के बाद क्या ? अगर मोहब्बत चली तो जिन्दगी भर साथ निभाया और मोहब्बत खत्म हुई तो फिर वही शुरुवात में आकर फिर अजनबी बन गए l क्या इसी का नाम मोहब्बत हैं ?

•√ सच्ची मोहब्बत वालों के लिए :-
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किसी से मोहब्बत करों तो निभाने के लिए करों ना की मनोरंजन के लिए l शायद तुम उसे छोड़कर खुश रह सको, पर उसकी जिन्दगी में घुटन और तन्हाई और जो तड़फ होगी उसकी वजह सिर्फ और सिर्फ तुम रहोगे l इसलिए अपनी ख़ुशी के लिए दूसरों की ख़ुशी तबाह करना ये इंसानियत नही हैं..

•√ टाइमपास मोहब्बत वालों के लिए :-
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जितना टाइम पास किसी के साथ करना हैं कर लो एक दिन आप खुद सबके लिए टाइमपास बन जाओगे l और उस दिन समझ आएगा मोहब्बत क्या हैं l

•√
वाह री मोहब्बत तेरे अजब गजब खेल निराले,
जिनको मिल जाएँ मोहब्बत वो किस्मत वाले,
और जिनको मिले मोहब्बत में, दर्द ए तन्हाई,
उनके हलक से नही उतरते. , रोटी के निवालें..


_______________________
ऋषि अग्रवाल
२१ जून २०१४
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sksaini4
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«Reply #1 on: July 08, 2014, 07:27:49 PM »
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Rishi Agarwal
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«Reply #2 on: July 08, 2014, 07:46:38 PM »
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धन्यवाद सुरेन्द्र जी सर
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ParwaaZ
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«Reply #3 on: July 09, 2014, 04:20:11 AM »

Rishi jee Aadaab ...!

Janab khoob kaha hai aapne ... par aapki post padhte huye dil meiN aika aik khayaal aaya ke Rishi jee akher kis mohobbat ki baat kar rahe hai ... phir smjhe ke janab is internet ki duniya ki mohobbat ki baat kar rahe hai ... jahaaN na koi apna real name batata hai na address na umar na pesha na koi niji zindagi ke baare meiN ...
Janab jis tarhaa se yeH internet ki duniyaa basi hai yahaaN sachchi mohobbat ka zikra bhi ghalat hai ...

Khair aap shayad taazi taazi thokar khaye haiN fareb ki koi gal nahi jee tusi bhi waise hi ho jaoge jaise aapki post me kahe ...

Shaad O aabaad rahiye ...
Khuda Hafez ...
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Rishi Agarwal
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«Reply #4 on: July 09, 2014, 05:29:21 PM »

Rishi jee Aadaab ...!

Janab khoob kaha hai aapne ... par aapki post padhte huye dil meiN aika aik khayaal aaya ke Rishi jee akher kis mohobbat ki baat kar rahe hai ... phir smjhe ke janab is internet ki duniya ki mohobbat ki baat kar rahe hai ... jahaaN na koi apna real name batata hai na address na umar na pesha na koi niji zindagi ke baare meiN ...
Janab jis tarhaa se yeH internet ki duniyaa basi hai yahaaN sachchi mohobbat ka zikra bhi ghalat hai ...

Khair aap shayad taazi taazi thokar khaye haiN fareb ki koi gal nahi jee tusi bhi waise hi ho jaoge jaise aapki post me kahe ...

Shaad O aabaad rahiye ...
Khuda Hafez ...


परवाज जी ठोकर खाएं तो मुद्दत हो गई .. अब तो जो ठोकर खाते हैं उनको बचाने के लिए मेरी तरफ से ये फरमान हैं .. क्यूंकि सच्चा प्यार नेट की दुनिया में मिलना बहुत मुश्किल हैं ..
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Kumar Anubhav
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«Reply #5 on: July 21, 2014, 02:05:46 AM »
Achha hai
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Meghna goel
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«Reply #6 on: August 25, 2014, 08:57:01 AM »
waah kya lika h... bhaut hi acha hai
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