क्या भगवान् है ? एक सच्ची घटना --रस्तोगी

by Ram Krishan Rastogi on March 21, 2018, 05:00:48 PM
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Ram Krishan Rastogi
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एक मेजर के नेतृत्व में 15 जवानो की एक टुकड़ी हिमालय पर्वत में अपने रास्ते पर थी उन्हे ऊपर कही तीन महीने के लिए दूसरी टुकड़ी के लिए तैनात होना था | दुर्गम स्थान,ठण्ड और बर्फवारी ने चढ़ाई की कठिनाई और बढ़ा थी|बेतहासा ठण्ड में मेजर ने सोचा कि अगर उन्हें यहाँ एक कप चाय मिल जाये तो आगे बढने की ताकत आ जाती लेकिन रात का समय था ओर आस पास कोई बस्ती नहीं थी|लगभग एक घंटे की चढ़ाई के पश्चात उन्हें एक जर्जर अवस्था में एक टूटी फूटी चाय की दुकान दिखाई दी | जैसे ही यह चाय की दुकान मेजर साहब ओर जवानों ने देखी उनके चेहरों पर एक ख़ुशी और आगे बढ़ने ओर चलने की झलक दिखाई दी ,पर अफ़सोस था कि उस चाय की दुकान पर ताला लगा था|भूख ओर थकान के कारण जवान आगे बढने ओर पहाड़ो की चढाई चढने पर अपने आप को असहाय समझ रहे थे,पर दूसरी तरफ उनको उनकी देश-भक्ति ओर उनकी कर्तव्य परायणता उनको आगे बढने को प्रेरित कर रही थी पर ऐसे कठिन समय में करा भी क्या जाये ? जवान ताला लगी चाय की दुकान पर टकटकी लगाये हुए थे | मेजर साहिब भी इस बात को समझ रहे थे पर चाय की दुकान पर ताला लगा था ओर आस पास कोई व्यक्ति भी नहीं दिखाई दे रहा था चूकी रात का समय था चारो ओर सन्नाटा छाया हुवा था दूसरी तरफ जवानो को भूख ओर थकान व्याकुल कर रही थी ओर वे सोच रहे थे कि चाय की दुकान का मालिक आये ओर उन्हें चाय पिलाये पर ऊपर वाले को ऐसा मंजूर नहीं था |

      ऐसी परिस्थिती में मेजर साहब ने सोचा और निर्णय लिया क्यों न चाय की दुकान का ताला तोडा जाये ओर जवानो को चाय पिलाई जाये ताकि उनको आगे बढने ओर चढ़ने का हौशला मिले|अतएव मेजर साहब ने जवानो को फौजी स्टाइल में चाय की दुकान का ताला तोड़ने का हुक्म दिया| जवान, मेजर साहब का ताला तोड़ने का हुक्म सुनकर हक्के बक्के में रह गये|पर मिल्ट्री में हुक्म अदूली करने का मतलब कोर्ट मार्शल या कड़ी से कड़ी सजा |

       जवानो ने मेजर साहब का हुक्म मानते हुए चाय की दुकान का ताला तोड़ दिया| दुकान खोलने पर पता चला कि एक भिगोने में दूध रखा था जो किसी ढक्कन से भी नहीं ढका था| चाय की पत्ती बराबर में रखी थी अंगीठी भी कुछ अधजली सी थी साथ में कुछ डिब्बो में बिस्कुट रखे थे,कुछ खुले हुए थे,कुछ पर ढक्कन लगे हुए थे | ऐसा प्रतीत हो रहा था कि चाय की दुकान का मालिक जल्दी में हो ओर वह तुरंत दुकान बंद करना चाहता हो | खैर सभी जवानो ने मिलकर अंगीठी के पास रखी कोयले व लकडियो को अंगीठी में डाला ओर चाय के लिए पानी उबाला ओर चाय बनाई तथा साथ में रखे बिस्किटो का भी आन्नद लिया|चाय व बिस्कुट ओर नमकीन खाकर जवानो की थकान कुछ कम हुई ओर आगे बढ़ने व चलने के लिए तैयार हो गये| मेजर साहब इन हरकतों से कुछ दुखी भी थे  पर भूखा मरता क्या नहीं करता |मेजर साहब दुखी इसलिए थे कि उसने गलत हुक्म देकर चाय की दुकान का ताला तुड़वाया ओर चोरी से जवानो को चाय पिलवाई ओर बिस्कुट भी खिलवाये पर वह खुश भी था कि उसे अपनी ड्यूटी करने में कुछ सफलता मिली पर उसके दिल में कुछ आत्म ग्लानि भी आने लगी क्योकि उसने चोरी की और चाय की दुकान का ताला तुड़वाया पर परिस्थिति-वश उसको ऐसा करना पड़ा| अतएव अपनी आत्म ग्लानी को शांत करने के लिए मेजर साहब ने अपने पर्स से दो हजार का नोट निकाला और चाय वाले की छोटी सी पैसो की संदुकड़ी  में रख दिया ओर फिर से चाय की दुकान बंद करके अपने आगे के स्थान पर मार्च करने लगे क्योकि उन्हें दूसरी टुकड़ी  को रिलीव करना था जो पहले से ही तैनात दुकड़ी उनका इन्तजार कर रही थी |इस टुकड़ी ने उनसे आगे के तीन महीने के लिए चार्ज लिया ओर अपनी ड्यूटी पर तैनात हो गये |

      तीन महीने की समाप्ति पर इस टुकड़ी के सभी 15 जवान सकुशल अपने मेजर के अगुवाई में उसी रास्ते से वापिस आ रहे थे|रास्ते में उसकी चाय की दुकान खुली देखकर वही विश्राम करने के लिए रुक गये| उधर चाय वाला 15 जवानो व एक अफसर को देखकर फूला नहीं समाया | चूकी इतने सारे ग्राहक उसकी दुकान पर पहले  एक साथ नहीं आये थे | चाय वाला भी उनसे पूछ कर उनके लिए चाय बनाने लगा|

       चाय की चुस्की ओर बिस्कुटो के बीच मेजर साहब चाय वाले से उसके जीवन का अनुभव पूछने लगे ओर ख़ास तौर से इस बीहड़ इलाके में चाय की दुकान चलाने के बारे में पूछा |बूढा उन्हें अपने जीवन की कई सच्ची बाते बताने लगा ओर साथ ही भगवान् का शुक्रिया करता रहा तभी एक जवान बोला,"बाबा,आप भगवान् को इतना मानते है पर भगवान् सच में होता तो फिर उसने इतने बुरे हाल में आपको क्यों रक्खा हुआ है " बाबा बोला,   "नहीं साहब ऐसा नहीं है कहते है भगवन तो सब जगह है और सच में है मैंने देखा है "

       आखरी वाक्य सुनकर सभी जवान आश्चर्यजनक द्रष्टि से बूढ़े चाय वाले की ओर देखने लगे | चाय वाला  फिर बोला,"साहब मै बहुत मुसीबत में था,एक दिन मेरे इकलौता बेटे को आंतकवादियो ने पकड़ लिया था उन्होंने उसे बहुत मारा पीटा ओर उससे कई प्रकार की जानकारी माँगने लगे थे पर मेरे बेटे के पास कोई जानकारी नहीं थी इसलिए उन्होंने उसे मार पीट कर छोड़ दिया था | मै दुकान बंद करके उसे हॉस्पिटल ले गया |मै बहुत ही परेशानी में था ओर आंतकवादियो के डर से किसी ने भी उधार नहीं दिया था| मेरे पास दवाइयों के लिए भी पैसे नहीं थे और मुझे कोई उम्मीद भी नजर नहीं आ रही थी| उस रात मै साहिब बहुत रोया ओर भगवान् से विनती  की और उससे मदद मांगी| साहिब उस रात भगवान् मेरी दुकान में खुद आये थे "|

       "मै सुबह अपनी दुकान पर गया पर दुकान का ताला टूटा देखकर मेरे होश हवास उड़ गये | मै जोर जोर से रोने लगा ओर मेरी दुकान के सामने भीड़ इकठ्ठी हो गयी,भीड़ में से एक बन्दा बोला, बाबा क्यों रो रहे हो जरा ये तो देखो,तुम्हारी दुकान में क्या क्या नुक्सान हुआ है फिर पास की पुलिस चोकी पर चोरी की रिपोर्ट लिखा देंगे| मै उसके कहने पर अपनी दुकान के अंदर गया तो मालूम चला कि बिस्कुट व नमकीन के डिब्बे खाली पड़े थे  केवल कुछ डिब्बो में बिस्कुट व नमकीन बचा था| फिर मैंने अपने गल्ले की संदुकची को देखा तो उसमे एक नया सा दो हजार का नोट रखा था| दो हजार का नोट देखते ही मेरी बांछे खिल उठी और मैंने उस नोट को अपने माथे पर लगाया ओर भगवान् को तरह तरह से धन्यवाद देने लगा कि भगवान् तुमने इस मुसीबत के समय में आकर आपने मेरी मदद की,तेरा लाख लाख शुक्रिया| दो हजार का नोट लेकर मै दवाई वाले की दुकान पर गया ओर अपने बेटे के लिए सभी जरूरी दवाईया खरीदी| भगवान् की कृपा से कुछ ही दिनों में मेरा बेटा बिलकुल ठीक हो गया|
     "साहब अगर भगवान् नहीं आये तो मेरे गल्ले में दो हजार का नोट कहाँ से आ गया" यह कह कर वह सुबक सुबक कर रोने लगा |"साहब,उस दिन दो हजार के नोट की कीमत मेरे लिए क्या थी शायद मै ब्यान न कर पाऊ ,लेकिन साहब भगवान् तो है "| बूढा अपने आप में बुडबुडाया ओर भगवान् होने का आत्मविश्वास उसकी आँखों में साफ़ चमक रहा था | यह सुनकर वहाँ सन्नाटा छा गया|

      जवानो की पंद्रह जोड़ी आँखे मेजर साहिब की तरफ देख रही थी और मेजर साहिब की आँखे उन से कह रही थी कि तुम सब चुप रहो ओर राज को राज रहने दो |मेजर साहिब उठे ओर चाय व बिस्कुट का बिल चाय वाले को अदा किया ओर उस चाय वाले को अपने गले लगाते हुए बोले,"मै जानता हूँ, कि भगवान् है ओर वह सब की मदद करता है ओर तुम्हारी चाय भी बहुत शानदार थी"| उस दिन मेजर की आँखों ने इस दुर्लभ द्रश्य को  इस तरह से प्रस्तुत किया |
      "भगवान सब जगह है सब की मदद करता है
       चाहे उस पर विश्वास करो न करो तुम
       वह सब की सुनता है ओर सबकी मदद करता है "
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surindarn
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«Reply #1 on: March 21, 2018, 09:41:58 PM »
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Ram Krishan Rastogi
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«Reply #2 on: March 22, 2018, 07:31:02 AM »
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