दर्शन "दूरदर्शन" का....!!

by rsd4u on June 23, 2011, 06:27:59 PM
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rsd4u
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आदिकाल से रही है परिवार के लिए बीबी की जरूरी,
लेकिन आजकल हर घर में है टी०वी० की मजबूरी।

टी०वी० के कई चैनल होते हैं,
और उन चैनलों के अलग अलग पैनल भी होते हैं।
एक ओर योग द्वारा रोग-मुक्ति के उपाय सुझाये जाते हैं,
तो दूसरी ओर सिगरेट और शराब के विज्ञापन दिखाये जाते हैं।

बात समझ में आये, यह जरूरी नहीं,
पर अंग्रेजी चैनल देखना अनिवार्य है,
वर्तमान भारत में शान से जीने के लिए,
अंग्रेजियत की छाप भी तो अपरिहार्य है।

दो वक्त की रोटी भी जिसे नहीं मिलती,
उसकी संख्या सत्तर प्रतिशत के लगभग है,
पर अमूल वाले अपने विज्ञापन में समझाते हैं कि,
असली मक्खन के स्वाद पे सभी का हक है।

सेविंग ब्लेड से लेकर ट्रेक्टर के टायर तक,
नारी देह का खुला प्रदर्शन होता है,
"यत्र नार्यास्तु पूज्यन्ते" का प्राचीन सिद्धान्त,
अपने आप पे रोता है।




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