शायर बन जाऊ

by shunaya on September 21, 2014, 05:19:49 PM
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shunaya
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क्या सोच रखु की शायर बन जाऊ ,
सवाल मैं यह हर किसी से दोहराऊ |

पढता अनेक मैं कहानियां और किस्से,
पर शब्द का एक अक्षर न लिख पाउ|
पर चढ़ा मझे भी सुरूर था,
की लोगों मैं भी 'ग़ालिब' हो जाऊ||

घूमने लगा शायरों की महफ़िल ,
जहा हर जाम पे शायरी छलकती|
पर जब पूछा शायरी के नुस्खे,
हर शक्श की दुआ थी की मैं शायर न बन पाउ||

दुविधा बढ़ी मेरी इनकी दुआ पर,
पर डटा रहा मैं उस सवाल पर|
मुझे भी पानी थी उनकी शौहरत और गहराई,
फिर चाहे मैं आज मखोल क्यों न बन जाऊ||

मेरी असमंजस को एक शायर ने समझा
बोला बैठ यहाँ,तुझे इन सबकी आप बीती बतलाऊ|
यह सभी अधूरे इश्क़ के मारे है,
सुरूर इन्हे था किसी का 'हमसफ़र' कहलाऊ||

तोः तुझे मैं शायरी न सिखाऊंगा
बस इनके जज्बातों से वाकिफ कराऊंगा||

इन दीवानो की तरह तू भी प्यार कर,
उस से नज़रें मिलाने का इंतज़ार कर,
छुप छुप तसवीरें गढ़ उसकी मंन में,
दिल की बढ़ती धड़कनो का पहला इज़हार कर |

ऑंखें बहा उसके इंकार पर,
झूम जा उसके भी इकरार पर,
पढ़ ले उसकी हर अदाकारी को,
मोहबत्तो के तस्बीह तू भी तैयार कर||

जल जा तू परवानो की तरह ,
जुदाई पर हर पल उसे याद कर,
लड़ जा दुनिया से उसके लिए,
इस आग के दरिया को तू पार कर|

पर मत समझ यह सुखी जीवन है,
यही तड़पने के सारे माधयम है,
जब छूटेगा तुझसे तेरे आशिक़ का दमन
तू भी रोयेगा की बावरा न हो जाऊ||

किसी को बेवफ़ाई की हाय लगी,
कोई हरजाई साबित हो गया,
किसी ने ऐतबार न किया अपने रूह पर,
कोई मजबूरियों का शिकार हो गया |

समाज ने हर प्यार करने वाले को
बराबर बेगैरत किया है ,
न्योछावर हुवे सब यार की सलामती के लिए
भले ही उस यार का अक्स न बन पाउ||

जब यह संनातें अंदर बस जातें है,
हर ज़र्रा यह कहता है की पन्नो पर फुट जाऊ|
मज़ा आता है लोगो को इन शब्दों पर
पर कोई नही चाहता की मैं यह 'हालत' बन जाऊ||

फेरिहस्त गिना दी तुझे इनके आवारगी की
अब तोः ख्याल निकाल, की शायर बन जाऊ||

मैंने तोः अपने कान पकड़ लिए
भले ही ज़िन्दगी का घिस्सा टायर बन जाऊ,
भ्रस्टाचार की मुद्दो से भी शौहरत मिले ,तोः कायर से जनरल डायर बन जाऊ |
जॉब से रिटायर बन जाऊ , पर अब ना सोचूंगा की शायर बन जाऊ||
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Advo.RavinderaRavi
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«Reply #1 on: September 21, 2014, 06:04:45 PM »
क्या सोच रखु की शायर बन जाऊ ,
सवाल मैं यह हर किसी से दोहराऊ |

पढता अनेक मैं कहानियां और किस्से,
पर शब्द का एक अक्षर न लिख पाउ|
पर चढ़ा मझे भी सुरूर था,
की लोगों मैं भी 'ग़ालिब' हो जाऊ||

घूमने लगा शायरों की महफ़िल ,
जहा हर जाम पे शायरी छलकती|
पर जब पूछा शायरी के नुस्खे,
हर शक्श की दुआ थी की मैं शायर न बन पाउ||

दुविधा बढ़ी मेरी इनकी दुआ पर,
पर डटा रहा मैं उस सवाल पर|
मुझे भी पानी थी उनकी शौहरत और गहराई,
फिर चाहे मैं आज मखोल क्यों न बन जाऊ||

मेरी असमंजस को एक शायर ने समझा
बोला बैठ यहाँ,तुझे इन सबकी आप बीती बतलाऊ|
यह सभी अधूरे इश्क़ के मारे है,
सुरूर इन्हे था किसी का 'हमसफ़र' कहलाऊ||

तोः तुझे मैं शायरी न सिखाऊंगा
बस इनके जज्बातों से वाकिफ कराऊंगा||

इन दीवानो की तरह तू भी प्यार कर,
उस से नज़रें मिलाने का इंतज़ार कर,
छुप छुप तसवीरें गढ़ उसकी मंन में,
दिल की बढ़ती धड़कनो का पहला इज़हार कर |

ऑंखें बहा उसके इंकार पर,
झूम जा उसके भी इकरार पर,
पढ़ ले उसकी हर अदाकारी को,
मोहबत्तो के तस्बीह तू भी तैयार कर||

जल जा तू परवानो की तरह ,
जुदाई पर हर पल उसे याद कर,
लड़ जा दुनिया से उसके लिए,
इस आग के दरिया को तू पार कर|

पर मत समझ यह सुखी जीवन है,
यही तड़पने के सारे माधयम है,
जब छूटेगा तुझसे तेरे आशिक़ का दमन
तू भी रोयेगा की बावरा न हो जाऊ||

किसी को बेवफ़ाई की हाय लगी,
कोई हरजाई साबित हो गया,
किसी ने ऐतबार न किया अपने रूह पर,
कोई मजबूरियों का शिकार हो गया |

समाज ने हर प्यार करने वाले को
बराबर बेगैरत किया है ,
न्योछावर हुवे सब यार की सलामती के लिए
भले ही उस यार का अक्स न बन पाउ||

जब यह संनातें अंदर बस जातें है,
हर ज़र्रा यह कहता है की पन्नो पर फुट जाऊ|
मज़ा आता है लोगो को इन शब्दों पर
पर कोई नही चाहता की मैं यह 'हालत' बन जाऊ||

फेरिहस्त गिना दी तुझे इनके आवारगी की
अब तोः ख्याल निकाल, की शायर बन जाऊ||

मैंने तोः अपने कान पकड़ लिए
भले ही ज़िन्दगी का घिस्सा टायर बन जाऊ,
भ्रस्टाचार की मुद्दो से भी शौहरत मिले ,तोः कायर से जनरल डायर बन जाऊ |
जॉब से रिटायर बन जाऊ , पर अब ना सोचूंगा की शायर बन जाऊ||
Bahut khoob.
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~Hriday~
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kalam k chalne ko zamaana paagalpan samajhta hai.

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«Reply #2 on: September 21, 2014, 06:26:39 PM »
sabse pehle to Yoindia mein aapkaa tahe dil se swaagat kartaa hoon, ab aapki is rachnaa ki baari, kyaa kahun taarif mein, jitnaa kahun kam hi hogaa, aapki pehle rachna yahaan Yoindia mein aur aapne dil hi jeet liyaa, bahut bahut khoob likhaa hai aapne....!!!

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surindarn
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«Reply #3 on: September 22, 2014, 02:47:23 AM »
waah waah bahut sunder rachnaa hai. icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower
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amit_prakash_meet
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«Reply #4 on: September 22, 2014, 04:42:16 AM »
इस बज़्म में आपका भी स्वागत है.....

आपने बहुत खूब लिखा है.....उम्मीद करते हैं कि आपका दिल टूटे न कभी....
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shunaya
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«Reply #5 on: September 22, 2014, 06:19:15 PM »
Dhanayawaad sabhi ka. Pehli baar kisi forum pe kadam rakhne ki zuraat ki hai aur aisa garamjosh swagat mila Usual Smile
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«Reply #6 on: September 29, 2014, 01:48:11 PM »
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