college

by alfaaz on July 19, 2013, 11:28:24 AM
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alfaaz
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…यकीन मानो दोस्तों हम भी कभी कालेज गये थे

एक अलग जमाने में एक अलग "एज" में
बस्स ये मत पूछो क्यों गये थे
पता होता तो शायद बता भी देते
मालूम सिर्फ़ इतना की कोई झंडा गाढने नही गये थे
यकीन मानो दोस्तों हम भी कभी कालेज गये थे

याद आता है की पढाई करने गये थे विज्ञान की
पर प्राप्ति हूई किसी अलग ही ज्ञान की
वंहा के विधवान फ़र्स्ट लव्ह जिसे कहते थे
हमको भी इल्म हुआ उसका वंहा रेहते
यकीन मानो दोस्तों हम भी कभी कालेज गये थे

क्लास नही कैन्टीन में बैठ अपनी फ़ी वसूली
किताबे कम चिट्टियां पढने में काम आयी लायब्ररी
किसी अलग रियाक्शन के वास्ते लैबोरेटरी से गूजरे थे
मूंह अपना काला करके हाथ अपना जला लाये थे
यकीन मानो दोस्तों हम भी कभी कालेज गये थे

हमारी बेरुखी का हिसाब कालेज ने बराबर किया
जब इम्तीहान के वक़्त क्वेच्चन पेपर हाथ आया
सवालों को छोडो, कौनसी भाषा थी यही समज न आया
नतीजा क्या निकाला हमारी पतलून ही निकाल लिये थे
यकीन मानो दोस्तों हम भी कभी कालेज गये थे

इसपर भी कालेज का पेट नही भरा
अपने कमीनेपन पर उतर आया
करवा दी हमारी शादी उसी मोह्तरमा से
जिनसे ह्म यूंही दिल्लगी कर रहे थे
यकीन मानो दोस्तों हम भी कभी कालेज गये थे

खुश हुआ कालेज मूझे हराकर
माशुका के  बदले में बिवी दिलवाकर
इक ही जवाब चाहिये "राज" को, आखिर क्यों
हम भी कभी कालेज गये थे
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saahill
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«Reply #1 on: July 19, 2013, 11:29:13 AM »
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WAAH KYA BAAT HAI
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RohanSingh
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«Reply #2 on: July 19, 2013, 12:00:07 PM »
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good work
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sksaini4
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«Reply #3 on: July 19, 2013, 12:07:11 PM »
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kyaa baat kyaa baat
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nandbahu
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«Reply #4 on: July 19, 2013, 12:22:54 PM »
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bahut achhe
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KavitaKavita
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«Reply #5 on: July 19, 2013, 12:29:26 PM »
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good work
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aqsh
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«Reply #6 on: July 19, 2013, 01:38:33 PM »
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क्लास नही कैन्टीन में बैठ अपनी फ़ी वसूली
किताबे कम चिट्टियां पढने में काम आयी लायब्ररी
किसी अलग रियाक्शन के वास्ते लैबोरेटरी से गूजरे थे
मूंह अपना काला करके हाथ अपना जला लाये थे
यकीन मानो दोस्तों हम भी कभी कालेज गये थे

 Laughing hard Laughing hard Laughing hard Laughing hard Laughing hard Laughing hard Laughing hard Laughing hard Laughing hard Laughing hard Laughing hard Laughing hard Laughing hard Laughing hard
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Advo.RavinderaRavi
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«Reply #7 on: July 19, 2013, 08:04:19 PM »
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वाह वाह बहुत खूब
…यकीन मानो दोस्तों हम भी कभी कालेज गये थे

एक अलग जमाने में एक अलग "एज" में
बस्स ये मत पूछो क्यों गये थे
पता होता तो शायद बता भी देते
मालूम सिर्फ़ इतना की कोई झंडा गाढने नही गये थे
यकीन मानो दोस्तों हम भी कभी कालेज गये थे

याद आता है की पढाई करने गये थे विज्ञान की
पर प्राप्ति हूई किसी अलग ही ज्ञान की
वंहा के विधवान फ़र्स्ट लव्ह जिसे कहते थे
हमको भी इल्म हुआ उसका वंहा रेहते
यकीन मानो दोस्तों हम भी कभी कालेज गये थे

क्लास नही कैन्टीन में बैठ अपनी फ़ी वसूली
किताबे कम चिट्टियां पढने में काम आयी लायब्ररी
किसी अलग रियाक्शन के वास्ते लैबोरेटरी से गूजरे थे
मूंह अपना काला करके हाथ अपना जला लाये थे
यकीन मानो दोस्तों हम भी कभी कालेज गये थे

हमारी बेरुखी का हिसाब कालेज ने बराबर किया
जब इम्तीहान के वक़्त क्वेच्चन पेपर हाथ आया
सवालों को छोडो, कौनसी भाषा थी यही समज न आया
नतीजा क्या निकाला हमारी पतलून ही निकाल लिये थे
यकीन मानो दोस्तों हम भी कभी कालेज गये थे

इसपर भी कालेज का पेट नही भरा
अपने कमीनेपन पर उतर आया
करवा दी हमारी शादी उसी मोह्तरमा से
जिनसे ह्म यूंही दिल्लगी कर रहे थे
यकीन मानो दोस्तों हम भी कभी कालेज गये थे

खुश हुआ कालेज मूझे हराकर
माशुका के  बदले में बिवी दिलवाकर
इक ही जवाब चाहिये "राज" को, आखिर क्यों
हम भी कभी कालेज गये थे

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soudagar
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«Reply #8 on: July 19, 2013, 10:06:49 PM »
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wah ji wah bahut khub bahut badhia
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