भूले से आया है वो.............................................ALFAAZ

by alfaaz on August 03, 2013, 10:37:27 AM
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alfaaz
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प्रस्तूत कविता किसी जिवीत या मृत व्यक्ति पे आधारित नही है बल्कि एक ऐसे वर्ग पे आधारित है जिसका ये तय होना खतरे में पड गया है कि वो  जिवीत है या  मृत ! कविता की लंबाई के लिये माफ़ी चाहूंगा. गौरतलब है की ये कसीदा पढते पढते मैं खुद लंबा हो चुका हूं ! तो जनाब पेशे खिदमत है...भूले से आया है वो...

इक नेता पहूंचा पागलखाने में
दहशत फ़ैली वंहा के पागलों में
फ़िर वंहा के इक बूजुर्ग शायर ने समझाया
डरों मत, भूले से आया है वो
संसद समझ के पागलखाने में

फ़िर इक दिन पहूंचा सब्जी मंडी में
ह्डकंप मच गई आलुगोबी में बैंगनकरेले में
फ़िर इक पके हूऎ दूधी ने समझाया
डरों मत, भूले से आया है वो
वोट खरीद्ने सब्जी मंडी में

और किसी दिन पहूंचा मंदिर में
हैरान परेशान सारे मंदिर में
अपने उस्ताद को देख इक जूतेचोर ने समझाया
डरों मत, भूले से आया है वो
काला पैसा जमा करने मंदिर में

इक दिन पहूंचा समशान में
वंहा के भूत-प्रेत भी आ गये टेन्शन में
फ़िर उसीके एक मौसी डायन ने समझाया
डरों मत, भूले से आया है वो
अपना बंगला बनवाने  समशान में


आखिर जनाब पहूंचे मैकदे में
साखी मैकश सारे आ गये सक्ते में
"राज" ने अपने तपस्वियों को समझाया
डरों मत, सही आया है वो
अब इसका नशा हम उतारेंगे मैकदे में

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soudagar
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«Reply #1 on: August 03, 2013, 10:41:10 AM »
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wah wah wah kya baat hai janab bahut khubsurat peshkash....gehre kataksh bhi hai netaon par Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley
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khamosh_aawaaz
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«Reply #2 on: August 03, 2013, 06:44:45 PM »
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प्रस्तूत कविता किसी जिवीत या मृत व्यक्ति पे आधारित नही है बल्कि एक ऐसे वर्ग पे आधारित है जिसका ये तय होना खतरे में पड गया है कि वो  जिवीत है या  मृत ! कविता की लंबाई के लिये माफ़ी चाहूंगा. गौरतलब है की ये कसीदा पढते पढते मैं खुद लंबा हो चुका हूं ! तो जनाब पेशे खिदमत है...भूले से आया है वो...

इक नेता पहूंचा पागलखाने में
दहशत फ़ैली वंहा के पागलों में
फ़िर वंहा के इक बूजुर्ग शायर ने समझाया
डरों मत, भूले से आया है वो
संसद समझ के पागलखाने में

फ़िर इक दिन पहूंचा सब्जी मंडी में
ह्डकंप मच गई आलुगोबी में बैंगनकरेले में
फ़िर इक पके हूऎ दूधी ने समझाया
डरों मत, भूले से आया है वो
वोट खरीद्ने सब्जी मंडी में

और किसी दिन पहूंचा मंदिर में
हैरान परेशान सारे मंदिर में
अपने उस्ताद को देख इक जूतेचोर ने समझाया
डरों मत, भूले से आया है वो
काला पैसा जमा करने मंदिर में

इक दिन पहूंचा समशान में
वंहा के भूत-प्रेत भी आ गये टेन्शन में
फ़िर उसीके एक मौसी डायन ने समझाया
डरों मत, भूले से आया है वो
अपना बंगला बनवाने  समशान में


आखिर जनाब पहूंचे मैकदे में
साखी मैकश सारे आ गये सक्ते में
"राज" ने अपने तपस्वियों को समझाया
डरों मत, सही आया है वो
अब इसका नशा हम उतारेंगे मैकदे में


प्रस्तूत कविता किसी जिवीत या मृत व्यक्ति पे आधारित नही है बल्कि एक ऐसे वर्ग पे आधारित है जिसका ये तय होना खतरे में पड गया है कि वो  जिवीत है या  मृत ! कविता की लंबाई के लिये माफ़ी चाहूंगा. गौरतलब है की ये कसीदा पढते पढते मैं खुद लंबा हो चुका हूं ! तो जनाब पेशे खिदमत है...भूले से आया है वो...

इक नेता पहूंचा पागलखाने में
दहशत फ़ैली वंहा के पागलों में
फ़िर वंहा के इक बूजुर्ग शायर ने समझाया
डरों मत, भूले से आया है वो
संसद समझ के पागलखाने में

फ़िर इक दिन पहूंचा सब्जी मंडी में
ह्डकंप मच गई आलुगोबी में बैंगनकरेले में
फ़िर इक पके हूऎ दूधी ने समझाया
डरों मत, भूले से आया है वो
वोट खरीद्ने सब्जी मंडी में

और किसी दिन पहूंचा मंदिर में
हैरान परेशान सारे मंदिर में
अपने उस्ताद को देख इक जूतेचोर ने समझाया
डरों मत, भूले से आया है वो
काला पैसा जमा करने मंदिर में

इक दिन पहूंचा समशान में
वंहा के भूत-प्रेत भी आ गये टेन्शन में
फ़िर उसीके एक मौसी डायन ने समझाया
डरों मत, भूले से आया है वो
अपना बंगला बनवाने  समशान में


आखिर जनाब पहूंचे मैकदे में
साखी मैकश सारे आ गये सक्ते में
"राज" ने अपने तपस्वियों को समझाया
डरों मत, सही आया है वो
अब इसका नशा हम उतारेंगे मैकदे में



veriiiiiiiiiiiiiii gud
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nishi gahlaut
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«Reply #3 on: August 03, 2013, 06:56:23 PM »
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very nice...Alfaaz ji... Applause Applause Applause Applause Applause
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nandbahu
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«Reply #4 on: August 05, 2013, 01:07:02 PM »
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very nice Applause icon_flower
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prashad
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«Reply #5 on: August 05, 2013, 07:01:48 PM »
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bahut khoob
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With a Quick-Reply you can use bulletin board code and smileys as you would in a normal post, but much more conveniently.


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