SURESH SANGWAN
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आँखों में नूर आया मिरे लब पे हँसी आ गई हम भूले हुये थे राहें और तेरी गली आ गई
उड़ाये जुल्फें मिरी कभी आँचल से खेले है तुम्हें जो देखा इन हवाओं को दिल्लगी आ गई
मिलते ही आँखें पढ़ गए हाल-ए-दिल गहराई तक गई बेरूख़ी उनकी लहजे में भी नमी आ गई
रंग तेरे पास आ बैठे लब ये गुनगुना बैठे तस्वीरों को बोलना नगमों में नगमगी आ गई
मिली थी राहतें ज़माने के शोलों की गरमी से लो फिर उसी बरसात के मौसम की तलबी आ गई
जब छा गई घटायें ज़मीं से आसमानों तक यहाँ सजेगा फिर गुल-ए-गुलशन उम्मीद की कली आ गई
जब भी आँख उठाई है देखे हैं करिश्में ए खुदा झुकी है आँख'सरु' की तिरे क़दमों में जबी आ गई
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jeet jainam
Khaas Shayar
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my rule no type no life and ,i m happy single
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«Reply #1 on: June 30, 2014, 12:23:25 AM » |
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ParwaaZ
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«Reply #5 on: June 30, 2014, 04:04:36 AM » |
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Suresh jee Aadaab ...!
Waah jee waah bahut khoob jee ... badi hi khoobsurat aur khumaar e ishq se bharpur ahsaas O khayaal ka badi hi khoobsurti se muzahera kiya hai aapne ...
Is khoobsuraat kalaam par humari dheroN daad O mubbarakbad kabul kijiye ...
Likhte rahiye ... bazm ko roshan karte rahiye... Shaad O aabaad rahiye ...
Khuda Hafez ...
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dksaxenabsnl
YOS Friend of the Month
Yoindian Shayar
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खुश रहो खुश रहने दो l
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«Reply #6 on: June 30, 2014, 11:12:08 AM » |
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amit_prakash_meet
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«Reply #7 on: June 30, 2014, 01:36:01 PM » |
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वाह.....वाह.....
बहुत ही खूब.....
ढेरों दाद और तहे दिल से मुबारकबाद.......
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