For My Dear Friend Shireen Hakani ....."Khwahish"

by khwaish on January 19, 2015, 08:35:33 AM
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khwahish
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साल
दिन
और
महीने
का हिसाब नहीं आता मुझे
खुदा खुश रखे आपको हमेशा से हमेशा तक


~~~~~~~~~

गुज़र जायेगा यह भी, बस पल दो पल का तूफान ही तो है
हिम्मत ना हार, कुछ भी नहीं यह एक इम्तेहान ही तो है

आवाज़ दे रही हैं नयी मंज़िलें तुझे तू कहीं रूक मत
तू मुसाफिर है, हर रास्ता तेरे लिए अभी अनजान ही तो है

तेरी आँखों में आंसू कभी अछे नहीं दीखते "शिरीन"
ज़िंदगीं में दुःख-दर्द, यह सब पल दो पल के मेहमान ही तो है

खिरचिया कुछ टूटे हुए अक्स की हाथों को चुभ जायेगी
जो ज़ख्म भर चुके भूल जा,अब बाक़ी सिर्फ निशान ही तो है

कुछ ख्वाब भी खिलोनो की तरह होते हैं जो टूठते ज़रूर हैं
मुश्किलें,परेशानियां यह सब जीने के लिए कुछ सामान ही तो है

यहां कौन है वो जिसे कभी वक़्त की मार ना पड़ी हो
कहीं ना कहीं कोई ना कोई इस वक़्त से परेशान ही तो है

"शिरीन" तू वो परिंदा है जिसे अभी ऊँची उड़ाने भरणी है
डर मत तेरे हिम्मत के आगे वो एक छोटा सा आसमान ही तो है

           ~~~~~ख्वाहिश~~~~~



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sksaini4
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«Reply #1 on: January 19, 2015, 10:29:50 AM »
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waah waah bahut khoob
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marhoom bahayaat
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«Reply #2 on: January 19, 2015, 03:07:40 PM »
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साल
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महीने
का हिसाब नहीं आता मुझे
खुदा खुश रखे आपको हमेशा से हमेशा तक


~~~~~~~~~

गुज़र जायेगा यह भी, बस पल दो पल का तूफान ही तो है
हिम्मत ना हार, कुछ भी नहीं यह एक इम्तेहान ही तो है

आवाज़ दे रही हैं नयी मंज़िलें तुझे तू कहीं रूक मत
तू मुसाफिर है, हर रास्ता तेरे लिए अभी अनजान ही तो है

तेरी आँखों में आंसू कभी अछे नहीं दीखते "शिरीन"
ज़िंदगीं में दुःख-दर्द, यह सब पल दो पल के मेहमान ही तो है

खिरचिया कुछ टूटे हुए अक्स की हाथों को चुभ जायेगी
जो ज़ख्म भर चुके भूल जा,अब बाक़ी सिर्फ निशान ही तो है

कुछ ख्वाब भी खिलोनो की तरह होते हैं जो टूठते ज़रूर हैं
मुश्किलें,परेशानियां यह सब जीने के लिए कुछ सामान ही तो है

यहां कौन है वो जिसे कभी वक़्त की मार ना पड़ी हो
कहीं ना कहीं कोई ना कोई इस वक़्त से परेशान ही तो है

"शिरीन" तू वो परिंदा है जिसे अभी ऊँची उड़ाने भरणी है
डर मत तेरे हिम्मत के आगे वो एक छोटा सा आसमान ही तो है

           ~~~~~ख्वाहिश~~~~~





nice wish and good composition,sir
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surindarn
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«Reply #3 on: January 20, 2015, 12:54:08 AM »
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bahut umdah Khwahish Sahib.
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Rajigujral
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«Reply #4 on: January 20, 2015, 11:54:14 AM »
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adil bechain
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«Reply #5 on: January 20, 2015, 12:19:46 PM »
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गुज़र जायेगा यह भी, बस पल दो पल का तूफान ही तो है
हिम्मत ना हार, कुछ भी नहीं यह एक इम्तेहान ही तो है

आवाज़ दे रही हैं नयी मंज़िलें तुझे तू कहीं रूक मत
तू मुसाफिर है, हर रास्ता तेरे लिए अभी अनजान ही तो है

तेरी आँखों में आंसू कभी अछे नहीं दीखते "शिरीन"
ज़िंदगीं में दुःख-दर्द, यह सब पल दो पल के मेहमान ही तो है

खिरचिया कुछ टूटे हुए अक्स की हाथों को चुभ जायेगी
जो ज़ख्म भर चुके भूल जा,अब बाक़ी सिर्फ निशान ही तो है

कुछ ख्वाब भी खिलोनो की तरह होते हैं जो टूठते ज़रूर हैं
मुश्किलें,परेशानियां यह सब जीने के लिए कुछ सामान ही तो है

यहां कौन है वो जिसे कभी वक़्त की मार ना पड़ी हो
कहीं ना कहीं कोई ना कोई इस वक़्त से परेशान ही तो है

"शिरीन" तू वो परिंदा है जिसे अभी ऊँची उड़ाने भरणी है
डर मत तेरे हिम्मत के आगे वो एक छोटा सा आसमान ही तो है

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