Ghazal (Adab)

by drpandey on May 06, 2014, 03:44:04 PM
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drpandey
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जबसे ईमाँ दोस्तों कुछ, काफ़िराना हो गया।
शबनमी लहज़ा हुआ, दिल शायराना हो गया।।

क्या जबीने-बेखुदी पर, लिख गया क़ासिद मेरा,
सारा नुक्ता हर हरफ़, सब साहिराना हो गया।

ज़ौके-नज़री बदगुमानी, बेकरारी चार सूँ ,
महबे-तमकी हर नज़ाक़त क़ातिलाना हो गया।

अश्के-जुहरा दे गयी, ता-क़यामत का सुकून,
बुत हवा से क्या हिली, सारा ज़माना खो गया।

अब 'अदब' मफ़हूम में इतनी लताफ़त आ गई,
हर तबस्सुम चश्मे-जुम्बिश, बालिहाना हो गया।

डा० एच० पी० पाण्डेय 'अदब'

(काफ़िराना=मूर्तिपूजक; जबीने-बेखुदी=बेखबरी का माथा; क़ासिद=पत्रवाहक; साहिराना=जादुई; ज़ौके-नज़री=दृष्टि की सुरुचि; महबे-तमकी=अभिमानी; अश्के-जुहरा=खूबसूरत आँसू ; मफ़हूम=आशय; लताफ़त=मृदुलता; बालिहाना=अनुरागी)
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«Reply #1 on: May 06, 2014, 03:52:04 PM »
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जबसे ईमाँ दोस्तों कुछ, काफ़िराना हो गया।
शबनमी लहज़ा हुआ, दिल शायराना हो गया।।

क्या जबीने-बेखुदी पर, लिख गया क़ासिद मेरा,
सारा नुक्ता हर हरफ़, सब साहिराना हो गया।

ज़ौके-नज़री बदगुमानी, बेकरारी चार सूँ ,
महबे-तमकी हर नज़ाक़त क़ातिलाना हो गया।

अश्के-जुहरा दे गयी, ता-क़यामत का सुकून,
बुत हवा से क्या हिली, सारा ज़माना खो गया।

अब 'अदब' मफ़हूम में इतनी लताफ़त आ गई,
हर तबस्सुम चश्मे-जुम्बिश, बालिहाना हो गया।

डा० एच० पी० पाण्डेय 'अदब'

(काफ़िराना=मूर्तिपूजक; जबीने-बेखुदी=बेखबरी का माथा; क़ासिद=पत्रवाहक; साहिराना=जादुई; ज़ौके-नज़री=दृष्टि की सुरुचि; महबे-तमकी=अभिमानी; अश्के-जुहरा=खूबसूरत आँसू ; मफ़हूम=आशय; लताफ़त=मृदुलता; बालिहाना=अनुरागी)



Waah Waah Waah....

Bahut Bahut Khoooooob Dr Saheb...

Lajawaab Peshkash...Bahut Din Baad Aapko Padha..Aur Har baar Ki Tarah Lajawaab Paaya..

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«Reply #2 on: May 06, 2014, 04:10:08 PM »
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जबसे ईमाँ दोस्तों कुछ, काफ़िराना हो गया।
शबनमी लहज़ा हुआ, दिल शायराना हो गया।।
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क्या जबीने-बेखुदी पर, लिख गया क़ासिद मेरा,
सारा नुक्ता हर हरफ़, सब साहिराना हो गया।
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ज़ौके-नज़री बदगुमानी, बेकरारी चार सूँ ,
महबे-तमकी हर नज़ाक़त क़ातिलाना हो गया।
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अश्के-जुहरा दे गयी, ता-क़यामत का सुकून,
बुत हवा से क्या हिली, सारा ज़माना खो गया।
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अब 'अदब' मफ़हूम में इतनी लताफ़त आ गई,
हर तबस्सुम चश्मे-जुम्बिश, बालिहाना हो गया।
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खुश रहो खुश रहने दो l

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«Reply #3 on: May 06, 2014, 04:22:20 PM »
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जबसे ईमाँ दोस्तों कुछ, काफ़िराना हो गया।
शबनमी लहज़ा हुआ, दिल शायराना हो गया।।

क्या जबीने-बेखुदी पर, लिख गया क़ासिद मेरा,
सारा नुक्ता हर हरफ़, सब साहिराना हो गया।

ज़ौके-नज़री बदगुमानी, बेकरारी चार सूँ ,
महबे-तमकी हर नज़ाक़त क़ातिलाना हो गया।

अश्के-जुहरा दे गयी, ता-क़यामत का सुकून,
बुत हवा से क्या हिली, सारा ज़माना खो गया।

अब 'अदब' मफ़हूम में इतनी लताफ़त आ गई,
हर तबस्सुम चश्मे-जुम्बिश, बालिहाना हो गया।

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(काफ़िराना=मूर्तिपूजक; जबीने-बेखुदी=बेखबरी का माथा; क़ासिद=पत्रवाहक; साहिराना=जादुई; ज़ौके-नज़री=दृष्टि की सुरुचि; महबे-तमकी=अभिमानी; अश्के-जुहरा=खूबसूरत आँसू ; मफ़हूम=आशय; लताफ़त=मृदुलता; बालिहाना=अनुरागी)


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Beautiful.
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«Reply #4 on: May 06, 2014, 04:32:45 PM »
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Bahut Khoob Dr saheb.
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«Reply #5 on: May 06, 2014, 04:55:20 PM »
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Bahut Umda.
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drpandey
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«Reply #6 on: May 06, 2014, 09:52:14 PM »
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Waah Waah Waah....

Bahut Bahut Khoooooob Dr Saheb...

Lajawaab Peshkash...Bahut Din Baad Aapko Padha..Aur Har baar Ki Tarah Lajawaab Paaya..

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Bahot Bahot Shukriya Khwahish bhai....!!
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drpandey
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«Reply #7 on: May 06, 2014, 09:54:16 PM »
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जबसे ईमाँ दोस्तों कुछ, काफ़िराना हो गया।
शबनमी लहज़ा हुआ, दिल शायराना हो गया।।
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बुत हवा से क्या हिली, सारा ज़माना खो गया।
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Azehad Shukriya Jeet jainam Ji...!!
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Az Mast Ke Bar Mast, Chon Digari Neest..!!

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«Reply #8 on: May 06, 2014, 10:07:36 PM »
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Aafreen..!! Sir g
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«Reply #9 on: May 06, 2014, 11:40:53 PM »
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जबसे ईमाँ दोस्तों कुछ, काफ़िराना हो गया।
शबनमी लहज़ा हुआ, दिल शायराना हो गया।।

क्या जबीने-बेखुदी पर, लिख गया क़ासिद मेरा,
सारा नुक्ता हर हरफ़, सब साहिराना हो गया।

ज़ौके-नज़री बदगुमानी, बेकरारी चार सूँ ,
महबे-तमकी हर नज़ाक़त क़ातिलाना हो गया।

अश्के-जुहरा दे गयी, ता-क़यामत का सुकून,
बुत हवा से क्या हिली, सारा ज़माना खो गया।

अब 'अदब' मफ़हूम में इतनी लताफ़त आ गई,
हर तबस्सुम चश्मे-जुम्बिश, बालिहाना हो गया।

डा० एच० पी० पाण्डेय 'अदब'

(काफ़िराना=मूर्तिपूजक; जबीने-बेखुदी=बेखबरी का माथा; क़ासिद=पत्रवाहक; साहिराना=जादुई; ज़ौके-नज़री=दृष्टि की सुरुचि; महबे-तमकी=अभिमानी; अश्के-जुहरा=खूबसूरत आँसू ; मफ़हूम=आशय; लताफ़त=मृदुलता; बालिहाना=अनुरागी)


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Syed Mohd Mahzar
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«Reply #10 on: May 07, 2014, 02:04:04 AM »
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जबसे ईमाँ दोस्तों कुछ, काफ़िराना हो गया।
शबनमी लहज़ा हुआ, दिल शायराना हो गया।।

क्या जबीने-बेखुदी पर, लिख गया क़ासिद मेरा,
सारा नुक्ता हर हरफ़, सब साहिराना हो गया।

ज़ौके-नज़री बदगुमानी, बेकरारी चार सूँ ,
महबे-तमकी हर नज़ाक़त क़ातिलाना हो गया।

अश्के-जुहरा दे गयी, ता-क़यामत का सुकून,
बुत हवा से क्या हिली, सारा ज़माना खो गया।

अब 'अदब' मफ़हूम में इतनी लताफ़त आ गई,
हर तबस्सुम चश्मे-जुम्बिश, बालिहाना हो गया।

डा० एच० पी० पाण्डेय 'अदब'

(काफ़िराना=मूर्तिपूजक; जबीने-बेखुदी=बेखबरी का माथा; क़ासिद=पत्रवाहक; साहिराना=जादुई; ज़ौके-नज़री=दृष्टि की सुरुचि; महबे-तमकी=अभिमानी; अश्के-जुहरा=खूबसूरत आँसू ; मफ़हूम=आशय; लताफ़त=मृदुलता; बालिहाना=अनुरागी)


Dr.H.P.Paney "Adab" Saheb,
                Kaafi arse se Yoindia shayri group me shaamil hoon, meri badqismati ki kabhi aapka kalaam dekhna naseeb nahi hua........bahut umda ghazal kahi hai aapne, sabhi ashaar nihayat achche hain, meri daad qubool farmayein, mustaqbil me bhi aapke kalaam parhne ki khwahish rahegi......
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drpandey
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«Reply #11 on: May 07, 2014, 03:22:18 AM »
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Dr.H.P.Paney "Adab" Saheb,
                Kaafi arse se Yoindia shayri group me shaamil hoon, meri badqismati ki kabhi aapka kalaam dekhna naseeb nahi hua........bahut umda ghazal kahi hai aapne, sabhi ashaar nihayat achche hain, meri daad qubool farmayein, mustaqbil me bhi aapke kalaam parhne ki khwahish rahegi......


Janaab Syed Mohd Mahzar Saheb,
Adaab...!!

Janaab, darasal ye meri  badqismati hai ki abhi tak mere kalaam ko aapki duvaaye nahin mil paayin. Khair ab umeed karta hoon ki ye khushnaseebi ab mujhe haasil hoti rahegi..!!
Aapne meri ghazal ko pasand farmaya aur waqt nikaal kar hauslaafzai kiya, Aapka tahe-dil se shukrgujaar hoon...!!

Aapka 'Adab'
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Shireen Hakani
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«Reply #12 on: May 07, 2014, 04:17:08 PM »
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Bohat Bohat Khub!!

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«Reply #13 on: May 07, 2014, 07:05:02 PM »
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waaaah waaah kya baat hai adabji
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kavyanshi
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mere hasrato ko aasmaan chaahiye

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«Reply #14 on: May 07, 2014, 09:52:11 PM »
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 notworthy notworthy notworthy notworthy notworthy notworthy
gazab gazab gazab ...............koi aisa shabd hi nhi h ..jisse es kalaam ki tarif kr saku...........speechlessss
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