KUCH MITTI JO YAHAN SE UDI MIL GAI..............................saru

by SURESH SANGWAN on February 19, 2017, 06:11:06 PM
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SURESH SANGWAN
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कुछ मिट्टी जो यहाँ से उड़ी मिल गयी
ख़्वाहिशें कितनी ही दबी मिल गयी

कोसता ही रहा क्यूँ ज़माने को तू
ये बता क्या जहाँ में कमी मिल गयी

कुछ इशारे हुये नज़र ही नज़र में
वो मिरी राह में जब खड़ी मिल गयी

आयगा सफ़र का संग तेरे मज़ा
आज ताक़त मुझे दोगुनी मिल गयी

राजनीति किसी की चलेगी नहीं
अगर जनता की आँखें खुली मिल गयी

प्यार की जब तिरे हथकड़ी मिल गयी
बस यही से हमें ज़िंदगी मिल गयी

सोचते थे जिसे हम गिरा टूट के
शाख उस शज़र की भी हरी मिल गयी

ज़ज़्बात कुछ लिखेंगे सदा के लिये
हद से ज़्यादा हसीं लेखनी मिल गयी

मौसम अब रहेगा रंगीन दिल का
ओयर की रंग भारी ओढनी मिल गयी

अब लगा ले गले तू हंस कर इन्हें
राह में मुश्किलें जो खड़ी मिल गयी

बच गया बहुत सा वक़्त ओ मशक़्क़त
जगह पे चीज़ मुझको रखी मिल गयी

बिन पढ़ाई गुज़ारा नहीं आजकल
मुश्किल भी अब पढ़ी लिखी मिल गयी

चेहरे पे चमक नूर है आँख में
आज जाने मुझे क्या खुशी मिल गयी

सुरेश सांगवान 'सरु'

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«Reply #1 on: February 19, 2017, 09:35:43 PM »
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प्यार की जब तिरे हथकड़ी मिल गयी
बस यही से हमें ज़िंदगी मिल गयी

सोचते थे जिसे हम गिरा टूट के
शाख उस शज़र की भी हरी मिल गयी

ज़ज़्बात कुछ लिखेंगे सदा के लिये
हद से ज़्यादा हसीं लेखनी मिल गयी

मौसम अब रहेगा रंगीन दिल का
ओयर की रंग भारी ओढनी मिल गयी

Kyaa baat hai saari Ghazal hee as expected is beautiful lekin opper waale chaar sher to bas gazab dhaate sher hain, dheron daad with RAU.
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«Reply #2 on: February 20, 2017, 06:37:15 AM »
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bahut sunder waah waah
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«Reply #3 on: February 20, 2017, 06:45:30 AM »
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Waaah bahot khoob lajawab  Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause
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शेख चिल्ली
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«Reply #4 on: February 20, 2017, 07:34:11 AM »
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वाह मैडम

अच्छी ग़ज़ल हुई
कुछ सुझाव हैं

ये मिसरे यूं बदल कर देखें

1. कुछ इशारे नज़र ही नज़र में हुए.
2. आएगा संग तेरे सफ़र का मज़ा
3. आँख जनता की गर अब खुली मिल गयी
4.  हथकड़ी वाला शेर् हुस्ने मतला है, इसे ऊपर रखें
5. पेड़ में एक टहनी हरी मिल गयी
6. हम भी जज़बात लिक्खें सदा के लिए
7. दिल का मौसम - यह शेर् हटा दें
8. अब लगा ले इन्हें भी तू हंस कर गले
9. बच गया वक़्त मेरी मशक़्क़त का यूं/ चीज़ मुझको जगह पे रखी मिल गयी
10. मुश्किलें भी तो लिक्खी पढ़ी मिल गयी
11. है चमक मेरे चेहरे पे, आँखों में नूर

कर के देखिये

आपका शुभ चिंतक
-शेख चिल्ली
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«Reply #5 on: February 20, 2017, 03:42:59 PM »
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बहुत खूब वाह वाह वाह...
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F.H.SIDDIQUI
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«Reply #6 on: February 22, 2017, 07:37:26 AM »
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Bahut pyare Ashaar hain Suresh Sangwan ji , Duago hoo ki Zor e Qalam aur zyada ho . Aamin
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SURESH SANGWAN
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«Reply #7 on: February 24, 2017, 01:06:56 PM »
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thaaaaaaaaaaankewww sooooooo uch sir ji
प्यार की जब तिरे हथकड़ी मिल गयी
बस यही से हमें ज़िंदगी मिल गयी

सोचते थे जिसे हम गिरा टूट के
शाख उस शज़र की भी हरी मिल गयी

ज़ज़्बात कुछ लिखेंगे सदा के लिये
हद से ज़्यादा हसीं लेखनी मिल गयी

मौसम अब रहेगा रंगीन दिल का
ओयर की रंग भारी ओढनी मिल गयी

Kyaa baat hai saari Ghazal hee as expected is beautiful lekin opper waale chaar sher to bas gazab dhaate sher hain, dheron daad with RAU.
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SURESH SANGWAN
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«Reply #8 on: February 24, 2017, 01:07:36 PM »
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bahut 2 shukriya aapka Hasan sir ji
Bahut pyare Ashaar hain Suresh Sangwan ji , Duago hoo ki Zor e Qalam aur zyada ho . Aamin

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SURESH SANGWAN
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«Reply #9 on: February 24, 2017, 01:09:38 PM »
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sujhao ke liye bahut 2 shukriya ji
achha laga
aur sujhao bhi achhe hain
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वाह मैडम

अच्छी ग़ज़ल हुई
कुछ सुझाव हैं

ये मिसरे यूं बदल कर देखें

1. कुछ इशारे नज़र ही नज़र में हुए.
2. आएगा संग तेरे सफ़र का मज़ा
3. आँख जनता की गर अब खुली मिल गयी
4.  हथकड़ी वाला शेर् हुस्ने मतला है, इसे ऊपर रखें
5. पेड़ में एक टहनी हरी मिल गयी
6. हम भी जज़बात लिक्खें सदा के लिए
7. दिल का मौसम - यह शेर् हटा दें
8. अब लगा ले इन्हें भी तू हंस कर गले
9. बच गया वक़्त मेरी मशक़्क़त का यूं/ चीज़ मुझको जगह पे रखी मिल गयी
10. मुश्किलें भी तो लिक्खी पढ़ी मिल गयी
11. है चमक मेरे चेहरे पे, आँखों में नूर

कर के देखिये

आपका शुभ चिंतक
-शेख चिल्ली
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SURESH SANGWAN
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«Reply #10 on: February 24, 2017, 01:13:37 PM »
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bahut 2 shukriya
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बहुत खूब वाह वाह वाह...
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SURESH SANGWAN
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«Reply #11 on: April 05, 2017, 02:25:26 PM »
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thaaaaaaaanks
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