Nurse Aur Main....Sadiq Rizvi / नर्स और मैं......सादिक़ रिज़वी

by Sadiq Rizvi on October 09, 2011, 03:09:48 PM
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Sadiq Rizvi
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तड़प तड़प के गुजारीं शबें न नींद आई
अजीब कर्ब के आलम में गुज़री तन्हाई

शिकम के दर्द ने साँसों की डोर तक तोड़ी
यहाँ तलक के सहर ने भी ले ली अंगड़ाई

परेशां 'जेनिफर', दिल से खयाल रखती है
ये नर्स सारे मरीजों की थी भी शैदाई

मरीज़ दर्द की शिद्दत चीखता है जब
तो एक माँ की तरह इनके दिल पे चोट आई

है पेशा नर्स का सच्ची हलाल की रोज़ी
मगर ज़माने ने बख्शी बस इनको रुसवाई

जो इनको मिलती है उजरत उसी में यह खुश हैं
न इनके दिल में कभी हिर्स ने जगह पाई

हैं सारी नर्सों की एक हेड नर्स वर्षा जी
शेफा भी इनकी ही शफ़क़त ने जल्द दिलवाई

नज़र की झील में एक फ़िक्र हो बसी जैसे
बहुत खमोश तबीयत 'मिनी' ने है पाई

'सुनी' को देता हूँ आवाज़ अनसुनी कहकर
हुई है हंस के मुखातिब हमेशा मुस्काई

'जिशा' ने मुझसे बताया की आप लक्की हैं
लहू जो थूके नहीं बचता वोह मेरे भाई

'सुनी' हो 'जूली' हो 'जेसी' हो या 'विजी' सिस्टर
इन्हीं के प्यार से 'सादिक़' ने ज़िन्दगी पाई

                       ---- सादिक़ रिज़वी

(मार्च २००२ में मुंबई के नानावती हस्पताल के हार्ट
इंस्टिट्यूट में इलाज के दौरान कही गयी नज़्म)
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Satish Shukla
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«Reply #1 on: October 09, 2011, 03:32:05 PM »
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Sadiq Rizvi Sahab,

Waah janab kya baat hai bahut khoob
nazm kahi hai aapne.

Satish Shukla 'Raqeeb'
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F.H.SIDDIQUI
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«Reply #2 on: October 09, 2011, 04:55:51 PM »
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Wah Sadiq saheb.Unwaan se main samjha koi mazaahiya peshkash hai.Magar aap ne dard o karb,eesaar o chara gari ki eik khoobsurat tasweer pesh kar di.Mubarakbad,Shukriya aur iss Bazm mein aap ka pur tapaak khair maqdam...HASAN
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ParwaaZ
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«Reply #3 on: October 09, 2011, 06:49:55 PM »
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Sadiq Sahaab Aadaab!

Janab aapka YO ki mehfil meiN dil se khairmaqdam hai..
 Welcome Banner Welcome Banner Welcome Banner 

Janab kia khub nazm se nawaaza hai aapne.. Hum bhi nazm ke
unwaan se samajh rahe the ke ye kalaam koi mazahiyaa hoNgi
aur dil na chahte huye bhi isliye padh liye kyuN ke YO ki
tareeq meiN naya naam bhi judaa tha.. Usual Smile

Behad achchi nazm kahi hai aapne... aapki is nazm par dil se
hazaroN daad hazir hai...  Applause Applause Applause Applause Applause Applause

Likhate rahiye... Aate rahiye.. Bazm ko roshan karte rahiye..
Khush O aabaad rahiye,
Khuda Hafez... Usual Smile       

         
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khujli
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«Reply #4 on: October 10, 2011, 05:27:01 AM »
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तड़प तड़प के गुजारीं शबें न नींद आई
अजीब कर्ब के आलम में गुज़री तन्हाई

शिकम के दर्द ने साँसों की डोर तक तोड़ी
यहाँ तलक के सहर ने भी ले ली अंगड़ाई

परेशां 'जेनिफर', दिल से खयाल रखती है
ये नर्स सारे मरीजों की थी भी शैदाई

मरीज़ दर्द की शिद्दत चीखता है जब
तो एक माँ की तरह इनके दिल पे चोट आई

है पेशा नर्स का सच्ची हलाल की रोज़ी
मगर ज़माने ने बख्शी बस इनको रुसवाई

जो इनको मिलती है उजरत उसी में यह खुश हैं
न इनके दिल में कभी हिर्स ने जगह पाई

हैं सारी नर्सों की एक हेड नर्स वर्षा जी
शेफा भी इनकी ही शफ़क़त ने जल्द दिलवाई

नज़र की झील में एक फ़िक्र हो बसी जैसे
बहुत खमोश तबीयत 'मिनी' ने है पाई

'सुनी' को देता हूँ आवाज़ अनसुनी कहकर
हुई है हंस के मुखातिब हमेशा मुस्काई

'जिशा' ने मुझसे बताया की आप लक्की हैं
लहू जो थूके नहीं बचता वोह मेरे भाई

'सुनी' हो 'जूली' हो 'जेसी' हो या 'विजी' सिस्टर
इन्हीं के प्यार से 'सादिक़' ने ज़िन्दगी पाई

                       ---- सादिक़ रिज़वी

(मार्च २००२ में मुंबई के नानावती हस्पताल के हार्ट
इंस्टिट्यूट में इलाज के दौरान कही गयी नज़्म)



 Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower
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khamosh_aawaaz
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«Reply #5 on: October 10, 2011, 05:31:17 AM »
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तड़प तड़प के गुजारीं शबें न नींद आई
अजीब कर्ब के आलम में गुज़री तन्हाई

शिकम के दर्द ने साँसों की डोर तक तोड़ी
यहाँ तलक के सहर ने भी ले ली अंगड़ाई

परेशां 'जेनिफर', दिल से खयाल रखती है
ये नर्स सारे मरीजों की थी भी शैदाई

मरीज़ दर्द की शिद्दत चीखता है जब
तो एक माँ की तरह इनके दिल पे चोट आई

है पेशा नर्स का सच्ची हलाल की रोज़ी
मगर ज़माने ने बख्शी बस इनको रुसवाई

जो इनको मिलती है उजरत उसी में यह खुश हैं
न इनके दिल में कभी हिर्स ने जगह पाई

हैं सारी नर्सों की एक हेड नर्स वर्षा जी
शेफा भी इनकी ही शफ़क़त ने जल्द दिलवाई

नज़र की झील में एक फ़िक्र हो बसी जैसे
बहुत खमोश तबीयत 'मिनी' ने है पाई

'सुनी' को देता हूँ आवाज़ अनसुनी कहकर
हुई है हंस के मुखातिब हमेशा मुस्काई

'जिशा' ने मुझसे बताया की आप लक्की हैं
लहू जो थूके नहीं बचता वोह मेरे भाई

'सुनी' हो 'जूली' हो 'जेसी' हो या 'विजी' सिस्टर
इन्हीं के प्यार से 'सादिक़' ने ज़िन्दगी पाई

                       ---- सादिक़ रिज़वी

(मार्च २००२ में मुंबई के नानावती हस्पताल के हार्ट
इंस्टिट्यूट में इलाज के दौरान कही गयी नज़्म)



DIL KO CHOO GAI YE NAZAM. VERI NAAAAAAICE SR


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mamta bajpai
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«Reply #6 on: October 10, 2011, 04:41:14 PM »
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Sadiq Saheb! yaqeenan aap kee ye kavish aap kee zindaadilii kee zindah misaal hai varnaa bill ke payment ke saath hum bhool jaate haiN keh apnaa ghar baar chhor kar ,apne dukhoN ko bhool kar bhee raat din jo beemaaron kee sevaa me lag kar unheN phir se nayaa jeevan dete hain...sevaa kee in jeevit pratimoortiyoN ko apnee lekhni se aap ne jo aabhaar pradarshan kiyaa wo bemisaal hai.....is behtareen nazm kee prstuti ke liye aap ko kotish saadhuwaad.....
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Mohammad Touhid
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«Reply #7 on: October 10, 2011, 04:55:00 PM »
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bahut bahut hi khoob sadiq ji...

wah dil khush ho gaya inki tareef me jo aapne alfaz ko sajaya .. wah

dil se dhero daad.. Usual Smile Usual Smile


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adil bechain
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«Reply #8 on: October 11, 2011, 08:41:01 AM »
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तड़प तड़प के गुजारीं शबें न नींद आई
अजीब कर्ब के आलम में गुज़री तन्हाई

शिकम के दर्द ने साँसों की डोर तक तोड़ी
यहाँ तलक के सहर ने भी ले ली अंगड़ाई

परेशां 'जेनिफर', दिल से खयाल रखती है
ये नर्स सारे मरीजों की थी भी शैदाई

मरीज़ दर्द की शिद्दत चीखता है जब
तो एक माँ की तरह इनके दिल पे चोट आई

है पेशा नर्स का सच्ची हलाल की रोज़ी
मगर ज़माने ने बख्शी बस इनको रुसवाई

जो इनको मिलती है उजरत उसी में यह खुश हैं
न इनके दिल में कभी हिर्स ने जगह पाई

हैं सारी नर्सों की एक हेड नर्स वर्षा जी
शेफा भी इनकी ही शफ़क़त ने जल्द दिलवाई

नज़र की झील में एक फ़िक्र हो बसी जैसे
बहुत खमोश तबीयत 'मिनी' ने है पाई

'सुनी' को देता हूँ आवाज़ अनसुनी कहकर
हुई है हंस के मुखातिब हमेशा मुस्काई

'जिशा' ने मुझसे बताया की आप लक्की हैं
लहू जो थूके नहीं बचता वोह मेरे भाई

'सुनी' हो 'जूली' हो 'जेसी' हो या 'विजी' सिस्टर
इन्हीं के प्यार से 'सादिक़' ने ज़िन्दगी पाई

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Sadiq Rizvi
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«Reply #9 on: October 11, 2011, 05:05:58 PM »
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I am very much thankfull everybody for praising my Nazm "Nurse aur main" It's full of reality not a fiction which is now part of my biography
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Iftakhar Ahmad
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«Reply #10 on: October 11, 2011, 09:36:04 PM »
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Sadiq Rizvi
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«Reply #11 on: October 14, 2011, 12:53:21 PM »
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«Reply #12 on: October 30, 2011, 09:04:21 AM »
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तड़प तड़प के गुजारीं शबें न नींद आई
अजीब कर्ब के आलम में गुज़री तन्हाई

शिकम के दर्द ने साँसों की डोर तक तोड़ी
यहाँ तलक के सहर ने भी ले ली अंगड़ाई

परेशां 'जेनिफर', दिल से खयाल रखती है
ये नर्स सारे मरीजों की थी भी शैदाई

मरीज़ दर्द की शिद्दत चीखता है जब
तो एक माँ की तरह इनके दिल पे चोट आई

है पेशा नर्स का सच्ची हलाल की रोज़ी
मगर ज़माने ने बख्शी बस इनको रुसवाई

जो इनको मिलती है उजरत उसी में यह खुश हैं
न इनके दिल में कभी हिर्स ने जगह पाई

हैं सारी नर्सों की एक हेड नर्स वर्षा जी
शेफा भी इनकी ही शफ़क़त ने जल्द दिलवाई

नज़र की झील में एक फ़िक्र हो बसी जैसे
बहुत खमोश तबीयत 'मिनी' ने है पाई

'सुनी' को देता हूँ आवाज़ अनसुनी कहकर
हुई है हंस के मुखातिब हमेशा मुस्काई

'जिशा' ने मुझसे बताया की आप लक्की हैं
लहू जो थूके नहीं बचता वोह मेरे भाई

'सुनी' हो 'जूली' हो 'जेसी' हो या 'विजी' सिस्टर
इन्हीं के प्यार से 'सादिक़' ने ज़िन्दगी पाई

                       ---- सादिक़ रिज़वी

(मार्च २००२ में मुंबई के नानावती हस्पताल के हार्ट
इंस्टिट्यूट में इलाज के दौरान कही गयी नज़्म)



Bahut Bahut Khoooooob Sadiq Ji..

Bahut Hi khoobsurat Andaaz-e-Bayaan...

Bahut Ache Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley
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