pyaar dekhte hain.........................saru............123

by SURESH SANGWAN on August 18, 2014, 12:37:52 PM
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SURESH SANGWAN
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उस  पार वो  तो  जाके  इस  पार  देखते हैं
साहिल  पे  बैठे  हम  ही  मझधार  देखते हैं

ये जिंदगी हमारी उलझन का  सिलसिला है
पहले   से  पहले   अगली   तैयार  देखते  हैं

दी  है हमें हिदायत बचने की जिससे वाइज़
दुनियां  को  हम  उसी  का बीमार देखते हैं

बैठे   हैं  डाले  डेरा  इस   राह  के  मुसाफ़िर
आने  के  तेरे   जब   से   आसार  देखते हैं

ग़म-ओ-खुशी से  मौला बेज़ार  मुझे कर दे
खुशियों  के  साये- साये  आज़ार  देखते हैं

गलियों का ईश्क़ की तज़र्बा हो  गया शायद
अशआर जो  भी  कह  दें  दमदार देखते हैं

इस वास्ते 'सरु'को सुबह-ओ-शाम  छेड़ते हैं
गुस्से  में  भी  ग़ज़ब  का  प्यार देखते हैं


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Rajigujral
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«Reply #1 on: August 18, 2014, 12:59:48 PM »
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Bahut Umda peshkash. Dheron Daad. hello2 hello2 hello2 hello2
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SURESH SANGWAN
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«Reply #2 on: August 18, 2014, 01:03:19 PM »
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 हौसला अफज़ाही के लिये  तहे दिल से बहुत 2 शुक्रिया .......RajiGujral ji....

Bahut Umda peshkash. Dheron Daad. hello2 hello2 hello2 hello2
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khwahish
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«Reply #3 on: August 18, 2014, 01:55:04 PM »
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उस  पार वो  तो  जाके  इस  पार  देखते हैं
साहिल  पे  बैठे  हम  ही  मझधार  देखते हैं

ये जिंदगी हमारी उलझन का  सिलसिला है
पहले   से  पहले   अगली   तैयार  देखते  हैं

दी  है हमें हिदायत बचने की जिससे वाइज़
दुनियां  को  हम  उसी  का बीमार देखते हैं

बैठे   हैं  डाले  डेरा  इस   राह  के  मुसाफ़िर
आने  के  तेरे   जब   से   आसार  देखते हैं

ग़म-ओ-खुशी से  मौला बेज़ार  मुझे कर दे
खुशियों  के  साये- साये  आज़ार  देखते हैं

गलियों का ईश्क़ की तज़र्बा हो  गया शायद
अशआर जो  भी  कह  दें  दमदार देखते हैं

इस वास्ते 'सरु'को सुबह-ओ-शाम  छेड़ते हैं
गुस्से  में  भी  ग़ज़ब  का  प्यार देखते हैं





Bahutttttttttttttttt Bahutttttttttttt Khoooob Saru Ji..

lajawaab Peshkash...

ये जिंदगी हमारी उलझन का  सिलसिला है
पहले   से  पहले   अगली   तैयार  देखते  हैं

बैठे   हैं  डाले  डेरा  इस   राह  के  मुसाफ़िर
आने  के  तेरे   जब   से   आसार  देखते हैं

इस वास्ते 'सरु'को सुबह-ओ-शाम  छेड़ते हैं
गुस्से  में  भी  ग़ज़ब  का  प्यार देखते हैं


 Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley
  Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley
  Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley
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SURESH SANGWAN
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«Reply #4 on: August 18, 2014, 01:58:47 PM »
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Bahutttttttttttttttt Bahutttttttttttt Khoooob Saru Ji..

lajawaab Peshkash...

ये जिंदगी हमारी उलझन का  सिलसिला है
पहले   से  पहले   अगली   तैयार  देखते  हैं

बैठे   हैं  डाले  डेरा  इस   राह  के  मुसाफ़िर
आने  के  तेरे   जब   से   आसार  देखते हैं

इस वास्ते 'सरु'को सुबह-ओ-शाम  छेड़ते हैं
गुस्से  में  भी  ग़ज़ब  का  प्यार देखते हैं


 Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley
  Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley
  Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley
  Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley
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«Reply #5 on: August 18, 2014, 02:46:19 PM »
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Waah Waahh Waahhh!!!

Kya baat hai Saru ji!!

उस  पार वो  तो  जाके  इस  पार  देखते हैं
साहिल  पे  बैठे  हम  ही  मझधार  देखते हैं

ये जिंदगी हमारी उलझन का  सिलसिला है
पहले   से  पहले   अगली   तैयार  देखते  हैं

दी  है हमें हिदायत बचने की जिससे वाइज़
दुनियां  को  हम  उसी  का बीमार देखते हैं

बैठे   हैं  डाले  डेरा  इस   राह  के  मुसाफ़िर
आने  के  तेरे   जब   से   आसार  देखते हैं

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Rau Hazir he!!

सुन्दर से बढ़ के सुन्दर, अशआर देखते हैं,
हम आप में गज़ब का, ग़ज़लकार देखते हैं!!
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«Reply #6 on: August 18, 2014, 04:03:09 PM »
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उस  पार वो  तो  जाके  इस  पार  देखते हैं
साहिल  पे  बैठे  हम  ही  मझधार  देखते हैं

ये जिंदगी हमारी उलझन का  सिलसिला है
पहले   से  पहले   अगली   तैयार  देखते  हैं

दी  है हमें हिदायत बचने की जिससे वाइज़
दुनियां  को  हम  उसी  का बीमार देखते हैं

बैठे   हैं  डाले  डेरा  इस   राह  के  मुसाफ़िर
आने  के  तेरे   जब   से   आसार  देखते हैं

ग़म-ओ-खुशी से  मौला बेज़ार  मुझे कर दे
खुशियों  के  साये- साये  आज़ार  देखते हैं

गलियों का ईश्क़ की तज़र्बा हो  गया शायद
अशआर जो  भी  कह  दें  दमदार देखते हैं

इस वास्ते 'सरु'को सुबह-ओ-शाम  छेड़ते हैं
गुस्से  में  भी  ग़ज़ब  का  प्यार देखते हैं



gd
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SURESH SANGWAN
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«Reply #7 on: August 18, 2014, 04:38:39 PM »
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 हौसला अफज़ाही के लिये  तहे दिल से बहुत 2 शुक्रिया ..........Nakul g.

Waah Waahh Waahhh!!!

Kya baat hai Saru ji!!

उस  पार वो  तो  जाके  इस  पार  देखते हैं
साहिल  पे  बैठे  हम  ही  मझधार  देखते हैं

ये जिंदगी हमारी उलझन का  सिलसिला है
पहले   से  पहले   अगली   तैयार  देखते  हैं

दी  है हमें हिदायत बचने की जिससे वाइज़
दुनियां  को  हम  उसी  का बीमार देखते हैं

बैठे   हैं  डाले  डेरा  इस   राह  के  मुसाफ़िर
आने  के  तेरे   जब   से   आसार  देखते हैं

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Rau Hazir he!!

सुन्दर से बढ़ के सुन्दर, अशआर देखते हैं,
हम आप में गज़ब का, ग़ज़लकार देखते हैं!!
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SURESH SANGWAN
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«Reply #8 on: August 18, 2014, 04:40:40 PM »
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 हौसला अफज़ाही के लिये  तहे दिल से बहुत 2 शुक्रिया ...........Manoj ji

gd
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parinde
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«Reply #9 on: August 18, 2014, 04:50:42 PM »
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bahut bahut khoooooooooooooooooooob saru ji mubarakbaad



उस  पार वो  तो  जाके  इस  पार  देखते हैं
साहिल  पे  बैठे  हम  ही  मझधार  देखते हैं

ये जिंदगी हमारी उलझन का  सिलसिला है
पहले   से  पहले   अगली   तैयार  देखते  हैं

दी  है हमें हिदायत बचने की जिससे वाइज़
दुनियां  को  हम  उसी  का बीमार देखते हैं

बैठे   हैं  डाले  डेरा  इस   राह  के  मुसाफ़िर
आने  के  तेरे   जब   से   आसार  देखते हैं

ग़म-ओ-खुशी से  मौला बेज़ार  मुझे कर दे
खुशियों  के  साये- साये  आज़ार  देखते हैं

गलियों का ईश्क़ की तज़र्बा हो  गया शायद
अशआर जो  भी  कह  दें  दमदार देखते हैं

इस वास्ते 'सरु'को सुबह-ओ-शाम  छेड़ते हैं
गुस्से  में  भी  ग़ज़ब  का  प्यार देखते हैं



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SURESH SANGWAN
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«Reply #10 on: August 18, 2014, 04:51:31 PM »
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 हौसला अफज़ाही के लिये  तहे दिल से बहुत 2 शुक्रिया ..........parinde ji.

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bahut bahut khoooooooooooooooooooob saru ji mubarakbaad
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ambalika sharma
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«Reply #11 on: August 18, 2014, 05:16:49 PM »
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उस  पार वो  तो  जाके  इस  पार  देखते हैं
साहिल  पे  बैठे  हम  ही  मझधार  देखते हैं

ये जिंदगी हमारी उलझन का  सिलसिला है
पहले   से  पहले   अगली   तैयार  देखते  हैं

दी  है हमें हिदायत बचने की जिससे वाइज़
दुनियां  को  हम  उसी  का बीमार देखते हैं

बैठे   हैं  डाले  डेरा  इस   राह  के  मुसाफ़िर
आने  के  तेरे   जब   से   आसार  देखते हैं

ग़म-ओ-खुशी से  मौला बेज़ार  मुझे कर दे
खुशियों  के  साये- साये  आज़ार  देखते हैं

गलियों का ईश्क़ की तज़र्बा हो  गया शायद
अशआर जो  भी  कह  दें  दमदार देखते हैं

इस वास्ते 'सरु'को सुबह-ओ-शाम  छेड़ते हैं
गुस्से  में  भी  ग़ज़ब  का  प्यार देखते हैं



beautifully written suresh ji....
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surindarn
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«Reply #12 on: August 18, 2014, 08:15:52 PM »
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उस  पार वो  तो  जाके  इस  पार  देखते हैं
साहिल  पे  बैठे  हम  ही  मझधार  देखते हैं

ये जिंदगी हमारी उलझन का  सिलसिला है
पहले   से  पहले   अगली   तैयार  देखते  हैं

दी  है हमें हिदायत बचने की जिससे वाइज़
दुनियां  को  हम  उसी  का बीमार देखते हैं

बैठे   हैं  डाले  डेरा  इस   राह  के  मुसाफ़िर
आने  के  तेरे   जब   से   आसार  देखते हैं

ग़म-ओ-खुशी से  मौला बेज़ार  मुझे कर दे
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अशआर जो  भी  कह  दें  दमदार देखते हैं

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गुस्से  में  भी  ग़ज़ब  का  प्यार देखते हैं



waah waah nihaayat umdad peshkash haiSaru Sahiba, dheron daad.
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«Reply #13 on: August 19, 2014, 12:39:13 AM »
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waah waah bahut khoobsoorat kalaam dheron daad
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amit_prakash_meet
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«Reply #14 on: August 19, 2014, 04:39:20 AM »
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वाह....वाह.....वाह....

इस वास्ते 'सरु'को सुबह-ओ-शाम  छेड़ते हैं
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