अकेला हू अपने अकेलेपन की कहानी सुना रहा हू.........

by pawan16 on March 09, 2012, 04:53:09 PM
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pawan16
Guest
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आज फिर अकेला हू,कुछ लिख गुनगुना रहा हू,
एक डोर उलझ गयी हे
उस डोर को  सुलझा रहा हू,
ये भी जानता हु गाठ तो पडनी हे,
फिर भी कोशिश किये जा रहा हू,
सुलझा रहा हू या ओर उलझा रहा हू,
अभी तक ये भी नही समझ पा रहा हू,
एक तरफ ,दुसरी डोर लाने के लिये दिल को समझा रहा हू,
दुसरी तरफ कोशिश करने वालो की जीत होती हे,
बस यही सोचकर कोशिश किये जा रहा हू,
कुछ नंही हे इन लफ्सो मे,
अकेला हू अपने अकेलेपन की कहानी सुना रहा हू....पवन गुप्ता

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mkv
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«Reply #1 on: March 09, 2012, 04:55:54 PM »
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Bahut khoob Pawan
bas yu'n hi likhte raho.. Applause
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sbechain
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«Reply #2 on: March 09, 2012, 06:16:54 PM »
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आज फिर अकेला हू,कुछ लिख गुनगुना रहा हू,
एक डोर उलझ गयी हे
उस डोर को  सुलझा रहा हू,
ये भी जानता हु गाठ तो पडनी हे,
फिर भी कोशिश किये जा रहा हू,
एक तरफ ,दुसरी डोर लाने के लिये दिल को समझा रहा हू,
दुसरी तरफ कोशिश करने वालो की जीत होती हे,
बस यही सोचकर कोशिश किये जा रहा हू,
कुछ नंही हे इन लफ्सो मे,
अकेला हू अपने अकेलेपन की कहानी सुना रहा हू....पवन गुप्ता



good..........!
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Raqeeb
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«Reply #3 on: March 09, 2012, 08:07:55 PM »
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आज फिर अकेला हू,कुछ लिख गुनगुना रहा हू,
एक डोर उलझ गयी हे
उस डोर को  सुलझा रहा हू,
ये भी जानता हु गाठ तो पडनी हे,
फिर भी कोशिश किये जा रहा हू,
एक तरफ ,दुसरी डोर लाने के लिये दिल को समझा रहा हू,
दुसरी तरफ कोशिश करने वालो की जीत होती हे,
बस यही सोचकर कोशिश किये जा रहा हू,
कुछ नंही हे इन लफ्सो मे,
अकेला हू अपने अकेलेपन की कहानी सुना रहा हू....पवन गुप्ता





Kya baat Usual Smile
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Rahul ware
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«Reply #4 on: March 10, 2012, 06:33:39 AM »
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Bhahut achha likhate ho aap.
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pawan16
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«Reply #5 on: March 10, 2012, 10:41:45 AM »
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thanks mkv ji........
thnks shibad ji.....
thanks shebaji ......
thnaks reqeeb ji.......
thanks rahul ji........
bas yu hi saath dete rahiye.......bhut bhut sukriya.....
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sksaini4
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«Reply #6 on: March 12, 2012, 03:39:35 AM »
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Bahut sunder
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pankajwfs
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«Reply #7 on: March 12, 2012, 03:47:40 AM »
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आज फिर अकेला हू,कुछ लिख गुनगुना रहा हू,
एक डोर उलझ गयी हे
उस डोर को  सुलझा रहा हू,
ये भी जानता हु गाठ तो पडनी हे,
फिर भी कोशिश किये जा रहा हू,
सुलझा रहा हू या ओर उलझा रहा हू,
अभी तक ये भी नही समझ पा रहा हू,
एक तरफ ,दुसरी डोर लाने के लिये दिल को समझा रहा हू,
दुसरी तरफ कोशिश करने वालो की जीत होती हे,
बस यही सोचकर कोशिश किये जा रहा हू,
कुछ नंही हे इन लफ्सो मे,
अकेला हू अपने अकेलेपन की कहानी सुना रहा हू....पवन गुप्ता



Very nice Pawan ji accha lika hai apne
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