आइना मन का.........bansi

by BANSI DHAMEJA on January 07, 2019, 02:06:37 PM
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BANSI DHAMEJA
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आइना मन का
 
आइना मन का मुझसे
बचपन की मासूमियत मांगे

खोता गया मासूमियत
ज़िन्दगी के तजरबों में

ढालता गया खुद को
बदलते जीवन के उसूलों में

चाह आगे बड़ने की बड़ाली इतनी
गुम होता गया अपने ही इरादों में

देख सच की राह मुश्किल
पकड़ता रहा झूठी राहों को

बुन कर जाल आपना खुद ही
फसाता गया मकडी जैसे खुद को
 
सुलझाने चाही  ज़िन्दगी जब मैंने
उलझता गया उल्ल्झनो में खुद को

दूर करता चला गया खुद को
बचपन की मासूमियत से

 
कैसे लौटाए ‘बंसी’ मासूमियत वो
जो मासूमियत आइना मन का मांगे

आइना मन का मुझसे
बचपन की मासूमियत मांगे
                          बंसी

  
 
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«Reply #1 on: January 07, 2019, 08:18:07 PM »
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bahut khoob waah waah
आइना मन का
 
आइना मन का मुझसे
बचपन की मासूमियत मांगे

खोता गया मासूमियत
ज़िन्दगी के तजरबों में

ढालता गया खुद को
बदलते जीवन के उसूलों में

चाह आगे बड़ने की बड़ाली इतनी
गुम होता गया अपने ही इरादों में

देख सच की राह मुश्किल
पकड़ता रहा झूठी राहों को    bhataktaa

बुन कर जाल आपना खुद ही
फसाता गया मकडी जैसे खुद को
 
सुलझाने चाही  ज़िन्दगी जब मैंने
उलझता गया उल्ल्झनो में खुद को

दूर करता चला गया खुद को
बचपन की मासूमियत से

 
कैसे लौटाए ‘बंसी’ मासूमियत वो
जो मासूमियत आइना मन का मांगे

आइना मन का मुझसे
बचपन की मासूमियत मांगे
                          बंसी

 
 
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waah waah bahut khoob.
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