इस दीवाली दीपों

by anil kumar aksh on October 28, 2010, 02:58:53 AM
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anil kumar aksh
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इस दीवाली दीपों में अरमान जलायेगे ।
हर्ष न चाहे तो फिर कैसे हर्ष मनायेगे ॥
दीवाली में तोहफों कि बाते बेमानी है ।
गम है कि अब कैसे खील बतासे आयेगे ॥
चपरासी के कामो को भी निपटा लेते है ।
पर हम चपरासी की भी तनखाह न पायेगे ।।
जाने को बेचैन बहुत पर जेबे ख़ाली है ।
इस दीवाली में हम घर को कैसे जायेगे ॥
इन बातो से क्या होता है बाते ही तो है ।
आती है हर साल दीवाली ख्वाब ये लायेगे ॥
कमरों में अंधियारे होगे दीप कहा होगे ।
हाथो को आँखों पर रखकर लेसको गायेगे ॥
लक्ष्मी से लक्ष्मी की बाते कैसे होगी अब ।
जो होता है अच्छा है दिल को समझायेगे ॥
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arunmishra
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«Reply #1 on: October 28, 2010, 04:53:13 AM »
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सुन्दर, भावभीनी ग़ज़ल|बधाई...
-अरुण मिश्र.
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AbhiTamrakar
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«Reply #2 on: October 28, 2010, 07:47:12 AM »
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ahaa maza a gaya diwali ki badi hi sundar vyakhaya ki he aapne...

ek chhoti si koshish meri or se..


socha tha is bar khoob mithai kahuga
kheer me tairege batashe, gujhiya me khova dalwauga
sadko pe bhooke ko dekha fir socha kaise akele diwali manauga..
socha tha is bar....


 
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MANOJ6568
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«Reply #3 on: October 28, 2010, 09:49:35 PM »
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KHUB
इस दीवाली दीपों में अरमान जलायेगे ।
हर्ष न चाहे तो फिर कैसे हर्ष मनायेगे ॥
दीवाली में तोहफों कि बाते बेमानी है ।
गम है कि अब कैसे खील बतासे आयेगे ॥
चपरासी के कामो को भी निपटा लेते है ।
पर हम चपरासी की भी तनखाह न पायेगे ।।
जाने को बेचैन बहुत पर जेबे ख़ाली है ।
इस दीवाली में हम घर को कैसे जायेगे ॥
इन बातो से क्या होता है बाते ही तो है ।
आती है हर साल दीवाली ख्वाब ये लायेगे ॥
कमरों में अंधियारे होगे दीप कहा होगे ।
हाथो को आँखों पर रखकर लेसको गायेगे ॥
लक्ष्मी से लक्ष्मी की बाते कैसे होगी अब ।
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bekarar
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«Reply #4 on: October 29, 2010, 03:55:28 AM »
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bahoot umda
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With a Quick-Reply you can use bulletin board code and smileys as you would in a normal post, but much more conveniently.


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